जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद गिरी ने बुधवार को एक विवादित बयान दिया है। उन्होंने फरीदाबाद की अल-फलाह विश्वविद्यालय, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय और दारुल उलूम देवबंद को तोप से उड़वाने की मांग की। फरीदाबाद की अल फलाह यूनिवर्सिटी नए टेरर मॉड्यूल के भंडाफोड़ के बाद से चर्चा में है। भारी विस्फोटक के साथ पकड़े गए डॉक्टरों का संबंध इसी विश्वविद्यालय से है। 

 

यति नरसिंहानंद गिरी ने एक वीडियो जारी किया। इसमें उन्होंने कई विवादित बातें कहीं। यति नरसिंहानंद ने कहा, 'फरीदाबाद में अल फलाह नाम की तथाकथित यूनिवर्सिटी है, ये जो आतंकी डॉक्टर वगैरह पकड़े गए हैं, वह इसी यूनिवर्सिटी के हैं। जो आतंकवादी बम धमाकों पर मरे, उनकी मौत पर इस अल फलाह विश्वविद्यालय में शोक मनाया गया। हिंदुओं देख लो तुम्हारे साथ क्या हो रहा है? वो आतंकवादियों का भी शोक मनाते हैं, तुमने मुझे केवल इसलिए छोड़ दिया कि मैं इन जिहादियों की सच्चाई पूरी दुनिया को बता रहा था। इन जिहादियों को खुलकर गाली भी दे रहा था और इनके आकाओं से लड़ रहा था।'

 

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उन्होंने आगे कहा, 'वो हर हालत में अपने लोगों के साथ हैं। इसलिए आज उनके 57 देश हैं। आप बिना मतलब लड़ने वालों को छोड़ देते हो, इसलिए आपके पास कुछ नहीं रहा। जिस कौम के पास लड़ने वाले नहीं होंगे, वह कौम जिंदा रहेगी तो कैसे? हमारी तो जाने दो। हमारे जीवन का अंतिम समय है। जो होना था वह हो गया।'

 

 

 

 

यति नरसिंहानंद गिरी ने आगे आर्मी एक्शन की मांग की और कहा, 'ये जो आतंकियों के अड्डे है न, अल फलाह यूनिवर्सिटी, अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी, जामिया-मिलिया, दारुल उलूम देवबंद को बुलडोजर नहीं, बल्कि आर्मी भेजकर तोपों से उड़वाने का अपने नेताओं पर दबाव बनाओ। वरना बचने का कोई रास्ता नहीं निकलेगा।' 

 

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कब हुई अल फलाह की स्थापना?

साल 1995 में स्थापित अल-फलाह चैरिटेबल ट्रस्ट अल-फलाह विश्वविद्यालय का संचालन करता है। जवाद अहमद सिद्दीकी ट्रस्ट के अध्यक्ष हैं। यूनिवर्सिटी परिसर में ही 650 बेड का एक अस्पताल है। हरियाणा सरकार ने हरियाणा प्राइवेट यूनिवर्सिटी एक्ट के तहत साल 2014 में अल-फलाह को यूनिवर्सिटी का दर्जा दिया। पुलिस के मुताबिक डॉ. मुजम्मिल गनई और डॉ. शाहीन सईद का संबंध अल-फलाह यूनिवर्सिटी से है। डॉ. उमर मोहम्मद भी यही यूनिवर्सिटी में असिस्टेंट प्रोफेसर था। माना जा रहा है कि लाल किला बम धमाके में डॉ. उमर मार चुका है।