भारत के राज्यों में सबसे ज्यादा कर्ज उत्तर प्रदेश पर है। यह आंकड़े RBI और अन्य रिपोर्ट्स के आधार पर हैं, जहां कर्ज की कुल राशि के लिहाज से बड़े राज्य शीर्ष पर हैं।
2024-25 के अनुमानों के अनुसार, यूपी की कर्ज की कुल राशि लगभग 8.35 लाख करोड़ रुपये से अधिक।
2024-25 के अनुमानों के अनुसार, देश की आर्थिक राजधानी पर कर्ज की कुल राशि लगभग 7.23 लाख करोड़ रुपये से अधिक।
2024-25 के डेटा की मानें तो पश्चिम बंगाल के कर्ज की कुल राशि 6.58 लाख करोड़ रुपये से अधिक।
ताजा डेटा के अनुसार कर्नाटक पर कुल कर्ज 5.98 लाख करोड़ रुपये से अधिक।
कर्ज को जीएसडीपी के प्रतिशत में मापने पर पंजाब सबसे ऊपर है (40.35%), उसके बाद नागालैंड (37.15%) और पश्चिम बंगाल (33.70%)।
CAG रिपोर्ट 2022-23 के अनुसार, आठ राज्यों का कर्ज जीएसडीपी के 30% से अधिक है।
पिछले 10 वर्षों में राज्यों का कुल कर्ज 17.57 लाख करोड़ से बढ़कर 59.60 लाख करोड़ हो गया, मुख्यतः खर्च बढ़ने और राजस्व घाटे से।
राज्यों ने मुख्य रूप से बाजार उधार (बॉन्ड, ट्रेजरी बिल), बैंक, RBI WMA, LIC और NABARD से कर्ज लिया।