बिहार विधानसभा चुनाव के लिए मतदान अब खत्म हो चुका है। 14 नवंबर को नतीजे आएंगे। इस बार के चुनाव नतीजों का सभी को इंतजार है। चुनाव आयोग के जारी आंकड़ों की मानें तो इस बार बिहार में बंपर वोटिंग हुई है। दोनों फेज मिलाकर कुल 66.91% वोटिंग हुई, जिसमें महिलाओं ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। 71.6% महिलाओं ने और 62.8% पुरुषों ने वोट किया। राज्य में इस बार कई ऐसे क्षेत्र हैं जहां पिछले विधानसभा चुनाव से ज्यादा वोटिंग हुई है। ऐसा ही एक क्षेत्र है तिरहुत जहां पिछली बार से 11 फीसदी ज्यादा वोटिंग हुई। समझते हैं कि पिछली बार से ज्यादा मतदान होने से किसको इसका फायदा मिलेगा?
तिरहुत क्षेत्र के 6 जिले में राज्य की 49 विधानसभा सीटें आती हैं। 2020 के विधानसभा की बात करें तो उसकी तुलना में इस बार सभी जिलों के वोटर ने जमकर वोटिंग की है जो पिछली बार के औसत से 11 फीसदी ज्यादा है।
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किसका रहा है दबदबा?
अगर पिछले कई चुनावों की बात करें तो इस क्षेत्र में नेशनल डेमोक्रेटिक एलायंस (NDA) का दबदबा रहा है। बीजेपी की इस इलाके में खासी मजबूत पकड़ रही है। पिछली बार मुजफ्फरपुर, पूर्वी और पश्चिमी चंपारण, शिवहर, सीतामढ़ी और वैशाली जिले की 49 सीटों में से बीजेपी ने आधे से अधिक यानी 26 सीटों पर जीत दर्ज की थी।
गठबंधन में बीजेपी के बाद जनता दल यूनाइटेड (JDU) का नंबर आता है जिसने 6 सीटों पर जीत दर्ज की थी। विकासशील इंसान पार्टी (VIP) के खाते में 1 सीट आई थी। राष्ट्रीय जनता दल (RJD) को 13 सीटों पर जीत हासिल हुई थी जबकि कांग्रेस को 2 और लेफ्ट को मात्र 1 सीट पर जीत हासिल हुई थी।
NDA का गढ़ रहा है मिथिला
मिथिलांचल में दरभंगा की बात करें तो यहां सबसे ज्यादा 7 फीसदी मतदान बढ़ा है। मिथिलांचल में तीन जिले दरभंगा, मधुबनी और समस्तीपुर में विधानसभा की कुल 30 सीटें हैं। अन्य जिलों में भी वोटर ने जमकर वोटिंग किया है। पिछले दो दशकों की बात करें तो मिथिला के लोग NDA पर मेहरबान रहे हैं। पिछली बार गठबंधन को 30 में से 22 सीटों पर जीत हासिल हुई थी। बीजेपी ने 2020 के चुनाव में इस क्षेत्र की कुल सीटों में से सबसे अधिक 11 सीटों पर जीत हासिल की थी। मतलब एक तिहाई से अधिक सीटें अकेले बीजेपी ने जीती थी। JDU ने 9 सीटों पर जीत हासिल की थी जबकि VIP ने 2 सीट हासिल की थी। 30 में से कुल 22 सीट NDA के खाते में आई थी।
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किसको मिलेगा फायदा?
इस क्षेत्र में ब्राह्मणों की संख्या ज्यादा है पर यहां अति पिछड़ा समुदाय कई विधानसभा में निर्णायक साबित होते रहे हैं। ये दोनों ही NDA के वोटर माने जाते हैं। कोर वोटर की बात करें तो गठबंधन को इसका फायदा मिलता रहा है। सरकार बनाने में इन जिलों की अहम भूमिका रही है जबकि पटना के साथ ही भोजपुर और बक्सर जिलों में महागठबंधन का पलड़ा भारी रहा था। इस बार के भारी मतदान पर दलों के अपने-अपने दावे हैं। सत्ताधारी दल जहां सत्ता में वापसी का दावा कर रहा है तो वहीं विपक्षी दल बिहार में इसे बदलाव का संकेत मान रहे हैं। इस बार के मतदान के बाद यह कहना गलत नहीं होगा कि आजादी से लेकर अब तक हुए तमाम चुनावों के रिकॉर्ड ध्वस्त हो गए हैं।
