कर्नाटक के बेंगलुरु से एक हैरान करने वाला मामला सामने आया है। जहां 7 अगस्त को पुलिस के पास एक कॉल आई, जिसमें बताया गया कि एक आवारा कुत्ता अपने मुंह में इंसानी हाथ लेकर घूम रहा है। पुलिस समझ गई कि यह हत्या का मामला है। पुलिस मौके पर पहुंच कर जांच शुरू की, तो करीब 5 किलोमीटर के दायरे में तलाशी के दौरान 19 अलग-अलग जगहों से इंसानी शव के हिस्से मिले लेकिन सिर नहीं मिला था। बाद में जब पुलिस ने गहराई से मामले की जांच की तो पता चला की मृतका के रिश्तेदार ने उसकी हत्या करवाई थी। पुलिस ने आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है।
यह मामला तुमकुरु जिले के कोरतागेरे के चिंपुगनहल्ली गांव (बेंगलुरु से करीब 110 किलोमीटर दूर) का है। शव का सिर न मिलने की वजह से शव की पहचान नहीं हो पा रही थी। पुलिस ने बताया कि आसपास के इलाके में हत्या से जुड़ी कोई सीसीटीवी फुटेज भी नहीं मिल रहीं थीं और न कोई गवाह था। ऐसे में लाश के टुकड़ों को फॉरेंसिक जांच के लिए भेजा गया। जांच में पता चला कि कि शव एक महिला का है। हाथ-पैर पर गहने देखकर अंदाजा लगाया गया कि यह हत्या लूट के लिए नहीं हुई थी। पुलिस ने शक के आधार पर मामले की जांच शुरू की थी और बाद में जो पता चला उसने सबको हैरान कर दिया।
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कैसे की पुलिस ने जांच की शुरूआत
फॉरेंसिक जांच में जब पता चला कि लापता शव महिला का है। उसके बाद पुलिस ने जांच की शुरूआत जिले में लापता महिलाओं की सूची से की। जल्द ही 42 वर्षीय बी लक्ष्मीदेवी उर्फ लक्ष्मीदेवम्मा का नाम सामने आया, जो बेल्लावे गांव की रहने वाली थीं। उनके पति बसवराज ने गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई थी। उन्हें आखिरी बार 3 अगस्त को अपनी बेटी तेजस्वी के घर हनुमंतपुरा से निकलते देखा गया था। बाद में पुलिस को दो दिन बाद लापता सिर कोरतागेरे के एक सुनसान इलाके से मिला, जिसकी पहचान बसवराज ने की और पुष्टी हुई कि यह बसवराज की पत्नी हैं।
कैसे हुआ खुलासा
एसपी अशोक केवी ने केस को सुलझाने के लिए कई टीमें बनाई थीं। उन्हीं में से एक टीम को पता चला कि 3 अगस्त की दोपहर एक सफेद एसयूवी हनुमंतपुरा से कोरतागेरे की तरफ गई थी। जांच में पता चला कि गाड़ी के आगे और पीछे अलग-अलग, नकली नंबर प्लेट लगे थे। इसके अलावा बोनट में एक खास तरह का बदलाव था। पुलिस की काफी मशक्कत के बाद असली नंबर ट्रेस करने पर पता चला कि गाड़ी सतीश नाम के किसान की थी, जो उरदिगेरे गांव कोरतागेरे का निवासी है। अब सवाल यह था कि सतिश उस रास्ते से नकली नंबर प्लेट लगाकर क्यों गुजर रहा था, जहां बाद में शव के टुकड़े मिले थे?
सतीश के फोन से हुआ भांडाफोड़
पुलिस ने सतीश के फोन का रिकॉर्ड चेक किया, जिसके बाद पता चला कि 3 अगस्त को लक्ष्मीदेवम्मा के गायब होने के बाद उसका फोन बंद हो गया था और अगले दिन तक बंद था। स्थानीय लोगों से पूछताछ के बाद पता चला कि 3 और 4 अगस्त को उसकी SUV को खेत में खड़ी थी। बाद में पुलिस ने उसे पूछताछ के लिए थाने पर बुलाया था लेकिन वह थाने नहीं आया। ऐसे में पुलिस की एक टीम ने सतीश का पीछा कर होरानाडु मंदिर में उसे और उसके साथी किरण को पकड़ लिया। सतीश ने पुलिस के सामने पूरा राज खोल दिया और बताया कि रामचंद्रैया नामक शख्स ने उसे मारने के लिए पैसे दिए थे।
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दामाद ने कराई थी हत्या
आरोपी सतीश से मिली जानकारी और एसयूवी के खरीद की जांच करने के बाद पता चला कि 6 महीने पहले रामचंद्रैया ने ही यह गाड़ी खरीदी थी। रामचंद्रैया दांत का डॉक्टर था और रिश्ते में यह मृतका का दामाद लगता था। पुलिस ने रामचंद्रैया को पूछताछ के लिए बुलाया था, जिसके बाद पता चला की उसी ने अपने सास की हत्या करवाई है।
पुलिस ने बताया कि रामचंद्रैया को शक था कि उसकी सास लक्ष्मीदेवम्मा उनकी शादी में दखल दे रही हैं और बेटी को गलत धंधे में धकेल रही हैं। रामचंद्रैया की उम्र 47 वर्ष है और यह उनकी दूसरी शादी थी। वह सास की हरकतों को बर्दाश्त नहीं कर पा रहे थे। उनका तीन साल का एक बच्चा भी है और उन्हें डर था कि सास उनका परिवार तोड़ देगी। ऐसे में उन्होंने 6 महीने पहले हत्या की योजना बनाई, और SUV सतीश के नाम खरीदी। उसके बाद सतीश और किरण को 4-4 लाख रुपये देने का लालच दिया और 50 हजार एडवांस भी दिए थे।
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लाश के किए थे 19 टुकड़े
पुलिस ने बताया कि राम चंद्रैया ने 3 अगस्त को अपनी सास को लिफ्ट दिया। SUV के अंदर सतीश और किरण पहले से ही बैठे थे। गाड़ी में बैठते ही उन्होंने लक्ष्मीदेवम्मा की गला घोंटकर हत्या कर दी और शव को सतीश के खेत में ले गए। अगले दिन धारदार हथियार से शव के टुकड़े किए और 19 अलग-अलग जगहों पर फेंक दिया। पुलिस ने बताया कि शव को जोड़ों से काटा गया था। पुलिस ने तीनों आरोपियों को गिफ्तार कर लिया है।
