भगवान शिव के सात शिष्य- सप्तऋषि

भगवान शिव का गुरु रूप

भगवान शिव ने योग, ध्यान, वेद, तंत्र और आत्मज्ञान के रहस्य अपने सात शिष्यों को सिखाए, जिन्हें सप्तऋषि कहा जाता है।

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सप्तऋषियों की उत्पत्ति

सप्तऋषि वे सात महान ऋषि हैं जिन्हें ब्रह्मा ने सृष्टि की शुरुआत में ज्ञान और धर्म को आगे बढ़ाने के लिए उत्पन्न किया। परंतु भगवान शिव ने उन्हें योग और ब्रह्मज्ञान की शिक्षा दी।

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सप्तऋषियों के नाम

भगवान शिव के सप्त शिष्य और सप्तऋषियों के नाम हैं — अत्रि, भृगु, कुत्स (या गौतम), वशिष्ठ, अंगिरा, मरीचि, पुलह।

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सप्तऋषि के नामों में भिन्नता

कभी-कभी सूची में भिन्नता पाई जाती है, जैसे वशिष्ठ, विश्वामित्र, जमदग्नि, भारद्वाज, कश्यप आदि को शामिल किया जाता है, क्योंकि सप्तऋषि मंडल समय के अनुसार बदलते हैं।

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गुरु शिव द्वारा दिया गया ज्ञान

शिव ने सप्तऋषियों को ब्रह्मा-विज्ञान, आत्मा का स्वरूप, पंचमहाभूत, ध्यान योग, प्राणायाम, और तंत्र विद्या की शिक्षा दी।

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ऋषियों की भूमिका धर्म विस्तार में

भगवान शिव से ज्ञान प्राप्त कर इन ऋषियों ने वेदों की रचना में सहायता की, विभिन्न आश्रमों की स्थापना की और अनेक धर्मग्रंथों को साकार किया।

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योग का पहला संप्रेषण

शिव को आदि योगी कहा जाता है — यानी योग के पहले शिक्षक। सप्तऋषियों को उन्होंने योग के आठ अंग सिखाए, जिन्हें उन्होंने दुनिया में फैलाया।

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सप्तऋषि मंडल और उनका आकाशीय रूप

सप्तऋषियों को इतना महान माना गया कि आकाश में उनके नाम पर 'सप्तर्षि मंडल' नामक तारामंडल को पहचाना जाता है।

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