दिल्ली के लाल किले पर हुए बम धमाके के मामले में फरीदाबाद की अल-फलाह यूनिवर्सिटी का नाम आने के बाद पुलिस ने बड़ा कदम उठाया है। फरीदाबाद पुलिस ने यूनिवर्सिटी के कैंपस को आतंकी मॉड्यूल का सुरक्षित ठिकाना बनाने के आरोपों की गहराई से जांच करने के लिए एक स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (SIT) बना दी है।

पुलिस कमिश्नर सतेंद्र कुमार गुप्ता ने SIT को निर्देश दिया है कि वह यह पता लगाए कि आखिर यूनिवर्सिटी के अंदर का माहौल इतने सालों तक आतंकी गतिविधियों को पनपने कैसे देता रहा और कोई शक क्यों नहीं हुआ। जांच एजेंसियों को कई सवालों के जवाब अब तक नहीं मिले हैं। ईडी की रडार पर भी यह विश्वविद्यालय है।

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क्या जांच कर रही है SIT?

  • यूनिवर्सिटी में पढ़ने वाले आरोपी डॉक्टरों ने कैंपस को कैसे सुरक्षित अड्डा बनाया?
  • फंडिंग कहां से आ रही थी?
  • आसपास के गांवों से लोकल सपोर्ट मिला या नहीं?
  • धमाके में इस्तेमाल विस्फोटक फरीदाबाद के धौज गांव से कैसे दिल्ली पहुंचा?
  • एक्सप्लोसिव को स्टोर और ट्रांसपोर्ट करने में किस-किस की मदद ली गई?
  • धमाके के बाद कई फैकल्टी मेंबर अचानक गायब क्यों हो गए?

अब तक क्या-क्या पता चला है?

  • शुरुआती जांच में पता चला है कि लाल किले पर हुए धमाके में इस्तेमाल किया गया विस्फोटक, फरीदाबाद जिले के धौज गांव से आया था। 
  • मंगलवार को हरियाणा के डीजीपी ओपी सिंह खुद अल-फलाह यूनिवर्सिटी कैंपस पहुंचे थे।
  • फरीदाबाद के डिप्टी कमिश्नर और पुलिस कमिश्नर कमिश्नर भी इस केस की छानबीन में जुटे हैं।
  • इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि तीन विदेशी हैंडलरों में से एक हंजुल्लाह ने गिरफ्तार डॉ. मुजम्मिल अहमद गनी को एनक्रिप्टेड ऐप पर 42 बम बनाने के वीडियो भेजे। 
  • गनी ने विस्फोटक स्टोर करने की व्यवस्था की थी। अन्य दो हैंडलर  निसार और उकासा हैं, ये नाम फर्जी हो सकते हैं। सुरक्षा एजेंसियां अब इन हैंडलरों की पहचान तलाश रहीं हैं। 
  • कोयंबटूर, मंगलुरु और रामेश्वरम कैफे ब्लास्ट जैसे पुराने मामलों से इनका लिंक जांच रही हैं। एक संदिग्ध हैंडलर मोहम्मद शाहिद फैसल भी रडार पर है।

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ED क्या पता कर रही है?

फरीदाबाद की अल-फलाह यूनिवर्सिटी के चेयरमैन जवाद अहमद सिद्दीकी को प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने मंगलवार रात गिरफ्तार किय था। बुधवार को अदालत ने उन्हें 13 दिन की ED कस्टडी दी है। ED ने कोर्ट में आरोप लगाया कि अल-फलाह ट्रस्ट व यूनिवर्सिटी ने झूठे-भ्रामक दावों से कम से कम 415 करोड़ रुपये की अवैध कमाई की। ईडी भी अवैध फंडिंग की जांच में जुटी है।