महंत से नागा साधु तक, अखाड़ों का पद

अखाड़ों का महत्व

महाकुंभ में अखाड़ों का विशेष महत्व है, जिन्हें धर्म के प्रचार-प्रसार, तप और साधना का केंद्र माना जाता है।

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देशभर में 13 प्रमुख अखाड़े

देशभर में 13 प्रमुख अखाड़े हैं, जो शैव परंपरा, वैष्णव परंपरा और उदासीन परंपरा का पालन करते हैं।

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महामंडलेश्वर

महामंडलेश्वर अखाड़े का सर्वोच्च पद होता है। इसका चयन अखाड़े के वरिष्ठ संतों द्वारा किया जाता है।

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मंडलेश्वर

यह पद महामंडलेश्वर के बाद आता है, जो अखाड़े के प्रशासनिक कार्यों और धर्म प्रचार में सक्रिय भूमिका निभाते हैं।

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अचार्य महामंडलेश्वर

इसे बहुत उच्च पद माना जाता है। अचार्य महामंडलेश्वर संतों के लिए मार्गदर्शक की भूमिका निभाते हैं।

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श्री महंत

श्री महंत अखाड़े के विभिन्न कार्यों का प्रबंधन करते हैं और यह अखाड़े का एक महत्वपूर्ण पद है।

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नागा साधु

नागा साधु कठोर साधना और संयम का पालन करते हैं और साधना के साथ शस्त्र विद्या में भी निपुण होते हैं।

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अवधूत और दिगंबर

अवधूत और दिगंबर साधु वे होते हैं, जो सांसारिक मोह-माया को पूरी तरह त्याग चुके होते हैं।

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पंच

पंच का पद संतों की एक विशेष समिति है, जो अखाड़े के भीतर निर्णय लेते हैं।

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