महाकुंभ में शाही स्नान के दौरान भव्य जुलूस के रूप में सभी अखाड़े संगम में स्नान करते हैं।
इन बारातियों में विभिन्न अखाड़ों के नागा साधु, महामंडलेश्वर, महंत और अन्य संन्यासी शामिल होते हैं।
शाही स्नान को सबसे पवित्र माना जाता है और इसमें स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति का विश्वास है।
साधु-संत ढोल-नगाड़ों, झंडों और धार्मिक ध्वजाओं के साथ भव्य रूप से पेश होते हैं।
नागा साधु अक्सर बिना कपड़ों के, शरीर पर भस्म लगाए और त्रिशूल व अन्य अस्त्रों के साथ नजर आते हैं।
प्रत्येक अखाड़े का स्नान का समय और क्रम पहले से तय होता है।
शाही बारात में हाथी, घोड़े और बग्घियों का इस्तेमाल होता है, जो इसे राजसी रूप देता है।
यह आयोजन महाकुंभ का मुख्य आकर्षण होता है, जिसे देखने लाखों श्रद्धालु जुटते हैं।
अखाड़े अपनी आध्यात्मिक और संगठनात्मक शक्ति का प्रदर्शन करते हैं।