धर्मेंद्र के करियर के लिए उनकी यह फिल्म टर्निंग प्वाइंट साबित हुई थी। फिल्म में उनके डायलॉग बहुत ही कम थे लेकिन उनकी ऐक्टिंग और एक्सप्रेशन कमाल के थे।
धर्मेंद्र की कॉमेडी मूवी 'चुपके चुपके' दर्शकों को खूब पसंद आई थी। फिल्म में उनकी जबरदस्त परफॉर्मेंस को दर्शकों ने खूब पसंद किया था।
मनमोहन देसाई की फिल्म 'धर्मवीर' में धर्मेंद्र और जितेंद्र ने मुख्य़ भूमिका निभाई थी। फिल्म की कहानी दो भाइयों धर्म और वीर पर आधारित है जो जन्म के बाद अलग हो गए थे और बाद में एक- दूसरे के दुश्मन बन जाते हैं।
'यादों की बारात' तीन भाइयों की कहानी है। तीनों भाई माता-पिता की मौत के बाद एक-दूसरे से बिछड़ जाते हैं। फिल्म में टर्निंग प्वाइंट तब आता है जब तीनों भाई साथ आते हैं।
रमेश सिप्पी की फिल्म 'शोले' ब्लॉकबस्टर हिट थी। फिल्म में धर्मेंद्र ने वीरू का किरदार निभाया था।
'मेरा गांव मेरा देश' में धर्मेंद्र, आशा पारेख और विनोद खन्ना मुख्य भूमिका में थे। फिल्म की कहानी एक शातिर चोर अजीत के इर्दगिर्द घूमती है जो गांव में फैले डाकू जज्बार सिंह के आतंक को खत्म उठाने का बीड़ा उठाता है।
'सत्यकाम' में धर्मेंद्र की ऐक्टिंग को दर्शकों और क्रिटिक्स ने खूब सराहा था। इस फिल्म में उन्होंने सत्यप्रिय का किरदार निभाया था। फिल्म में उन्होंने ईमानदार व्यक्ति का किरदार निभाया था।
'फूल और पत्थर' का निर्देशन ओ.पी रल्हन ने किया था। यह फिल्म उनके करियर के लिए मील का पत्थर साबित हुई थी।
'सीता और गीता' दो जुड़वां बहनों की कहानी है। फिल्म में हेमा मालिनी ने डबल रोल प्ले किया था। इस फिल्म में धर्मेंद्र लीड रोल में थे।