कुंभ में क्यों निकलती है शाही बारात?

शाही स्नान

महाकुंभ में शाही स्नान के दौरान भव्य जुलूस के रूप में सभी अखाड़े संगम में स्नान करते हैं।

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अखाड़ों की परंपरा

इन बारातियों में विभिन्न अखाड़ों के नागा साधु, महामंडलेश्वर, महंत और अन्य संन्यासी शामिल होते हैं।

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धार्मिक महत्व

शाही स्नान को सबसे पवित्र माना जाता है और इसमें स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति का विश्वास है।

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भव्य जुलूस

साधु-संत ढोल-नगाड़ों, झंडों और धार्मिक ध्वजाओं के साथ भव्य रूप से पेश होते हैं।

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पहचान

नागा साधु अक्सर बिना कपड़ों के, शरीर पर भस्म लगाए और त्रिशूल व अन्य अस्त्रों के साथ नजर आते हैं।

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क्रम से स्नान

प्रत्येक अखाड़े का स्नान का समय और क्रम पहले से तय होता है।

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राजसी ठाठ

शाही बारात में हाथी, घोड़े और बग्घियों का इस्तेमाल होता है, जो इसे राजसी रूप देता है।

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आकर्षण का केंद्र

यह आयोजन महाकुंभ का मुख्य आकर्षण होता है, जिसे देखने लाखों श्रद्धालु जुटते हैं।

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आध्यात्मिक शक्ति प्रदर्शन

अखाड़े अपनी आध्यात्मिक और संगठनात्मक शक्ति का प्रदर्शन करते हैं।

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