भारत में कई मशहूर कॉलेजों और यूनिवर्सिटी में एडमिशन के लिए छात्रों के बीच कड़ा मुकाबला होता है। एंट्रेस एग्जाम देने के बावजूद बहुत सारे बच्चे फाइनल मेरिट लिस्ट में अपनी जगह नहीं बना पाते हैं। ऐसे बच्चे मैनेजमेंट कोटा के जरिए ए़डमिशन लेने की कोशिश करते हैं। वहीं, भारत में दूसरे देशों की तुलना में सस्ती एजुकेशन होने के कारण नॉन-रेजिडेंट इंडियन (एनआरआई) भी भारत में पढ़ाई के लिए आते हैं। इनके लिए लगभग हर संस्थान में एनआरआई कोटा के तहत कुछ सीटें रिजर्व होती हैं। इन दोनों कैटेगरी में एडमिशन के बारे में बहुत से छात्रों को जानकारी नहीं होती और इन दोनों कैटेगरी में डॉक्यूमेंटेशन ज्यादा होने के कारण एडमिशन प्रोसेस लंबा हो जाता है।
एनआरआई कोटा एक खास तरह का रिजर्वेशन है, जिसके जरिए एनआरआई स्टूडेंट्स के लिए कई कॉलेजों में सीटें रिजर्व की जाती हैं। खासकर मेडिकल और इंजीनियरिंग में एनआरआई कोटा के तहत सीटें रिजर्व की जाती हैं। यह कोटा 15 प्रतिशत तक हो सकता है और इसमें प्राइवेट और सरकारी दोनों संस्थान शामिल होते हैं। जब छात्रों का नाम मेरिट लिस्ट में नहीं आता तो वे इस कोटा का इस्तेमाल करते हैं। इस कोटा के तहत एडमिशन लेने पर नॉर्मल मेरिट से ज्यादा फीस देनी पड़ती है।
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मैनेजमेंट कोटा क्या है?
मैनेजमेंट कोटा ज्यादातर प्राइवेट संस्थानों में लागू होता है। इसमें 20 से 40 प्रतिशत सीटें होती हैं। इस कोटे के तहत कॉलेज मैनेजमेंट अपने हिसाब से एडमिशन देता है। हालांकि, इसके लिए भी कुछ नियम निर्धारित होते हैं लेकिन यह नॉर्मल मेरिट एडमिशन से अलग होते हैं। इस कोटे का इस्तेमाल भारतीय नागरिक भी कर सकते हैं। इसमें एडमिशन के लिए आपको न्यूनतम योग्ता चाहिए होती है और मैनेजमेंट कोटा के तहत एडमिशन के लिए अप्लाई करना होता है।
एडमिशन प्रोसेस?
अगर आप इन दोनों कोटा के तहत एडमिशन लेना चाहते हैं तो आपको एडमिशन फॉर्म में ही कैटेगरी सेलेक्ट करनी होती है। कई संस्थानों में इन दोनों कैटेगरी में एडमिशन के लिए अलग से फॉर्म निकलते हैं। एनआरआई कोटे में एडमिशन के लिए एनआरआई स्टेटस वेरिफिकेशन भी जरूरी है। इसके लिए आप पासपोर्ट, वीजा,स्पॉन्सरशिप लेटर जैसे डॉक्यूमेंट जमा करवा सकते हैं। वहीं मैनेजमेंट कोटा में एडमिशन के लिए 12वीं मार्कशीट, एंट्रेंस स्कोरकार्ड, ID प्रूफ, ट्रांसफर सर्टिफिकेट जैसे डॉक्यूमेंट्स लगाने होंगे।
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कोटे का फायदा और नुकसान
एनआरआई कोटा और मैनेजमेंट कोटा के तहत एडमिशन लेने के कई फायदे हैं तो कुछ नुकसान भी हैं। इसमें नॉर्मल मेरिट लिस्ट से कम बच्चे अप्लाई करते हैं तो एडमिशन आसानी से हो सकती है। मैनेजमेंट कोटा के जरिए आप कई टॉप प्राइवेट कॉलेजों में एडमिशन ले सकते हैं। एनआरआई कोटा के तहत सरकारी कॉलेजों में भी एडमिशन ले सकते हैं।
हालांकि, इन दोनों कोटा के तहत एडमिशन लेने के लिए आपको अन्य छात्रों से कहीं ज्यादा फीस देनी पड़ सकती है और एनआरआई कोटा के दस्तावेज इकट्ठा करने में भी आपको काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है। कई कॉलेजों ने एनआरआई और मैनेजमेंट कोटा की फीस सरकार की ओर से तय 45 लाख से भी कहीं ज्यादा कर दी है। इसी साल जुलाई में द हिंदू की एक रिपोर्ट में दावा किया गया था कि कई प्राइवेट कॉलेजों ने पिछले साल की तुलना में 1 से 6 लाख तक फीस बढ़ा दी है।
