बिहार विधानसभा चुनावों में एनडीए ने अप्रत्याशित जीत हासिल की है। एनडीए के हिस्से में 202 सीटें आईं हैं। भारतीय जनता पार्टी (BJP) बिहार की सबसे बड़ी सियासी पार्टी बनी तो दूसरे नंबर पर जेडीयू रही। नीतीश कुमार की अगुवाई वाली यह पार्टी 2020 के चुनाव में सिर्फ 43 सीटें हासिल कर पाई थी, 2025 के विधानसभा चुनाव में 85 सीटों के साथ दूसरे नंबर पर रही। पिछले चुनाव में 19 सीटें जीतने वाली कांग्रेस प्रंचड मोदी-नीतीश की लहर में 6 सीटों पर सिमट गई।
दिलचस्प बात यह है कि इस प्रचंड लहर में, जब राष्ट्रीय जनता दल (RJD) खुद 25 सीटों पर सिमट गई है, तब कांग्रेस ने 6 सीटें हासिल की हैं। महागठबंधन के किसी भी वादे पर जनता यकीन नहीं कर पाई। जेडीयू ने अपनी पारंपरिक सीट तो बचा ली है लेकिन कई दिग्गज नेता खुद हार गए हैं। तेजस्वी यादव भी 19 राउंड तक बीजेपी उम्मीदवार सतीश यादव से पीछे रहे, अंतिम गिनती में उन्होंने जीत हासिल की।
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प्रंचड मोदी-नीतीश लहर में किन सीटों पर जीत गई कांग्रेस?
आरजेडी 143 सीटों पर चुनाव लड़कर सिर्फ 25 सीटें हासिल कर पाई। कांग्रेस ने 61 सीटों पर प्रत्याशी उतारा था, जीत सिर्फ 6 सीटों पर मिली। कांग्रेस ने जिन 6 सीटों पर चुनाव जीता है, वे कौन सी हैं, वहां समीकरण क्या रहे, इतिहास क्या रहा, आइए जानते हैं-
- वाल्मीकि नगर: वाल्मिकी नगर से कांग्रेस प्रत्याशी सुरेंद्र प्रसाद ने जेडीयू के धीरेंद्र प्रसाद सिंह उर्फ रिंकू सिंह को हरा दिया है। उन्हें कुल 1,07,730 वोट मिले, 1,675 वोटों से जीत हासिल की। धीरेंद्र प्रसाद को कुल 106055 वोट पड़े। दिलचस्प बात यह है कि यह विधानसभा साल 2010 में अस्तित्व में आई थी। यह सीट धीरेंद्र प्रताप सिंह की गढ़ रही है। साल 2010 में यहां से जेडीयू के राजेश सिंह चुनाव लड़े थे। 2015 में धीरेंद्र सिंह निर्दलीय यहां से जीत गए। 2020 में भी उन्हें जीत मिली, अब कांग्रेस प्रत्याशी ने जेडीयू की लहर के बाद भी यह सीट निकाल ली है।
- अररिया: कांग्रेस नेता अबिदुर रहमान ने इस सीट से जीत हासिल की है। उन्होंने जेडीयू उम्मीदवार शगुफ्ता अजीम को 12714 वोटों से हरा दिया है। अबिदुर रहमान को 91,529 को वोट मिले थे, शगुफ्ता अजीम को 78788 वोट मिले थे। अररिया कांग्रेस का गढ़ रही है। 1952, 1957, 1962, 67 से लेकर 1969 के विधानसभा चुनावों तक लगातार कांग्रेस जीतती रही। साल 2015 में भी यहां से अबीदुर रहमान जीते थे, 2020 में भी उन्हें जीत मिली, 2025 के चुनाव में भी उन्होंने अपना जलवा बिखेरा।
- चनपटिया: यहां से अभिषेक रंजन ने चुनाव जीत लिया है। अभिषेक रंजन ने सिर्फ 602 सीटों से जीत हासिल की है। दूसरे नंबर पर बीजेपी के उमाकांत सिंह रहे, उन्हें कुल 86936 वोट मिले। तीसरे नंबर पर जन सुराज के चर्चित उम्मीदवार मनीष कश्यप रहे, उन्हें कुल 37172 वोट मिले थे। चनपटिया भी कांग्रेस का गढ़ रही है। 1957 में पहली बार विधानसभा चुनाव हुए, 1962 और 67 में भी कांग्रेस ही जीती। साल 2005 के विधानसभा चुनाव के बाद समीकरण बदले और बीजेपी 2005, 2010, 2015, 2020 में लगातार जीतती रही। अभिषेक रंजन ने मौजूदा विधायक उमाकांत सिंह को ही 602 वोटों से हरा दिया।
- फारबिसगंज: यहां से मनोज बिश्वास ने सिर्फ 221 वोटों से बीजेपी के विद्या सागर केसरी को हरा दिया। मनोज बिस्वास को कुल 120114 वोट पड़े, विद्या सागर केसरी को 119893 वोट मिले। तीसरे नंबर पर राष्ट्रीय जनसंभावना पार्टी की फातमा खातून रहीं। यह सीट एक जमाने में कांग्रेस का गढ़ रही फिर 20 साल से बीजेपी कभी यहां हारी ही नहीं। 2005 के चुनाव में यहां से लक्ष्मी नारायण मेहता को जीत मिली थी, फिर 2010, 2015, 2020 के चुनाव में लगातार बीजेपी को जीत मिलती रही। मौजूदा विधायक विद्या सागर केसरी लगातार 2015 और 2020 के चुनाव में जीतते रहे। यह चुनाव उन्होंने प्रंचड मोदी लहर में भी गंवा दिया।
- किशनगंज: मोहम्मद कमरुल होदा ने यह सीट जीत ली है। वह कांग्रेस के दिग्गज नेता हैं। उन्हें कुल 89669 वोट पड़े और 12794 वोटों से उन्होंने बीजेपी के स्वीटी सिंह को हरा दिया। बीजेपी उम्मीदवार स्वीटी सिंह को 76875 वोट मिले थे। तीसरे नंबर पर AIMIM के शम्स अगाज रहे, उन्हें 51370 वोट मिले। यह सीट कांग्रेस का गढ़ रही है, साल 1952, 1957 और 1962 के चुनाव में लगातार कांग्रेस को जीत मिली थी। साल 2010 और 2015 के चुनाव में कांग्रेस के मोहम्मद जावेद यहां से चुनाव जीते। 2020 के चुनाव में कांग्रेस नेता इजहारुल हुसैन ने यहां से चुनाव जीता था। 2025 के चुनाव में उनकी जगह कांग्रेस ने कमरुल होदा को उतार दिया।
- मनिहारी: यहां से मनोहर प्रसाद सिंह ने जीत दर्ज की है। उन्हें कुल 114754 वोट मिले। उन्होंने 15168 वोटों से जेडीयू उम्मीदवार शंभु कुमार सुमन को हरा दिया। शंभु कुमार को कुल 99586 वोट पड़े थे। तीसरे नंबर पर जन सुराज पार्टी के बबलू सोरेन रहे, जिन्हें सिर्फ 7647 वोट मिले।
