सनातन परंपरा में साधु-संत और महात्मा एक अभिन्न हिस्सा कहे जाते हैं।
बता दें कि साधु-संतों की कई श्रेणियां हैं, जो अपने अलग-अलग साधना के तरीकों के लिए प्रसिद्ध हैं।
अघोरी साधु तांत्रिक मार्ग पर चलते हैं और ये भगवान शिव के अघोर रूप की उपासना करते हैं।
अघोरी शव साधना, तंत्र साधना और ध्यान के माध्यम से आत्मा को शुद्ध करने का प्रयास करते हैं।
नागा साधु मुख्य रूप से वैराग्य और शारीरिक तपस्या का पालन करते हैं।
नागा कठोर तपस्या करते हैं। साथ ही ये योग, ध्यान और शस्त्र विद्या में भी पारंगत होते हैं।
साधु भगवान के किसी विशेष रूप, जैसे राम, कृष्ण, शिव, या देवी की आराधना करते हैं।
साधु भगवद्गीता, वेद, उपनिषद और अन्य धर्मग्रंथों का अध्ययन और प्रचार करते हैं।
संत उन्हें कहा जाता है, जिन्होंने उच्च आध्यात्मिक ज्ञान और मोक्ष की प्राप्ति हो चुकी होती है।