वित्त मंत्री लोकसभा में हर साल फरवरी के पहले सप्ताह में केंद्रीय बजट पेश करते हैं।
बजट पर सामान्य चर्चा होती है, जिसमें सांसद बजट के विभिन्न पहलुओं पर अपनी राय रखते हैं।
विभिन्न मंत्रालयों और विभागों की वित्तीय जरूरतों को पेश किया जाता है।
संसदीय स्थायी समितियां मंत्रालयों की अनुदान मांगों की विस्तार से समीक्षा करती हैं।
लोकसभा में अनुदान मांगों पर चर्चा और बहस होती है।
सांसद अनुदान मांगों में कटौती का प्रस्ताव रख सकते हैं, जिसे कट मोशन कहा जाता है।
अनुदान मांगों पर लोकसभा में मतदान होता है और बहुमत से मंजूरी दी जाती है।
बजट का वित्तीय भाग वित्त विधेयक के रूप में पेश किया जाता है।
बजट और वित्त विधेयक को राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद यह कानून बन जाता है।