बिहार में एनडीए एकतरफा जीत गई है। एनडीए 200 से ज्यादा सीटें जीतकर सरकार बनाने जा रहा है। बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनी है, जिसने 89 सीटें जीत ली हैं। सीएम नीतीश कुमार की जेडीयू 85 सीटें जीती हैं। एनडीए की बाकी पार्टियों ने 29 सीटें जीती हैं। महागठबंधन 34 सीटों पर सिमट गया है। आरजेडी 25 और कांग्रेस सिर्फ 6 सीट ही जीत पाई।


चुनावी नतीजों के बाद कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने कहा कि बिहार के नतीजे चौंकाने वाले हैं। हम एक ऐसे चुनाव में जीत हासिल नहीं कर सके, जो शुरू से ही निष्पक्ष नहीं था।  


शुक्रवार को जैसे ही वोटों की गिनती शुरू हुई, वैसे ही एनडीए लगातार आगे बढ़ते रहा। महागठबंधन एक वक्त 50 का आंकड़ा पार कर गया था लेकिन धीरे-धीरे उसकी सीटें घटती गईं। एक वक्त तो महागठबंधन के सीएम उम्मीदवार तेजस्वी यादव की सीट भी फंस गई थी। हालांकि, बाद में उन्होंने बढ़त बनाई और 14,532 वोटों से जीत हासिल की।

 

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सबसे ज्यादा वोट आरजेडी को

चुनाव में एनडीए भले ही सबसे ज्यादा सीटें जीती हैं और बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनी हो लेकिन सबसे ज्यादा वोट आरजेडी को मिले हैं।


चुनाव आयोग के मुताबिक, बीजेपी का वोट प्रतिशत 20.08% वोट मिले हैं। बीजेपी को 1 करोड़ के आसपास वोट मिले हैं। वहीं, आरजेडी का वोट प्रतिशत 23% रहा है। आरजेडी को 1.15 करोड़ वोट मिले हैं। 

 


इसके अलावा, चिराग पासवान की पार्टी एलजेपी (आर) को 24.97 लाख यानी 4.97% वोट मिले हैं। कांग्रेस का वोट प्रतिशत 8.71% रहा और उसे कुल 43.74 लाख वोट मिले हैं। हालांकि, एलजेपी (आर) ने 19 सीटें जीत लीं लेकिन कांग्रेस सिर्फ 6 सीट ही जीत सकी।

 

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वोट ज्यादा लेकिन सीटें कम कैसे?

देखा जाए तो आरजेडी को बीजेपी से 14.64 लाख ज्यादा वोट मिले हैं। इसके बाद भी बीजेपी 89 और आरजेडी सिर्फ 25 सीट ही जीत सकी। इसी तरह एलजेपी (आर) को कांग्रेस के मुकाबले 18.77 लाख वोट कम मिले हैं। तब भी एलजेपी (आर) ने 19 सीटें जीत लीं और कांग्रेस 6 सीट पर सिमट गई। यानी, आरजेडी को बीजेपी से 3% ज्यादा वोट मिले लेकिन उसे 64 सीटें कम मिलीं।


सोशल मीडिया पर कई यूजर्स सवाल उठा रहे हैं कि आरजेडी को 23% वोट मिले फिर भी वह 25 सीट ही जीत पाई। वहीं, बीजेपी 20% वोट लेकर 89 सीट जीत ली गई। कांग्रेस लगभग 9% वोट लाकर भी सिर्फ 6 सीट ही जीत सकी।

 


इसकी दो बड़ी वजह है। पहला तो यह बीजेपी की तुलना में आरजेडी ने ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ा था। बीजेपी ने 101 तो आरजेडी ने 141 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे। जो ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ेगा, जाहिर है कि उसका वोट प्रतिशत ज्यादा ही होगा।


दूसरी वजह यह है कि ज्यादा वोट का मतलब ज्यादा सीट नहीं होता। हमारे देश का चुनावी सिस्टम ही ऐसा है। इसे 'फर्स्ट पोस्ट द पास्ट' कहा जाता है। इसका मतलब हुआ 'जो आगे, वही जीतेगा'। हमारे यहां चुनाव जीतने के लिए 50% या इससे ज्यादा वोट पाने की जरूरत नहीं है। मान लीजिए कि अगर किसी सीट पर 3 उम्मीदवार हैं तो इन तीनों में से जिसे सबसे ज्यादा वोट मिलेंगे, जीत उसकी ही होगी।


कुल मिलाकर, आरजेडी को भले ही ज्यादा वोट मिले लेकिन ज्यादातर सीटों पर वह दूसरे या तीसरे नंबर पर रही। 

 

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BJP-JDU का वोट शेयर बढ़ा, RJD का घटा

2020 के चुनाव की तुलना में इस बार बीजेपी और जेडीयू का वोट प्रतिशत बढ़ गया है, जबकि आरजेडी का थोड़ा घट गया है।


पिछले चुनाव में बीजेपी 110 सीटों पर लड़ी थी और उसका वोट शेयर 19.46% था। वहीं, जेडीयू ने पिछली बार 115 सीटों पर लड़कर 15.39% वोट हासिल किए थे। इस बार बीजेपी और जेडीयू दोनों ही 101-101 सीटों पर लड़ी। पिछली बार से कम सीटें होने के बाद भी वोट शेयर बढ़ा है। इस बार बीजेपी को 20.08% और जेडीयू को 19.25% वोट मिले हैं।


हालांकि, आरजेडी का वोट शेयर थोड़ा कम हो गया है। आरजेडी ने इस बार 141 सीटों पर चुनाव लड़ा और उसका वोट शेयर 23% रहा। जबकि, पिछले चुनाव में आरजेडी 144 सीटों पर मैदान में थी और उसे 23.11% वोट मिले थे। पिछली बार आरजेडी 75 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी बनी थी।