संजय सिंह। अतिपिछड़ा वर्ग ने इस बार के विधानसभा चुनाव में आरजेडी से अपनी दूरी बनाए रखी। चुनाव में आक्रामक रणनीति और स्थानीय समीकरणों से वोटों का बिखराव हो गया। एनडीए और महागठबंधन ने 90 यादव उम्मीदवारों को चुनाव मैदान में उतारा था। इस बार के चुनाव में मात्र 28 उम्मीदवारों को ही चुनाव जीतने में सफलता मिल पाई है।
इस बार के विधानसभा में यादव विधायकों की संख्या कम होगी। 2020 के चुनाव में 55 विधायक चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे थे। इस बार यह संख्या घटकर मात्र 28 हो गई है।
2020 में 55 यादव विधायक जीते थे चुनाव
यादव प्रभाव वाली 55 सीटों पर महागठबंधन का प्रदर्शन बेहद कमजोर रहा। इन सीटों पर महागठबंधन के 66 यादव उम्मीदवारों में से सिर्फ 12 ही जीत पाए। इनमें माले के संदीप सौरभ अकेले गैर आरजेडी विजेता रहे। जबकि आरजेडी के केवल 11 उम्मीदवार ही जीत पाए। आरजेडी ने इस बार 144 सीटों पर चुनाव लड़ा था। इनमें से 51 पर यादवों को उम्मीदवार बनाया गया।
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दूसरी ओर एनडीए ने 23 यादव उम्मीदवारों को चुनाव मैदान में उतारा था। इनमें से 15 ने जीत हासिल की। आरजेडी के खराब प्रदर्शन को लेकर कई कारण गिनाए जा रहे हैं। लालू यादव ने सामाजिक न्याय का नारा देकर पिछड़ों और अतिपिछड़ों को गोलबंद किया था। आज वही पिछड़े और अतिपिछड़े लालू प्रसाद यादव से दूर होते जा रहे हैं। मुस्लिम बाहुल्य इलाकों में एआईएमआईएम ने अपनी सक्रियता बढ़ा दी है। इस कारण मुस्लिम वोटों में बिखराव होता दिख रहा है।
एससी एसटी सीट पर एनडीए का जलवा
एससी-एसटी सीट पर भी एनडीए का जलवा रहा। एनडीए ने एससी की 38 सीटों में से 34 सीटों पर जीत दर्ज की है। जबकि एसटी की दो-दो सीटों पर क्रमशः कांग्रेस और आरजेडी का कब्जा रहा। एनडीए को एसटी की एक भी सीट पर जीत नहीं मिली। एससी की 38 सीटों में 14 पर जेडीयू, 11 पर बीजेपी, 5 पर लोजपा आर और 4 सीटों पर हम ने कब्जा किया। उधर आरजेडी को 5 और कांग्रेस को एक ही सीट पर संतोष करना पड़ा। इस बार के चुनाव में माले और सीपीआई का कोई भी प्रत्याशी जीत नहीं दर्ज करा सका। 2020 के चुनाव में एनडीए को 22 और महागठबंधन को 18 सीटें मिली थी। तब चिराग पासवान और उपेंद्र कुशवाहा एनडीए के साथ नहीं थे।
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28 महिलाएं पहुंची विधानसभा
इस बार के विधानसभा चुनाव में सभी राजनीतिक दलों ने मिलकर 88 महिलाओं को चुनाव मैदान में उतारा था। इनमें से 28 महिलाएं चुनाव जीतने में सफल रहीं। सबसे बेहतर प्रदर्शन बीजेपी का रहा। बीजेपी कोटे की 10 और जेडीयू की 9 महिला प्रत्याशी चुनाव जीतने में सफल रही हैं। महागठबंधन में शामिल आरजेडी ने 23 महिला उम्मीदवारों को चुनाव मैदान में उतारा था, लेकिन उनमें से मात्र तीन ही चुनाव जीत पाईं।
केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान की पार्टी लोजपा आर ने 6 महिलाओं को चुनाव लड़ने का मौका दिया था। इनमें से तीन ने जीत हासिल की। केंद्रीय मंत्री जीतनराम मांझी की पार्टी हम ने भी दो महिला उम्मीदवार को मैदान में उतारा था, दोनों चुनाव जीतने में सफल रहीं। नई नवेली पार्टी जन सुराज ने 33 महिलाओं को मौका दिया, लेकिन जन सुराज का खाता ही नहीं खुल पाया।
