बिहार में 2020 के विधानसभा चुनाव 2019 के लोकसभा चुनाव के बाद हुए थे। 2017 में आरजेडी से अलग होने के बाद और बीजेपी से दोबारा हाथ मिलाने के बाद ढाई साल तक बीजेपी-जेडीयू ने मिलकर बिहार में सरकार चलाई। यह चुनाव कोरोना महामारी के बीच 2020 अक्टूबर-नवंबर में लड़े गए। देश और बिहार में फैल रहे कोरोना के बीच एक तरफ केंद्र सरकार लोगों को 6 फीट की दूरी बनाकर रहने की अपील कर रही थी तो दूसरी तरफ बिहार में पीएम नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव की रैलियां हो रही थींपीएम और सीएम के इस रवैये की विपक्ष ने काफी आलोचना की थी

 

इस लिहाज से कोरोना महामारी के बीच 2020 का चुनाव लड़ना बिहार के लिए अभूतपूर्व थाबीजेपी-जेडीयू एक साल पहले ही लोकसभा चुनाव में मिली बंपर जीत के बाद आत्मविश्वास से लबरेज थींलोकसभा में एनडीए ने मिलकर महागठबंधन का बिहार से सूपड़ा साफ कर दिया थाएनडीए ने आरजेडी को शून्य सीट पर समेट दिया था

 

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लोकसभा 2019 का चुनावी खेल

2019 लोकसभा चुनाव में दोनों दलों ने सूझबूझ के जरिए बिहार की 40 लोकसभा सीटों का बंटवारा रामविलास पासवान की पार्टी लोक जनशक्ति पार्टी के साथ किया। सीट बंटवारे में तय हुआ कि बीजेपी-जेडीयू बराबर की सीटों पर चुनाव लड़ेंगे। इसमें दोनों पार्टी 17-17 सीटों पर और लोजपा 6 सीटों पर चुनाव लडीं, जिसमें से बीजेपी ने सभी 17 और जेडीयू ने 16 सीटें जीतीं। लोजपा ने भी 100 के स्ट्राइक रेट से सभी 6 सीटें जीत लीं। महागठबंधन में कांग्रेस एक सीट जीतने में कामयाब रही थी। पिछले लोकसभा चुनाव में 2 सीटें जीतने वाली जेडीयू ने बीजेपी की मदद से 16 सांसद हासिल कर लिए।

2020 के विधानसभा चुनाव पर नजर

खैर अब आते हैं 2020 के विधानसभा चुनाव पर। इस चुनाव पर बात करने से पहले जानना जरूरी है कि नीतीश कुमार 2017 में बीजेपी से हाथ मिलाते समय बोल चुके थे कि अब वह आरजेडी के साथ कभी नहीं जाएंगे। 2020 के चुनाव में जेडीयू के नेता नीतीश कुमार, जबकि बीजेपी का चेहरा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी थे। मगर, इससे पहले सीट बंटवारे में जेडीयू ने अपनी बड़े भाई वाली छवि बरकरार रखते हुए राज्य की 243 सीटों में से 115 सीटों पर उम्मीदवारी हासिल की। वहीं, बीजेपी के खाते में 110 सीटें आईं, जबकि मुकेश सहनी की वीआईपी 11 और जीतनराम मांझी की 'हम' 7 सीटों पर चुनाव लड़ी।

चिराग पासवान की अहम भूमिका

बिहार का पिछला चुनाव नाटकीय रूप से लड़ा गया। यह बिहार का वह चुनाव था, जो चार दशक के बाद पूर्व केंद्रीय मंत्री और दिग्गज दलित नेता रामविलास पासवान के बिना लड़ा गया। दरअसल, कोरोना महामारी के बीच मोदी सरकार में मंत्री रहे रामविलास पासवान का निधन हो गया, जिसके तुरंत बाद पूर्व निर्धारित बिहार में विधानसभा चुनाव हुए। ऐसे में इस चुनाव में उनके बेटे चिराग पासवान ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। चिराग ना तो एनडीए में शामिल हुए और ना ही महागठबंधन में। वह अकेले दम पर 134 सीटों पर चुनाव लड़े।

 

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जेडीयू को चिराग ने दिया था झटका

चिराग ने रणनीतिक तौर से जेडीयू प्रत्याशियों के खिलाफ अपने उम्मीदवार उतारे। इसका खामियाजा नीतीश कुमार को उठाना पड़ा। इस पूरे चुनाव में चिराग पासवान ने खुद को पीएम मोदी का हनुमान बताया, जिससे यह साफ हो गया कि वह बीजेपी की मदद कर रहे हैं। चुनाव के जब परिणाम आए तो नीतीश कुमार के पैरों तले जमीन खिसक गई। बिहार में छोटे भाई की भूमिका में रही बीजेपी पहली बार जेडीयू से आगे निकल गई। इसका श्रेय चिराग पासवान को गया। दरअसल, जेडीयू ने 115 में से महज 43 सीटें ही जीतीं। वहीं, बीजेपी ने 110 में से 74 सीटों पर जीत हासिल की। इसके अलावा वीआईपी और हम ने 4-4 सीटें जीतीं।

तेजस्वी यादव के नेतृत्व में महागठबंधन

दूसरी तरफ तेजस्वी यादव के नेतृत्व में महागठबंधन का कुनबा भी पूरे दमखम के साथ चुनाव में उतरा था। सीट बंटवारे में आरजेडी के हिस्से में 144, कांग्रेस 70, CPI-ML 19, सीपीआई 6 और सीपीआई (एम) 4 सीटों पर चुनाव लड़ी। इस पूरे चुनाव में विपक्ष ने बेरोजगारी और आर्थिक पिछड़ापन, युवाओं के लिए नौकरियों की मांग करते हुए कोविड-19 महामारी-लॉकडाउन के दौरान लाखों प्रवासी मजदूरों का बिहार लौटना और सरकार की तैयारी पर सवाल उठाया। साथ ही बिहार में आई 2019 की बाढ़ में राहत कार्यों की कमी, संसद द्वारा पारित तीन कृषि कानूनों पर किसानों के विरोध का मुद्दा उठाकर एनडीए को घेरा।

 

विपक्ष के द्वारा उठाए गए मुद्दों को बिहार की जनता ने पसंद भी किया, जिसको चुनावी परिणामों में देखा गया। चुनाव बाद आरजेडी 75 सीट जीतने में कामयाब रही। हालांकि, आरजेडी पिछले चुनाव के मुकाबले 5 सीट कम जीती। वहीं, कांग्रेस ने 19, CPI-ML 12, सीपीआई और सीपीआई (एम) ने 2-2 सीटें जीतीं।

 

इस चुनाव में महागठबंधन का चुनावी अभियान तेजस्वी यादव ने संभाला। उन्होंने बिहार के युवाओं को 10 लाख सरकारी नौकरियां देने का वादा किया, जो युवाओं में लोकप्रिय हुआ। लेफ्ट पार्टियों ने वामपंथी मुद्दों मजदूर अधिकार पर जोर दिया। वहीं, एआईएमआईएम ने सीमांचल में मुस्लिम वोटों को प्रभावित किया। एनडीए की तरफ से बीजेपी ने ऊपरी जातियों को अपना लक्ष्य बनाया, जबकि जेडीयू ने ईबीसी और पिछड़े वर्गों पर ध्यान लगाया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह ने राज्य में दर्जनों रैलियां कीं, जिसका फायदा एनडीए को बहुमत दिलाने में हुआ।

2020 के चुनाव में तीसरा मोर्चा

इसके अलावा 2020 के चुनाव में एक तीसरा मोर्चा भी था। पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा के नेतृत्व में ग्रांड डेमोक्रेटिक सेक्युलर फ्रंट बना, जिसमें कुशवाहा की राष्ट्रीय लोक समता पार्टी, मायावती की बीएसपी, असद्दुीन औवैसी की AIMIM और ओपी राजभर की सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी हिस्सेदार बनीं। इस चुनाव में उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी अपना खाता भी नहीं खोल पाई लेकिन असद्दुीन औवैसी की पार्टी ने सभी चुनावी पंडितों को चौंकाते हुए सीमांचल में 5 सीटें जीत लीं और आरजेडी को 12 सीटों पर हार में अहम भूमिका निभाई।

एनडीए ने बनाई बिहार में सरकार

चुनाव परिणाम में जेडीयू-बीजेपी के नेतृत्व में एनडीए ने सरकार बनाने के लिए कुल 122 का जादुई आंकड़ा पार करते हुए 125 सीटें जीतीं। वहीं, महागठबंधन के हिस्से में 110 सीटें आईं। इस तरह से नीतीश कुमार ने 2020 में बिहार के मुख्यमंत्री के तौर पर सातवीं बार शपथ ली। मगर, बीजेपी के साथ नीतीश सरकार बहुत दिनों तक नहीं चली और यह साथ 2020 में टूट गया।

कभी आरजेडी तो कभी बीजेपी के साथ नीतीश

2022 में नीतीश कुमार ने बीजेपी से गठबंधन तोड़ते हुए इस्तीफा दे दिया और आरजेडी के साथ हाथ मिला लिया। नीतीश ने आरजेडी के साथ फिर से महागठबंधन बनाया। 9 अगस्त 2022 को उन्होंने आठवीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। हालांकि, नीतीश कुमार ने जनवरी 2024 में फिर से आरजेडी के साथ गठबंधन तोड़ते हुए दोबारा बीजेपी के साथ गठबंधन किया। इस बार नीतीश कुमार ने बिहार के मुख्यमंत्री के तौर पर 9वीं बार शपथ ली।

 

इसके बाद अक्टूबर 2025 नीतीश ने सार्वजनिक रूप से कहा कि आरजेडी के साथ ये दो गठबंधन उनकी गलती थे और अब वे एनडीए और बीजेपी के साथ ही रहेंगे। अपनी बात पर कायम रहते हुए 2025 के विधानसभा चुनाव में नीतीश कुमार एनडीए में रहते हुए बीजेपी के साथ चुनाव लड़ रहे हैं और महागठबंधन पर सियासी हमले कर रहे हैं।

 

2020 विधानसभा चुनाव: एक नजर में

 

कुल सीटेंः 243

बहुमत: 122

कुल वोटर: 7.29 करोड़

वोट पड़े: 3.79 करोड़

वोटिंग प्रतिशत: 58.7%

राष्ट्रीय जनता दल ने कितनी सीटें जीतीं: 75

जनता दल यूनाइटेड ने कितनी सीटें जीतीं: 43

बीजेपी ने कितनी सीटें जीतीं: 74

कांग्रेस ने कितनी सीटें जीतीं: 19

वीआईपी-4

हम- 4

लोजपा ने कितनी सीटें जीतीं: 1

वामपंथी दलों और निर्दलीयों ने कितनी सीटें जीतीं: 16

एआईएमआईएम-5

अन्य पार्टियों ने कितनी सीटें जीतीं: 2