भगवान विष्णु को समर्पित यह धाम साल में सिर्फ छह महीने खुला रहता है, क्योंकि सर्दियों में यहां भारी बर्फबारी होती है।
बद्रीनाथ मंदिर की शालिग्राम शिला को स्वयं आदि शंकराचार्य ने नारद कुंड से निकाला था, जिसे आज तक कोई हिला नहीं पाया।
भगवान शिव का यह धाम समुद्र तल से 11,755 फीट की ऊंचाई पर स्थित है।
2013 की भीषण बाढ़ में पूरा क्षेत्र तबाह हो गया, लेकिन मंदिर को कोई नुकसान नहीं हुआ, जिसे चमत्कार माना जाता है।
यह गंगा नदी का उद्गम स्थल माना जाता है, जहां माता गंगा को धरती पर लाने की कथा जुड़ी है।
गंगा नदी के जल का तापमान हमेशा एक समान रहता है, चाहे कितनी भी ठंड क्यों न हो।
यह यमुना नदी का उद्गम स्थल है, जहां देवी यमुना की पूजा होती है।
यहां स्थित सूर्य कुंड में पानी इतना गर्म है कि भक्त इसमें चावल और आलू उबालकर प्रसाद के रूप में ग्रहण करते हैं।
सभी चार धामों का निर्माण आदि शंकराचार्य ने करवाया था और संयोग से उनका निधन भी केदारनाथ में ही हुआ।