बिहार की बेलहर विधानसभा सीट बांका जिले में पड़ती है। पिछले विधानसभा चुनाव में यहां जेडीयू ने जीत हासिल की थी। इस सीट पर यादव समुदाय के मतदाताओं की भूमिका निर्णायक मानी जाती है। बेलहर एक छोटा कस्बा है। विधानसभा क्षेत्र की अधिकांश आबादी ग्रामीण है। यहां से त्रिवेणी और हरिगढ़ नाम की नदियां बहती हैं।
मिट्टी उपजाऊ होने के कारण लोगों का जीवन यापन खेती-किसानी पर निर्भर है। बड़े औद्योगिक क्षेत्र न होने के कारण स्थानीय स्तर पर रोजगार की समस्या है। लोगों को काम की तलाश में अन्य प्रदेश जाना पड़ता है। साल 1962 में बेलहर को अलग विधानसभा बनाया गया। विधानसभा सीट का गठन फुल्लीडुमर, बेलहर और चांदन प्रखंड को मिलाकर किया गया।
मौजूदा समीकरण
2011 की जनगणना के मुताबिक बेलहर की कुल आबादी 4.58 लाख है। जनसंख्या में करीब 13.43 फीसदी अनुसूचित जाति और 7.79 फीसदी अनुसूचित जनजाति की हिस्सेदारी है। 2024 की मतदाता सूची के अनुसार बेलहर में कुल 3,31,456 मतदाता हैं। यहां यादव समुदाय का दबदबा खूब है। कुल मतदाताओं में इनकी लगभग 31.3 फीसद हिस्सेदारी है। कुल 16 चुनाव में से 8 बार यादव प्रत्याशी को ही जीत मिली है। अगर मुस्लिम वोटर्स की बात करें तो उनकी भागेदारी 5.5 फीसद है।
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2020 चुनाव का रिजल्ट
पिछले चुनाव में बेलहर सीट से कुल 15 प्रत्याशियों ने अपनी किस्मत आजमाई थी। इनमें से 13 को अपनी जमानत तक गंवानी पड़ी थी। आरजेडी ने रामदेव यादव पर दांव खेला। उनके सामने जेडीयू ने मनोज यादव को अपना प्रत्याशी बनाया। जेडीयू के हिस्से में 40.9 फीसद यानी कुल 73,589 वोट आए। आरजेडी प्रत्याशी को 71,116 वोट मिले। मनोज यादव ने 2,473 मतों के अंतर से रामदेव यादव को सियासी पटखनी दी।
मौजूदा विधायक का परिचय
बेलहर सीट से जेडीयू विधायक मनोज यादव के पास 7 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति है। उनके ऊपर एक करोड़ रुपये से अधिक की देनदारी है। 2020 के चुनावी हलफनामे में मनोज यादव ने इसका जिक्र किया। उन्होंने महंत अयोध्या यादव कॉलेज से 12वीं की परीक्षा पास की है। हलफनामे में उन्होंने खेती किसानी और सामाजिक कार्य को अपना पेशा बता रखा है। खास बात यह है कि विधायक मनोज यादव के खिलाफ कोई आपराधिक मामला दर्ज नहीं है।
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विधानसभा सीट का इतिहास
बेलहर विधानसभा सीट पर कांग्रेस ने चार बार चुनाव जीता है। हालांकि उसे 1990 के बाद अभी तक कोई सफलता नहीं मिली है। जेडीयू ने भी चार बार जीत का परचम लहराया है। लालू यादव की पार्टी आरजेडी तीन बार जीत दर्ज कर चुकी है। जनता पार्टी, जनता दल और निर्दलीय को एक-एक बार जीत मिली। रामदेव यादव सबसे अधिक चार बार विधायक बने। इसके बाद चतुर्भुज प्रसाद सिंह ने तीन बार कामयाबी हासिल की। चंद्र मौलेश्वर सिंह और गिरिधारी यादव को दो-दो बार जीत मिली।
| वर्ष | विजेता | दल |
| 1962 | राघवेंद्र नारायण सिंह | कांग्रेस |
| 1967 | चतुर्भुज प्रसाद सिंह | संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी |
| 1969 | चतुर्भुज प्रसाद सिंह | संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी |
| 1972 | शकुन्तला देवी | कांग्रेस |
| 1977 | चतुर्भुज प्रसाद सिंह | जनता पार्टी |
| 1980 | चंद्र मौलेश्वर सिंह | निर्दलीय |
| 1985 | सियाराम राय | कांग्रेस |
| 1990 | चंद्र मौलेश्वर सिंह | कांग्रेस |
| 1995 | रामदेव यादव | जनता दल |
| 2000 | रामदेव यादव | आरजेडी |
| 2005 (फरवरी) | रामदेव यादव | आरजेडी |
| 2005 (नवंबर) | जनार्दन मांझी | जेडीयू |
| 2010 | गिरिधारी यादव | जेडीयू |
| 2015 | गिरिधारी यादव | जेडीयू |
| 2019 | रामदेव यादव (उपचुनाव) | आरजेडी |
| 2020 | मनोज यादव | जेडीयू |
