ये है सबसे बड़े शस्त्रधारी अखाड़े की कहानी

महानिर्वाणी अखाड़े की स्थापना

महानिर्वाणी अखाड़े की स्थापना लगभग 11वीं शताब्दी में हुई थी।

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महानिर्वाणी अखाड़े का उद्देश्य

यह अखाड़ा भगवान शिव की उपासना और सनातन धर्म की रक्षा के लिए स्थापित किया गया था।

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इस परंपरा का किया जाता है पालन

महानिर्वाणी अखाड़ा वैदिक परंपरा और शैव दर्शन का पालन करता है।

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इसलिए है प्रसिद्ध

महानिर्वाणी अखाड़ा अपनी शस्त्रधारी परंपरा के लिए भी प्रसिद्ध है।

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रक्षा के लिए उठाए थे शस्त्र

मुगल और विदेशी आक्रमणकारियों के समय साधुओं ने धर्म की रक्षा के लिए हथियार उठाए।

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तीसरा सबसे बड़ा शस्त्रधारी अखाड़ा

महानिर्वाणी अखाड़े को तीसरा सबसे बड़ा शस्त्रधारी अखाड़ा भी कहा जाता है।

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साधुओं का उद्देश्य

इस अखाड़े में साधुओं का उद्देश्य नाम के अनुरूप निर्वाण की प्राप्ती है।

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महानिर्वाणी अखाड़े के पीठाधीश्वर

महानिर्वाणी पीठाधीश्वर स्वामी विशोकानंद भारती हैं, जो पूरा पदभार संभालते हैं।

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