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भारत के ब्लास्ट को 'धमाका', PAK वाले को 'आतंकवाद'; US एंबेसी की पोस्ट पर बवाल

दिल्ली के लाल किला के पास हुए कार ब्लास्ट में 12 लोगों की मौत हुई, जिसकी जांच NIA कर रही है।अमेरिकी दूतावास के देर से आए बयान पर लोगों ने नाराजगी जताई।

US Embassy

अमेरिकी दूतावास, Photo credit- Social Media

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दिल्ली में 10 नवंबर को लाल किला के पास हुए कार ब्लास्ट में 12 लोगों की मौत हो गई। हुंडई i20 कार से हुए इस ब्लास्ट की जांच NIA की टीम कर रही है। सरकार ने भी अपनी ओर से अभी किसी तरह की बयान नहीं दिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भूटान में कहा कि धमाके के साजिशकर्ताओं को बख्शा नहीं जाएगा। भारत में ब्लास्ट के अगले दिन पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद में ब्लास्ट हुआ जिसमें 12 लोगों की मौत हो गई। दोनों पर हुए हमले पर अमेरिकी दूतावास ने अपने सोशल मीडिया पर पोस्ट किया है। फर्क केवल इतना है कि भारत में अमेरिकी दूतावास ने हमले के एक दिन बाद पोस्ट किया जबकि पाकिस्तान में हुए हमले पर पोस्ट तुरंत किया गया। अमेरिकी एंबेसी के 1 दिन देर आए पोस्ट की लोग निंदा कर रहे हैं। 


एक दिन देरी से आए इस पोस्ट में आतंकवाद से जुड़ी किसी भी बात का जिक्र नहीं था पर लोगों का ऐसा मानना है कि असल में यह धमाका आतंकवाद ही था। अमेरिकी दूतावास के आधिकारिक हैंडल से पोस्ट किया गया, 'हमारी संवेदनाएं और प्रार्थना उन लोगों के परिवारों के साथ हैं जो कल रात नई दिल्ली में हुए भयानक विस्फोट में मारे गए। हम घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना करते हैं। एंबेसडर सर्जियो गोर।'

 

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अमेरिका की आलोचना

अमेरिकी दूतावास को कई सोशल मीडिया यूजर्स ने जोर देकर कहा कि इस्लामाबाद में हुए विस्फोट के बाद पाकिस्तान को दिए गए 'एकजुटता' संदेश की तुलना में अमेरिका के 'संदेश और प्रार्थनाएं' वाले पोस्ट में बहुत बड़ा अंतर है।

 

भारत में कई लोगों ने अमेरिकी दूतावास से सवाल किया कि उसने दिल्ली में हुए कार बम विस्फोट पर अपने संदेश में 'आतंकवाद' शब्द का इस्तेमाल क्यों नहीं किया, जबकि उसने पाकिस्तान के 'आतंकवाद के खिलाफ संघर्ष' का प्रमुखता से उल्लेख किया था।


भारत में सोशल मीडिया पर ज्यादातर लोगों ने कहा कि अमेरिकी दूतावास ने इस्लामाबाद में आज सुबह हुआ हुए विस्फोट की निंदा करने में देर नहीं लगाई  लेकिन उसने विस्फोट के एक दिन बाद दिल्ली में उन परिवारों के लिए एक संदेश पोस्ट किया जिन्होंने अपने परिवार वालों को खो दिया था।

 

इस पर एक यूजर बैंकर शिवा मुदगिल ने कहा, 'देश में अमेरिकी दूतावास को यहां हुए आतंकवादी हमले पर दुख जताने में लगभग एक दिन का समय लग गया जबकि पाकिस्तान हमले के बारे में ट्वीट करने में ज्यादा समय नहीं लगाया। ऐसा लगता है कि भारत में आतंकवाद को अन्य जगहों की तुलना में अलग नजरिए से देखा जाता है।' एक अन्य ने लिखा, 'दुख जताने के लिए शब्दों के चयन और पोस्ट करने में देरी भारत में आतंकवाद को देखने में तरीके  में चिंताजनक दोहरे मापदंड को दर्शाती है।'

 

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पाकिस्तान के लिए किया गया पोस्ट

इस्लामाबाद स्थित अमेरिकी दूतावास के आधिकारिक एक्स हैंडल पर पोस्ट किया गया, 'आतंकवाद के खिलाफ संघर्ष में अमेरिका पाकिस्तान के साथ एकजुटता से खड़ा है। आज के इस बेतुके हमले में जान गंवाने वालों के परिवारों के प्रति हमारी संवेदना। हम घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना करते हैं। हम इस हमले और सभी प्रकार के आतंकवाद की निंदा करते हैं और पाकिस्तान सरकार के उनके देश में शांति और स्थिरता सुनिश्चित करने के प्रयासों का समर्थन करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।'

पूर्व RAW चीफ विक्रम सूद  ने कहा कि चीन एक तात्कालिक खतरा है जबकि अमेरिका दूरस्थ खतरा है। उनका मानना है कि हमने अमेरिका के बारे में सतही तौर पर जानकारी जुटाई है जबकि हमें उसके बारे में बहुत गहराई से पढ़ना चाहिए। हमें उनका पूरा इतिहास पढ़ना चाहिए। इसमें किसी भी तरह की लापरवाही नहीं बरतनी चाहिए। 


पिछले कुछ महीनों से अमेरिका भारत के खिलाफ एक तरीके का ट्रेड वॉर छेड़े हुए हैं जिसके अंतर्गत अमेरिका में भारत से आने वाले सामानों पर भारी शुल्क लगा दिया था। अमेरिकी राष्ट्रपति ने पाकिस्तान के सेना प्रमुख असीम मुनीर को भी अपना 'पसंदीदा फील्ड मार्शल' बताया था। अमेरिका के ऑपरेशन सिंदूर शुरू होने के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच लंबे समय तक चलने वाले लड़ाई को रोकने में  उनकी अहम भूमिका है। जिसे भारत ने पूरी तरह से नकारा है। 

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