जिस तरह से महिलाओं से जुड़े मुद्दों को लेकर जागरूकता बढ़ाने के मकसद से हर साल 8 मार्च को 'अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस' मनाया जाता है। ठीक उसी तरह से पुरुषों से जुड़े मुद्दों के लिए हर साल 19 नवंबर को 'अंतरराष्ट्रीय पुरुष दिवस' मनाया जाता है। भारत में 2007 से हर साल 19 नवंबर को इसे मनाया जाता है। इसका मकसद यही है कि पुरुषों की परेशानियां, उनसे जुड़े मुद्दे उठाए जा सकें और उन्हें लेकर जागरूकता बढ़ाई जा सके।


पुरुषों से जुड़ा सबसे बड़ा मुद्दा 'आत्महत्या' का भी है। क्योंकि आंकड़े बताते हैं कि दुनियाभर में आत्महत्या की दर पुरुषों में ज्यादा है। सिर्फ भारत ही नहीं, दुनियाभर के ज्यादातर मुल्कों में महिलाओं की तुलना में पुरुष ज्यादा आत्महत्या करते हैं।


विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक, हर साल दुनियाभर में 7.27 लाख लोग आत्महत्या कर लेते हैं। 15 से 29 साल की उम्र के लोगों की मौत की तीसरी बड़ी वजह आत्महत्या ही है। अमेरिका में महिलाओं की तुलना में पुरुषों के आत्महत्या के मामले 4 गुना ज्यादा आते हैं। साउथ कोरिया और जापान में दोगुना ज्यादा मामले सामने आते हैं। वहीं, भारत में भी महिलाओं की तुलना में पुरुषों में आत्महत्या के मामले ढाई गुना ज्यादा होते हैं।

 

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पुरुषों की आत्महत्या पर क्या हैं आंकड़े?

दुनियाभर के आंकड़े इस बात को बताते हैं कि महिलाओं के मुकाबले पुरुषों में आत्महत्या की दर कहीं ज्यादा है। 


वर्ल्ड पॉपुलेशन रिव्यू के मुताबिक, दुनिया में आत्महत्या के सबसे ज्यादा मामले ग्रीनलैंड में सामने आते हैं। यहां हर एक लाख आबादी पर आत्महत्या की दर 75.6 की है। यानी, यहां 1 लाख लोगों में से लगभग 76 लोग आत्महत्या कर लेते हैं। इस देश में एक लाख पुरुषों में आत्महत्या की दर 108 और एक लाख महिलाओं में 39 की दर है। इसका मतलब हुआ कि ग्रीनलैंड में हर एक लाख पुरुषों में से 108 की मौत आत्महत्या से हो जाती है।


अमेरिका में 1 लाख पुरुषों में आत्महत्या की दर 24.2 जबकि 1 लाख महिलाओं में 6.5 है। इसी तरह चीन में एक लाख पुरुषों पर आत्महत्या की दर 7.7 है तो एक लाख महिलाओं में यह 5.5 है। 

 


रही बात भारत की तो यहां भी पुरुषों में आत्महत्या की दर महिलाओं से ज्यादा है। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो (NCRB) की रिपोर्ट बताती है कि 2023 में देशभर में आत्महत्या के 1.71 लाख से ज्यादा मामले सामने आए थे। आत्महत्या करने वालों में 1.24 लाख पुरुष और 46,648 महिलाएं थीं। इसका मतलब हुआ कि आत्महत्या करने वालों में लगभग 73 फीसदी पुरुष थे।


NCRB की रिपोर्ट बताती है कि देश में आत्महत्या करने के 70 फीसदी से ज्यादा मामले पुरुषों में ही सामने आते हैं। 2022 में भी देशभर में 1.70 लाख लोगों ने आत्महत्या की थी। इसमें 1.22 लाख पुरुष और 48 हजार महिलाएं थीं।

 

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पर इसकी वजह क्या है?

महिलाओं के मुकाबले पुरुषों में आत्महत्या की दर इतनी ज्यादा क्यों है? इसे लेकर कई सारी स्टडीज हैं। कई सारे दावे हैं और कई सारी बातें भी हैं।


NCRB की रिपोर्ट बताती है कि 2023 में आत्महत्या करने की सबसे बड़ी वजह बीमारी रही। बीमारी से तंग आकर 32,503 लोगों ने आत्महत्या कर ली थी, जिनमें 22,987 पुरुष और 9,501 महिलाएं थीं। इसके बाद दूसरी बड़ी वजह नशे की लत थी। नशे की लत के कारण 12,019 लोगों ने आत्महत्या की थी, जिनमें 11,739 तो पुरुष ही थे और 280 महिलाएं थीं। तीसरी बड़ी वजह शादी से जुड़ी समस्याएं थीं। इस कारण 9,045 लोगों ने आत्महत्या की, जिनमें 4,863 पुरुष और 4,180 महिलाएं थीं। वहीं, लव अफेयर्स पांचवी बड़ी वजह रही। लव अफेयर्स के कारण 4,806 पुरुष और 3,203 महिलाओं ने आत्महत्या कर ली थी।


पर पुरुष ज्यादा आत्महत्या क्यों करते हैं? इसकी वजह क्या है? इसकी सबसे बड़ी वजह यह माना जाता है कि पुरुषों को महिलाओं की तुलना में ज्यादा 'स्ट्रॉन्ग' समझा जाता है, शारीरिक रूप से भी और मानसिक रूप से भी। हर समाज में बचपन से ही कहा जाता है कि लड़के रोते नहीं है। इस कारण पुरुष अपने मेंटल हेल्थ के बारे में या तो डिस्कस नहीं कर पाते या करते भी हैं तो बहुत ज्यादा नहीं।

 


लंदन स्थित प्रायोरी हॉस्पिटल की साइकियाट्रिस्ट डॉ. नताशा बिजलानी ने एक इंटरव्यू में बताया था कि 'आमतौर पर मेंटल हेल्थ से जुड़ी परेशानियों में पुरुषों कम ही मदद लेते हैं। इसके कई कारण हो सकते हैं। हमारे समाज में अभी भी 'मजबूत पुरुष' वाली रूढ़ीवादी सोच है और अक्सर भावनाओं को व्यक्त करना कमजोरी की निशानी समझा जाता है।'


प्रायोरी हॉस्पिटल ने एक सर्वे किया था, जिसमें सामने आया था कि 40% पुरुषों ने अपनी मेंटल हेल्थ के बारे में कभी किसी से कोई चर्चा नहीं की। 


सिर्फ मेंटल हेल्थ ही नहीं, बल्कि नशे की लत भी एक बड़ी वजह है। महिलाओं की तुलना में पुरुष ज्यादा नशा करते हैं। नशा सुसाइडल टेंडेंसी बढ़ाता है।

 

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एक वजह यह भी...

महिलाओं के मुकाबले पुरुषों में आत्महत्या ज्यादा होने की एक और वजह है। वह यह कि महिलाओं की तुलना में आत्महत्या के लिए पुरुष ज्यादा खतरनाक तरीके का इस्तेमाल करते हैं। पुरुष जिन तरीकों का इस्तेमाल करते हैं, उसमें बचने की गुंजाइश कम होती है।


अमेरिका की नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन में 2022 में एक रिसर्च छपी थी। इसमें बताया गया था कि पुरुष ज्यादा हिंसक और घातक तरीकों का इस्तेमाल करते हैं, इसलिए उनमें आत्महत्या की दर ज्यादा होती है। वहीं, महिलाएं आत्महत्या की कोशिश ज्यादा करती हैं लेकिन उनके तरीके अलग होते हैं। 


NCRB के आंकड़े इस स्टडी से मेल खाते हैं। 2023 में जितने पुरुषों ने आत्महत्या की थी, उनमें से 76,418 ने फांसी लगाकर जान दे दी थी। जबकि महिलाओं में यह आंकड़ा 11,448 का था। जहर खाकर जान देने वालों में भी पुरुषों की संख्या महिलाओं के मुकाबले तीन गुना ज्यादा है। जहर खाकर 31,334 पुरुषों और 11,448 महिलाओं ने जान दे दी थी।


वहीं, ट्रेन या गाड़ी के आगे कूदकर जान देने वाले पुरुषों की संख्या महिलाओं के मुकाबले लगभग 8 गुना ज्यादा है। 2023 में 584 महिलाओं ने ट्रेन या गाड़ी के आगे कूदकर जान दी थी। वहीं 4,217 पुरुष ऐसे थे जिन्होंने ट्रेन या गाड़ी के आगे कूदकर आत्महत्या कर ली थी।