कुंभ मेले का उल्लेख सबसे पहले ऋग्वेद में मिलता है, जो लगभग 1500 ईसा पूर्व का है।
महाभारत में भी कुंभ मेले का उल्लेख है, जहां भगवान कृष्ण ने अपने भाइयों के साथ कुंभ मेले में भाग लिया था।
पुराणों में भी कुंभ मेले का उल्लेख है, जहां इसके महत्व और महिमा का वर्णन किया गया है।
आदि शंकराचार्य ने 8वीं शताब्दी में कुंभ मेले को पुनर्जीवित किया और इसके महत्व को बढ़ावा दिया।
मुगल और ब्रिटिश शासन के दौरान कुंभ मेले का आयोजन जारी रहा।
भारत की आजादी के बाद, कुंभ मेले का आयोजन और भी बड़े पैमाने पर होने लगा।
2017 में, कुंभ मेले को यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर के रूप में मान्यता प्राप्त हुई।
आज कुंभ मेला दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन है, जिसमें लाखों लोग भाग लेते हैं और इसके महत्व को बढ़ावा देते हैं।
कुंभ मेले से जुड़ी कई पौराणिक कथाएं हैं, जिनमें से एक यह है कि भगवान विष्णु ने समुद्र मंथन के दौरान अमृत कलश को प्राप्त किया था।
कुंभ मेला हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण त्योहार है, जो हमें अपने धर्म और संस्कृति के प्रति जागरूक करता है।