नागा साधु बनने की यात्रा में सबसे पहला कदम ‘मुमुक्षु’ बनना है। जिसमें अखाड़े में शरण लेनी होती है।
दीक्षा लेने के लिए पहले अखाड़ों में आवेदन दिया जाता है और फिर उनकी जांच की जाती है।
उम्मीदवार को एक गुरु बनाना होता है और उनकी सेवा करनी होती है।
जो अच्छा प्रदर्शन करते हैं, उन्हें महापुरुष की उपाधि प्राप्त होती है और उनका पंच संस्कार किया जाता है।
महापुरुषों को तीन दिन तक उपवास का पालन करना होता है और वह अपना श्राद्ध भी करते हैं।
सभी पहापुरुष अपने साथ-साथ अपने पूर्वजों का पिंडदान और श्राद्ध करते हैं।
इसके बाद महामंडलेश्वर, आचार्य गुरु मंत्र देते हैं और उन्हें धर्म ध्वजा के नीचे बैठकर मंत्र का जाप करना होता है।
महापुरुषों को नदी के तट पर ले जाया जाता है और वहां वह 108 डुबकियां लगवाई जाती है।
इसके पश्चात 24 घंटे का उपवास रखना पड़ता है और पहले तनतोड़ संस्कार किया जाता है।