बिहार में विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के पहले ही कांग्रेस को एक बड़ा झटका लगा है। कांग्रेस के बड़े नेता और केंद्र सरकार में पूर्व मंत्री शकील अहमद खान ने पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने कहा, 'मैंने बहुत ही भारी दिल से इस्तीफा दिया है क्योंकि पार्टी के साथी नेताओं से मेरे मतभेद हैं। हालांकि, मैं पार्टी की नीतियों और सिद्धांतों का समर्थन करता रहूंगा।'
शकील अहमद ने अपने पूर्व में भेजे गए एक पत्र का हवाला देते हुए कहा कि उस पत्र में उन्होंने कहा था कि वह कभी चुनाव नहीं लड़ेंगे और न ही उनके तीनों बेटों की कोई इच्छा राजनीति में आने की है।
उन्होंने अपने दादा और पिता जी का जिक्र करते हुए लिखा कि उनके दादा पहली बार 1937 में कांग्रेस के विधायक चुने गए थे। 1948 में उनकी मृत्यु के बाद उनके पिता जी 1952 से 1977 के बीच पांच बार विधायक चुने गए और अलग अलग पदों पर रहे। आगे वह लिखते हैं कि 1981 में उनके पिताजी का स्वर्गवास होने के बाद 1985 से वह स्वयं भी पांच बार विधायक और सांसद चुने गए।
पहले ही लिया था फैसला
हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि पार्टी की सदस्यता त्यागने का फैसला उन्होंने पहले ही कर लिया था लेकिन उसकी घोषणा बिहार की वोटिंग खत्म होने के बाद इसलिए की ताकि कोई गलत संदेश न जाए और वोट का नुकसान न हो।
अन्य पार्टी में नहीं शामिल होंगे
इस्तीफे का कारण बताते हुए उन्होंने कहा कि वर्तमान में पार्टी की सत्ता के साथ उनके मतभेद हैं इसलिए ही उन्होंने इस्तीफा दिया। उन्होंने कहा कि हमेशा उनका वोट कांग्रेस पार्टी को ही जाएगा। साथ ही यह भी स्पष्ट किया कि किसी अन्य पार्टी में शामिल होने का भी उनका कोई इरादा नहीं है।
