गलती करने पर साधुओं को भी मिलती है सजा

अखाड़ों के नियम

कुंभ के दौरान अखाड़ों में अनुशासन बनाए रखने के लिए कई नियम बनाए गए थे।

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कौन करता है अखाड़ों की देख-रेख?

कुंभ मेले के दौरान अखाड़ों की देखरेख और अनुशासन का ध्यान कोतवाल रखते हैं।

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गलती करने पर मिलती है सजा

साथ ही अखाड़े के साधु-संत यदि इन नियमों का उल्लंघन करते हैं तो इसकी सजा भी मिलती है।

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अखाड़े से निष्कासित

साधु-संत द्वारा अनुशासन का गंभीर उल्लंघन करने पर उन्हें अखाड़े से निष्कासित तक किया जा सकता है।

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गलती के लिए प्रायश्चित

गलती होने पर साधु को अपने गलती के लिए प्रायश्चित करने का आदेश दिया जाता है।

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ये हैं सजा

कठोर तप, उपवास, 108 डुबकी गंगा स्नान, छड़ी से पिटाई, मुर्गे की तरह घूमना आदि शामिल है।

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छीन लिया जाता है पद

अनुशासन तोड़ने पर साधु का पद छीन लिया जाता है और अनुष्ठान में शामिल होने से रोक दिया जाता है।

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दिया जाता है आर्थिक दंड

कुछ मामलों में, साधु को आर्थिक दंड भी मिलती है या गुरु कुटिया की सेवा करनी होती है।

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कौन तय करते हैं सजा

अखाड़े के महामंडलेश्वर सजा तय करने में मुख्य भूमिका निभाते हैं।

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