इसी दिन भगवान विष्णु के छठे अवतार परशुराम का जन्म हुआ था, इसलिए इसे परशुराम जयंती के रूप में भी मनाया जाता है।
जब पांडव वनवास में थे, तब श्रीकृष्ण ने द्रौपदी को एक ऐसा बर्तन दिया जिससे कभी भी भोजन खत्म नहीं होता था। यह चमत्कार अक्षय तृतीया पर ही हुआ।
मान्यता है कि इस शुभ तिथि से त्रेता युग का आरंभ हुआ था, जिसमें भगवान राम का जन्म हुआ।
पौराणिक कथा के अनुसार, गंगा माता इसी दिन स्वर्ग से धरती पर उतरी थीं, इसलिए गंगा स्नान का विशेष महत्व है।
इस दिन कुबेर को धन का अधिपति बनाया गया था। इसलिए इस दिन को धन-संपत्ति की दृष्टि से बहुत शुभ माना जाता है।
अक्षय तृतीया पर सच्चे मन से लक्ष्मी माता की पूजा करने पर घर में बरकत और समृद्धि आती है।
इस दिन विष्णु भगवान की पूजा करने से पाप दूर होते हैं और जीवन में शुभता बढ़ती है।
अक्षय तृतीया को ऐसा दिन माना जाता है जब बिना पंडित से पूछे भी शादी या नया काम शुरू किया जा सकता है।
इस दिन जल, अन्न, वस्त्र, स्वर्ण, छाता, और पंखे का दान करने से अक्षय पुण्य मिलता है और पितरों की आत्मा को शांति मिलती है।