बिहार की बख्तियारपुर विधानसभा, पटना जिले के अंतर्गत आती है। यह विधानसभा, पटना साहिब संसदीय क्षेत्र का हिस्सा है। बख्तियारपुर,धनियांवा और खुसरूपुर सामुदायिक विकास खंडों को मिलाकर बनी है। विधानसभा का एक बड़ा हिस्सा कस्बाई इलाका है। विधानसभा का सियासी मिजाज ऐसा है कि यहां हर चुनाव में विधायक बदल जाते हैं। अनिरुद्ध कुमार यादव ही पहली बार 2005 में विधायक बने, फिर 2010 में बन पाए। 2015 हारे तो 2020 में विधायक बने। यह सीट कभी राष्ट्रीय जनता दल, कभी जनता दल यूनाइटेड के खाते में रही। यह शहर, बख्तियार खिलजी के नाम से जाना जाता है।
यह 12वीं शताब्दी का शहर है। कुतुबुद्दीन ऐबक का सेनापति बख्तियार खिलजी, यहां से होकर गुजरा था। उसने नालांदा विश्वविद्यालय को लूटकर जलाने के बाद इस शहर की स्थापना की थी। मगध के अतीत का चमकता इतिहास जलकर राख हो गया था। कुछ लोग यह भी मानते हैं कि इस शहर का नाम सूफी संत बख्तियार काकी के नाम पर पड़ा था। जिस शख्स ने बिहार और भारत को सबसे बड़ा घाव दिया, उसी के नाम पर यह शहर बसा है। जब इस शहर के नाम बदलने की कवायद शुरू हुई तो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस मांग को खारिज कर दिया। इस शहर के नाम बदलने की कवायद अक्सर की जाती है।
यह भी पढ़ें: साहेबपुर कमाल विधानसभा: JDU भेद पाएगी अजेय RJD का किला?
बख्तियारपुर विधानसभा: एक नजर
बख्तियारपुर शहरी इलाका है। बाढ़ शहर यहां से यहां की दूरी 15 किलोमीटर है। राजधानी पटना 46 किलोमीटर की दूरी पर है। रोड कनेक्टिविटी बेहतर है। प्रमुख शहरों को हाइवे जोड़ता है। बख्तियारपुर जंक्शन हो कर कई ट्रेनें गुजरती हैं। यहां का काली मंदिर प्रसिद्ध है। यह गंगा का मैदानी इलाका है। कृषि योग्य जमीनें भी हैं, अच्छी खेती भी होती है।
साल 2025 में बख्तियारपुर में कुल 300140 वोटर थे।
पुरुष मतदाताओं की संख्या 158239 है, वहीं महिला मतदाताओं की संख्या 141895 है। थर्ड जेंडर मतदाताओं की संख्या 6 है। बख्तियारपुर में 2024 के चुनाव में कुल 61 फीसदी वोट पड़े थे। बख्तियारपुर में मिश्रित आबादी है। यहां ठाकुर, भूमिहार और यादव मतदाताओं की सामाजिक पकड़ मजबूत है। अल्पसंख्यक समुदाय बहुत प्रभावी नहीं है। अनुसूचित जाति के वोटर भी निर्णायक भूमिका निभाते हैं। मुस्लिम मतदाता चुनाव प्रभावित करने की स्थिति में उतने मजबूत नहीं हैं।
यह भी पढ़ें: मटिहानी विधानसभा: CPI को जीत की आस, JDU-LJP के बीच सीट की लड़ाई
विधानसभा के मुद्दे क्या हैं?
बख्तियारपुर हाल के दिनों में अपराध की वजह से चर्चा में रहा है। यहां बुनियादी सुविधाओं में कमी को लेकर चुनावी शोर मचता है लेकिन काम नहीं हो पाता है। सड़क दुर्घटनाएं और अपराध आम हैं। खराब सड़कें, जल निकासी, पानी और बिजली पर लोग मुखर होकर बोल रहे हैं। यहां बाढ़ का भी असर दिखता है। पुलों की स्थिति ज्यादा खराब है। हाल ही में बख्तियारपुर और ताजपुर ब्रिज सुर्खियों में आया था। लोग फ्लाइओवर की मांग करते हैं, पलायन, रोजगार और स्वास्थ्य व्यवस्था को लेकर भी सुधार की मांग उठती है।
विधायक का परिचय
अनिरुद्ध कुमार यादव बख्तियारपुर के विधायक हैं। साल 2010 में वह पहली बार विधायक बने। वह राष्ट्रीय जनता दल के नेता हैं। अपनी विधानसभा में सक्रिय हैं। टोल प्लाजा कर्मियों के साथ उलझने की वजह से चर्चा में भी आ चुके हैं। साल 2020 के चुनावी हलफनामे में उन्होंने अपनी संपत्ति 1 करोड़ रुपये बताई थी। वह 12वीं पास है। राम लखन यादव कॉलेज, पटना से उन्होंने पढ़ाई की है।
2025 में क्या समीकरण बन रहे हैं?
हर 5 साल में यहां विधायक बदल जाते हैं। अगर यह पैटर्न जारी रहा तो नतीजे बीजेपी या एनडीए गठबंधन के पक्ष में आ सकते हैं। साल 2020 में आरजेडी ने यह सीट जीती थी। बीजेपी की नजर अनुसूचित जाति के वोटरों पर है। जीत हार में वे अहम भूमिका निभाते हैं। नीतीश कुमार ने कई लोक कल्याणकारी योजनाओं की शुरुआत की है, जिसका असर पड़ सकता है।
यह भी पढ़ें: परसा विधानसभा: चंद्रिका राय की होगी वापसी या RJD फिर मारेगी बाजी?
2020 का चुनाव कैसा था?
आरजेडी के अनिरुद्ध कुमार जीते थे। उन्हें कुल 89483 वोट हासिल हुए थे। दूसरे नंबर पर बीजेपी के रणविजय सिंह थे। उन्हें कुल 68811 वोट मिले थे। जीत का अंतर 20672 से ज्यादा था। कुल 171515 वोट पड़े थे। कुल 61 फीसदी लोगों ने वोट किया था।
सीट का इतिहास
बख्तियारपुर विधानसभा साल 1951 में अस्तित्व में आई थी। बख्तियारपुर में पहली बार 1952 में चुनाव हुआ था। अब तक 18 चुनाव हो चुके हैं। 1952 से 1990 तक कांग्रेस का दबदबा था। अब हर चुनाव में समीकरण बदल जाते हैं। अब बीजेपी और आरजेडी का दबदबा है।
- 1952: सुंदरी देवी, कांग्रेस
- 1957: मोहम्मद सलाहुद्दीन चौधरी, कांग्रेस
- 1962: राम यातन सिंह, कांग्रेस
- 1967: धरमबीर सिंह, कांग्रेस
- 1969: भोला प्रसाद सिंह, संयुक्त समाजवादी पार्टी
- 1972: भोला प्रसाद सिंह, कांग्रेस
- 1977: भूदेव सिंह, कांग्रेस
- 1980: राम लाखन सिंह यादव, कांग्रेस
- 1981: राम जयपाल सिंह यादव, कांग्रेस
- 1985: राम जयपाल सिंह यादव, कांग्रेस
- 1990: राम जयपाल सिंह यादव, कांग्रेस
- 1995: ब्रज नंदन यादव, जनता दल
- 2000: विनोद यादव, बीजेपी
- 2005 (फरवरी): अनिरुद्ध कुमार यादव, आरजेडी
- 2005 (अक्टूबर): विनोद यादव, बीजेपी
- 2010: अनिरुद्ध कुमार यादव, आरजेडी
- 2015: रणविजय सिंह यादव, बीजेपी
- 2020: अनिरुद्ध कुमार यादव, आरजेडी
