बिहार में एनडीए ने वह कर दिया है, जिसका अंदाजा भी नहीं था। एनडीए ने 200 से ज्यादा सीटें जीत लीं। 89 सीटें जीतकर बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बन गई है। जेडीयू ने 85 सीटें जीत ली हैं। एनडीए की इतनी बड़ी जीत का बड़ा फैक्टर महिलाओं को माना जा रहा है। 


जीत के बाद दिल्ली में बीजेपी मुख्यालय से दिए भाषण में भी पीएम मोदी ने भी इसका जिक्र किया। उन्होंने कहा कि बिहार की जीत ने M-Y का नया फॉर्मूला दिया है और वह है 'महिला' और 'यूथ'।


एनडीए की जीत की वजह महिलाओं को भी इसलिए बड़ा फैक्टर माना जा रहा है, क्योंकि इस बार चुनाव में महिलाओं ने रिकॉर्ड तोड़ वोटिंग की थी। महिलाओं और पुरुषों की वोटिंग में 8 फीसदी से ज्यादा का अंतर था। महिलाओं ने वोटिंग तो खूब की लेकिन क्या जीतीं भी? यह जानने से पहले समझते हैं कि बिहार में एनडीए की जीत में महिलाएं कैसे बड़ा फैक्टर साबित हुईं?

 

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NDA को मिला महिलाओं का वोट?

एनडीए को महिलाओं का वोटर माना जाता है। इस चुनाव में भी यही देखने को मिला। एक महिला बीजेपी कार्यकर्ता ने कहा, 'अरे हां हम बिहारी हैं जी, बहुत संस्कारी हैं जी, हम सबसे भारी नारी हैं जी।'


चुनाव आयोग के मुताबिक, इस बार कुल 66.91% वोटिंग हुई, जो बिहार के इतिहास में अब तक की सबसे ज्यादा है। इनमें 71.6% महिलाओं और 62.8% पुरुषों ने वोट डाला। आंकड़ें बताते हैं कि बिहार के 7 जिले ऐसे थे, जहां पुरुषों की तुलना में महिलाओं ने 14% से ज्यादा वोट डाला। वहीं, 10 जिलों में महिलाओं का वोटिंग प्रतिशत 10% से ज्यादा रहा।


चुनाव से पहले महिलाओं को साधने के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 1.21 करोड़ महिलाओं के खाते में 10 हजार रुपये डाले थे। यह पैसा उन्हें कारोबार शुरू करने के लिए दिया गया। नीतीश कुमार ने वादा किया कि जो कारोबार अच्छे होंगे, उन्हें 2 लाख रुपये की मदद भी दी जाएगी। जेडीयू समर्थकों का कहना है कि 2016 में नीतीश कुमार ने शराबबंदी की थी, जिसने उन्हें महिलाओं के बीच लोकप्रिय बना दिया।

 

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मगर विधायक कितनी बनीं?

चुनावी राजनीति में कुछ दशकों पहले तक महिलाओं की भूमिका बहुत कम होती है। हालांकि, अब महिलाएं निर्णायक भूमिका में आ गई हैं। मध्य प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान समेत कई राज्यों में महिलाओं के दम पर ही राजनीतिक पार्टियों ने सत्ता में वापसी की है।


हालांकि, इसके बावजूद अभी भी राजनीति में महिलाओं की हिस्सेदारी बहुत कम है। चुनाव आयोग के मुताबिक, इस बार बिहार के चुनावी मैदान में कुल 2,616 उम्मीदवार थे, जिनमें 258 ही महिलाएं थीं। यानी, चुनावी मैदान में 10 फीसदी से भी कम मैदान थीं।


लेकिन चुनाव में महिलाओं की जीतने की दर बहुत कम है। इस बार बिहार ने 28 महिलाओं को विधायक बनाया है। इसका मतलब हुआ कि जितनी महिला उम्मीदवार थीं, उनमें से लगभग 11 फीसदी महिलाएं जीतीं। विधानसभा में 243 विधायकों में से 11.5% महिलाएं होंगी।

 

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अलीनगर से मैथिली ठाकुर जीत गईं हैं। (Photo Credit: PTI)

किस पार्टी से कितनी महिला विधायक?

2020 के चुनाव में 25 महिलाएं ही विधायक बनी थीं। इस बार 28 महिलाएं विधायक बनी हैं। हालांकि, 2010 के चुनाव में 34 महिलाएं विधानसभा पहुंची थीं।


बीजेपी ने 12 महिलाओं को टिकट दिया था, जिनमें से 10 जीत गईं। वहीं, जेडीयू की 13 महिला उम्मीदवारों में से 9 ने जीत दर्ज की। चिराग पासवान की एलजेपी (आर) ने 6 महिलाएं उतारी थीं, जिनमें से 3 जीत गईं। सबसे अच्छा प्रदर्शन जीतन राम मांझी की हम पार्टी का रहा है। हम ने 2 महिलाओं को टिकट दिया था और दोनों जीतने में कामयाब रहीं। उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी राष्ट्रीय लोक मोर्चा (RLM) ने भी एक महिला को टिकट दिया था, जो जीत गई। 


वहीं, महागठबंधन की तरफ से आरजेडी ने सबसे ज्यादा 23 महिलाओं को टिकट बांटे थे लेकिन इनमें से सिर्फ 3 ही जीत सकी। कांग्रेस ने 5 महिलाओं को टिकट दिया था लेकिन कोई भी नहीं जीत पाई। मुकेश सहनी की VIP ने भी एक महिला को टिकट दिया था, जो हार गई। प्रशांत किशोर की पार्टी जन सुराज ने 25 महिलाओं को मैदान में उतारा था लेकिन इनमें से एक भी नहीं जीत पाई।