तीन तरफ से नदियों से घिरा बिहपुर विधानसभा क्षेत्र की मिट्टी काफी उपजाऊ है। इसी वजह से कृषि यहां की अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार है। इसके दक्षिण में गंगा, उत्तर में कोसी और पश्चिम में बूढ़ी गंडक बहती है। यह भागलपुर जिले में पड़ता है और जिला मुख्यालय से इसकी दूरी 19 किलोमीटर है।

 

इस विधानसभा में लगभग 7.8 प्रतिशत अनुसूचित जाति के मतदाता और 12.6 प्रतिशत मुस्लिम समुदाय के मतदाता हैं। यहां लगभग सारे मतदाता ग्रामीण हैं। बिहपुर में उम्मीदवारों को बार-बार बदलने की प्रवृत्ति देखने को मिलती है। यहां तक कि 1952 से लेकर 1969 तक लगातार न ही एक पार्टी दोबारा जीतकर आई और न ही कोई एक कैंडीडेट दोबारा जीता। 1952 में कांग्रेस, 1957 में सीपीआई, 1962 में फिर कांग्रेस और 1967 में भारतीय जनसंघ ने जीत दर्ज की. हालांकि, 1969 के चुनाव से इस रुझान में परिवर्तन दिखने लगा।

 

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मौजूदा राजनीतिक समीकरण

मौजूदा वक्त में यह सीट बीजेपी और आरजेडी के बीच मुकाबले का सबब बनती है। पिछले 15 सालों की बात करें तो 2010 में इस सीट पर बीजेपी ने जीत दर्ज की थी इसके बाद अगले विधानसभा चुनाव यानी कि 2015 में आरजेडी और 2020 में फिर से बीजेपी ने जीत दर्ज की। जाहिर है कि बीजेपी और आरेजेडी की तरफ यहां के मतदाताओं का झुकाव बदलता रहा है।

 

इस सीट पर अब तक कांग्रेस, सीपीआई और आरजेडी ने चार-चार बार, बीजेपी ने तीन बार (जिसमें एक बार भारतीय जनसंघ के नाम पर) और जनता दल ने दो बार जीत हासिल कर चुकी है। इस बार भी मुकाबला एनडीए और महागठबंधन के बीच ही दिखेगा।

2020 में कौन जीता?

पिछले विधानसभा चुनाव की बात करें तो बीजेपी के कुमार शैलेंद्र ने जीत हासिल की थी। उन्हें 72,938 वोट मिला था जो कि कुल वोट प्रतिशत का 48.5 % था। वहीं दूसरे स्थान पर आरजेडी के शैलेंद्र कुमार रहे थे जिन्हें 66,809 वोट मिले थे। इस तरह से जीत-हार का अंतर लगभग 6 हजार वोटों का रहा। 3,553 वोटों के साथ बीएसपी के हैदर अली रहे।

 

इससे साफ ज़ाहिर है कि मतदाता सिर्फ बीजेपी और आरजेडी जैसे खेमों में बंटे हुए हैं। अन्य किसी पार्टी के प्रति उनका झुकाव कम ही दिखता है। यह भी देखने वाली बात है कि जिस सीपीआई ने इस सीट पर चार-चार बार जीत दर्ज की थी उसका अब कोई जनाधार यहां पर नहीं बचा है।

विधायक का परिचय

बिहपुर के विधायक कुमार शैलेंद्र पेशे से इंजीनियर रहे हैं। उन्होंने इंजीनियरिंग की पढ़ाई मोतिहारी इंजीनियरिंग कॉलेज से की। उनके पिताजी सिविल सर्जन थे। इंजीनियरिंग करने के बाद उन्होंने नौकरी भी की और धीरे-धीरे राजनीति में कदम रखा। पहली बार उन्होंने साल 2005 में बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ा लेकिन लगभग 400 वोटों से आरजेडी के कैंडीडेट के सामने हार गए। इसके बाद साल 2010 में उन्होंने फिर से बीजेपी के टिकट से चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की।

 

साल 2015 में उन्हें एक बार फिर से हार का मुंह देखना पड़ा लेकिन 2020 के चुनाव में फिर से उन्होंने जीत दर्ज की। इस तरह से देखा जाए तो पिछले लगभग 20 सालों से वह यहां की

राजनीति में सक्रिय हैं और आरजेडी को कड़ी टक्कर देते रहे हैं।

 

संपत्ति की बात करें को उनके पास लगभग ढाई करोड़ की संपत्ति है जबकि साढ़े सात लाख की देनदारियां हैं। इसके अलावा कुछ छोटे-छोटे मामले उनके खिलाफ दर्ज हैं जिनमें से अभी तक किसी भी मामले में दोषी नहीं ठहराया गया है।

 

कुमार शैलेंद्र विवादों से भी घिरे रहते हैं। कुछ महीने पहले ही उन्होंने कहा था कि आरजेडी हिंदू नहीं मुस्लिमों की पार्टी है। उनका यह बयान सोशल मीडिया पर काफी वायरल हुआ था। उन्होंने कहा कि उन्होंने दस सालों तक मुस्लिमों की सेवा की , ट्रांसफॉर्मर दिए, रो़ड दिए लेकिन उन लोगों का 10 वोट में नहीं मिला।

 

आगे उन्होंने यह भी कहा कि बीजेपी को हराने के लिए 22 जातियों वाला मुसलमान एक हो जाता है इसलिए हिंदुओं को भी जात-पात से ऊपर उठकर एकजुट होना चाहिए।

 

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विधानसभा का इतिहास

इस विधानसभा में शुरुआती दौर में किसी भी एक राजनीतिक पार्टी का दबदबा नहीं रहा, लेकिन 1969 से इसमें बदलाव दिखना शुरू हुआ। सीपीआई ने 1969, 1972 और 1977 में लगातार तीन बार जीत हासिल की. इसके बाद कांग्रेस ने 1980 और 1985 में, जनता दल ने 1990 और 1995 में, और राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) ने 2000, फरवरी 2005 और अक्टूबर 2005 में लगातार तीन बार जीत दर्ज की. देखें पूरी लिस्ट-


1952 - रघुनंदन प्रसाद झा (कांग्रेस)

1957 - प्रभु नारायण राय (कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया)

1962 - सुकेद्र चौधरी (कांग्रेस)

1967 - ज्ञानेश्वर प्रसाद यादव (भारतीय जन संघ)

1969 - प्रभु नारायण राय (कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया)

1972 - प्रभु नारायण राय (कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया)

1977 - सीताराम सिंह आज़ाद (कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया)

1980 - राजेन्द्र प्रसाद शर्मा (कांग्रेस)

1985 - राजेन्द्र प्रसाद शर्मा (कांग्रेस)

1990 - ब्रह्मदेव मंडल (जनता पार्टी)

1995 - ब्रह्मदेव मंडल (जनता दल)

2000 - शैलेश कुमार मंडल (आरजेडी)

2005 - शैलेश कुमार मंडल (आरजेडी)

2010 - कुमार शैलेंद्र (बीजेपी)

2015 - वर्षा रानी (आरजेडी)

2020 - कुमार शैलेंद्र (बीजेपी)