परेड में यह घुड़सवार दस्ता राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की अगुवाई करता है।
61 कैवेलरी दुनिया की एकमात्र सक्रिय सेवारत हॉर्स कैवलरी रेजिमेंट है।
कुशल योद्धा के साथ-साथ रेजिमेंट के जवानों को धुड़सवारी में भी महारत हासिल है।
बेसिक मिलिट्री ट्रेनिंग के बाद 18 महीने की कड़ी ट्रेनिंग में जवानों को एक्सपर्ट राइडर बनाया जाता है।
ट्रेनिंग के दौरान हर जवान को अपने घोड़े के साथ मिलनसार होना पड़ता है।
घोड़ों की भी कड़ी ट्रेनिंग होती है। खास किस्म के घोड़ों का चुनाव किया जाता है।
रेजीमेंट के जवानों ने अब तक 12 अर्जुन और एक पद्मश्री पुरस्तकार जीता है। इसे कुल 39 युद्ध सम्मान मिल चुके हैं।
1918 में ओटोमैन साम्राज्य की सेना को हाइफा में शिक्सत दी थी।
इस रेजिमेंट में राजपूत, कायमखानी और मराठा जवानों को कड़ी ट्रेनिंग दी जाती हैं।
जवानों को घोड़ों की सार-संभाल और उनकी मालिश करनी होती है।