कनाडा जाकर पढ़ाई करना और वहां नौकरी करना लाखों भारतीय स्टू़डेंट्स का सपना होता है। भारत के पंजाब, हरियाणा और गुजरात समेत कई राज्यों से हर साल हजारों स्टूडेंट्स कनाडा जाते हैं जिनमें बहुत सारे वहीं नौकरी करके सेटल हो जाते हैं। कनाडा की परमानेंट रेजिडेंस की रेस में भी भारतीय सबसे आगे हैं लेकिन कनाडा जाकर अपने सपनों को पूरा करने का सपना अब कुछ ही युवा कर पाएंगे। कनाडा सरकार ने अपने बजट में नया इमिग्रेशन लेवल प्लान जारी किया है। इस प्लान के अनुसार, कनाडा परमानेंट रेजिडेंसी को बढ़ाएगा और देश में आने वाले स्टूडेंट्स और वर्क परमिट की संख्या को कम करके टेंपरेरी रेजिडेंट्स को कम करेगा। 

 

कनाडा ने अपने बजट में बताया है कि सरकार अगले तीन सालों में वर्क परमिट पर काम कर रहे 33,000 वर्कर्स को कनाडा की परमानेंट रेजिडेंसी देगी। इसके साथ ही कनाडा सरकार ने स्टूडेंट्स और वर्क परमिट की संख्या भी निर्धारित कर दी है और इस संख्या में पिछले सालों की तुलना में अच्छी खासी गिरावट दर्ज की गई है। सरकार के इस फैसले से अब उन युवाओं की चिंता बढ़ गई है जो कनाडा में जाकर पढ़ाई करने और वहां सेटल होने का सपना देख रहे थे। भारत और कनाडा के रिश्तों में तनाव के चलते पहले ही कनाडा भारतीय छात्रों की संख्या कम कर रहा है। 

 

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अगले तीन साल का लक्ष्य

इस फैसले के बारे में जानकारी देते हुए कनाडा के प्रधानमंत्री मार्क कार्नी ने कहा कि देश अब उन प्रवासियों पर ध्यान देगा जो स्थानीय अर्थव्यवस्था में योगदान दे सकें और ग्रामीण इलाकों में काम करने को तैयार हों। सरकार उन्हीं लोगों पर ध्यान दे रही है, जो लंबे समय तक कनाडा में रहकर काम करना चाहते हैं। सरकार का तर्क है कि टेंपरेरी रेजिडेंट्स की संख्या बहुत ज्यादा बढ़ जाने के कारण हाउसिंग, हेल्थकेयर और जॉब सेक्टर पर दबाव बढ़ गया है।

 

सरकार ने 2025 में कुल 6.73 लाख और 2026 में 3.85 लाख विदेशी लोगों को टेंपरेरी रेजिडेंसी देने का लक्ष्य रखा है। यह पहले की तुलना में 43 प्रतिशत कम है। इसके साथ ही विदेशी छात्रों की संख्या में 49 प्रतिशत और वर्क परमिट धारकों की संख्या 37 प्रतिशत से कम करने का का लक्ष्य रखा गया है। हालांकि, सरकार ने पर्मानेंट रेजिडेंसी यानी पीआर देने के टारगेट में कोई बदलाव नहीं किया है। सरकार पहले की ही तरह हर साल 3.80 लाख लोगों को कनाडा की पीआर देगी। 

भारत पर पड़ेगा असर?

कनाडा सरकार के इस नए प्लान के अुसार, स्टूडेंट वीजा के मौके घटेंगे। कनाडा करीब 50 प्रतिशत स्टूडेंट्स वीजा में कटौती करेगा। अब कनाडा पहले की तुलना में आधे छात्रों को ही वीजा देगा। इसका सबसे ज्यादा असर भारतीय स्टूडेंट्स पर ही होगा क्योंकि भारतीय छात्र कनाडा में सबसे ज्यादा हैं और कनाडा जाने वालों की भारत में लंबी कतार है। हालांकि, जो लोग पहले से ही कनाडा में वर्क परमिट लेकर रह रहे हैं उन्हें राहत मिलेगी। उन लोगों को अब कनाडा का नागरिक बनने का मौका मिल सकता है लेकिन नए वर्क परमिट पर आने वालों को दिक्कत हो सकती है। सरकार अस्थायी वर्क परमिट की संख्या कम कर रही है। 

ये पाबंधियां भी होंगी लागू

सरकार के इस प्लान के अलावा भी कनाडा में विदेशी स्टूडेंट्स को दिक्कत का सामना करना पड़ सकता है। इमिग्रेशन, रिफ्यूजी एंड सिटिजिनशिप कनाडा (IRCC) ने टेंपरेरी रेजिडेंट डॉक्यूमेंट्स कैंसिल करने के संबंध में नई ऑपरेशनल गाइडलाइंस जारी की है। इन गाइडलाइंस के अनुसार, नियमों का पालन ना करने वाले वर्क परमिट और स्टडी वीजा को एयरपोर्ट पर ही कैंसिल किया जाएगा। अब इमिग्रेशन ऑफिसर को कानूनी अधिकार दे दिए गए हैं। अगर कनाडा जाने की सभी शर्तों और नियमों को पूरा नहीं किया जाता तो एयरपोर्ट पर ही इमिग्रेशन अधिकारी स्टडी वीजा और वर्क परमिट कैंसिल कर सकता है। 

 

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स्टूडेंट वीजा कम करने का भारत पर असर

कनाडा सरकार स्टूडेंट वीजा को कम करने के प्लान पर पहले से ही काम कर रही है। न्यूज एजेंसी एएनआई की रिपोर्ट के अनुसार, सरकारी डेटा में इस बात का खुलासा हुआ है कि कनाडा ने स्टूडेंट वीजा अप्लीकेशन्स को खारिज किया है और इसका सबसे ज्यादा असर भारत पर पड़ा है। रिपोर्ट्स के अनुसार, कनाडा ने इंटरनेशनल स्टडी परमिट की संख्या लगातार दूसरे साल भी कम कर दी है। डेटा के अनुसार, अगस्त 2025 में भारत से 74 प्रतिशत स्टूडेंट वीजा अप्लीकेशन खारिज कर दिए गए हैं। 2024 में अगस्त महीने में सिर्फ 32 प्रतिशत स्टूडेंट वीजा अप्लीकेशन ही खारिज किए गए थे।