दिल्ली के लाल किला के बाहर हुए धमाके को केंद्र सरकार ने 'जघन्य आतंकी घटना' माना है। बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में हुई कैबिनेट मीटिंग में इस घटना को 'जघन्य आतंकवादी घटना' करार दिया गया। कैबिनेट मीटिंग के दौरान इसे लेकर प्रस्ताव पास किया गया। 10 नवंबर की शाम 6 बजकर 52 मिनट पर हुए इस धमाके में 13 लोग मारे गए हैं। मीटिंग के दौरान कैबिनेट ने इस धमाके में जान गंवाने वालों को दो मिनट का मौन रखकर श्रद्धांजलि दी।


बैठक के बाद केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने इसमें लिए गए फैसलों की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि लाल किला ब्लास्ट को लेकर प्रस्ताव पास किया गया है। उन्होंने बताया कि कैबिनेट ने इस कायरतापूर्ण और घृणित कृत्य की निंदा की। साथ ही इस बैठक में आतंकवाद को लेकर सरकार की 'जीरो टॉलरेंस' की नीति को दोहराया गया है।


उन्होंने बताया कि 'कैबिनेट ने इस घटना की जांच तत्परता और पेशेवर ढंग से करने के निर्देश दिए हैं, ताकि अपराधियों, उनके सहयोगियों और प्रायोजकों (आकाओं) की पहचान कर उन्हें जल्द से जल्द न्याय के कटघरे में लाया जा सके। सरकार हर स्तर पर स्थिति की निगरानी लगातार कर रही है।'


कैबिनेट की ओर से जो प्रस्ताव पास किया गया है, उसमें लिखा है, '10 नवंबर 2025 की शाम को लाल किले के पास कार विस्फोट के जरिए देश-विरोधी ताकतों ने जघन्य आतंकवादी घटना को अंजाम दिया है। इस विस्फोट में कई लोगों की मौत हो गई और कई लोग घायल हुए हैं।'

 

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आतंकी घटना का मतलब क्या?

किसी घटना को 'आतंकी घटना' घोषित करने का मतलब हुआ कि जो हुआ वह कोई सामान्य अपराध नहीं था, बल्कि ऐसा अपराध था जिससे राष्ट्रीय सुरक्षा को गंभीर खतरा था।


जब किसी घटना को 'आतंकी घटना' घोषित किया जाता है तो इसकी जांच भी NIA करती है। NIA के पास ऐसे मामलों में कार्रवाई करने की शक्तियां भी ज्यादा होती हैं। आरोपियों के खिलाफ भी सख्त से सख्त कानून का इस्तेमाल किया जाता है। ऐसे मामलों में दोषी पाए जाने पर उम्रकैद या फांसी की सजा भी हो सकती है।

 

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किसी घटना को आतंकी घटना माना जाता है?

भारत में किसी घटना को 'आतंकी घटना' कब माना जाएगा और उसके बाद क्या होगा? इसके बारे में अनलॉफुल ऐक्टिविटीज (प्रिवेंशन) ऐक्ट 1967 यानी UAPA में विस्तार से लिखा है। आतंकवाद के खिलाफ यह सबसे सख्त कानून है, क्योंकि इसके तहत सिर्फ संगठन या संस्था को ही नहीं, बल्कि किसी व्यक्ति को भी 'आतंकी' घोषित किया जा सकता है।


UAPA की धारा 15 में बताया गया है कि किसी घटना को कब 'आतंकी घटना' माना जाएगा? धारा 15 कहती है, 'ऐसा कोई भी काम जिसका मकसद भारत की एकता, अखंडता, सुरक्षा, आर्थिक सुरक्षा या संप्रभुता को नुकसान पहुंचाना या डर पैदा करना या जनता या किसी वर्ग में आतंक पैदा करना हो तो उसे आतंकी कृत्य माना जाएगा।'

 


इसके अलावा, भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 113 में भी आतंकवाद की परिभाषा दी गई है। इसके तहत 'जो कोई भारत की एकता, अखंडता और सुरक्षा को खतरे में डालने, आम जनता या उसके एक वर्ग को डराने या सार्वजनिक व्यवस्था को बिगाड़ने के इरादे से भारत या विदेश में कोई कृत्य करता है तो उसे आतंकवादी कृत्य माना जाएगा।'


UAPA की धारा 15 यह भी कहती है कि 'बम विस्फोट के अलावा बायोलॉजिकल, रेडियोएक्टिव, न्यूक्लियर या फिर किसी भी खतरनाक तरीके से हमला होता है जिसमें किसी की मौत होती या चोट पहुंचती है तो वह भी आतंकी कृत्य होगा।'


इसके अलावा, जाली नोटों या सिक्कों की तस्करी करना या उन्हें चलाना भी आतंकी कृत्य के दायरे में आता है। भारत या विदेश में किसी सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाना भी आतंकी कृत्य माना जाता है।

 

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इससे होता क्या है?

भारत में किसी भी आतंकी घटना की जांच नेशनल इन्वेस्टिगेटिव एजेंसी (NIA) करती है। जब किसी घटना को आतंकी घटना घोषित किया जाता है तो NIA की शक्तियां और बढ़ जाती है। NIA पूरे देश में किसी भी जगह पर जाकर जांच कर सकती है। छापेमारी कर सकती है। गिरफ्तारियां कर सकती हैं। इस सबके लिए वहां की राज्य सरकार की मंजूरी की जरूरत नहीं होती।

 

ऐसे मामलों में किसी भी व्यक्ति को बिना वारंट के NIA गिरफ्तार कर सकती है। ऐसे मामलों में आरोपी को जमानत मिलना भी मुश्किल होती है। जमानत तभी मिल सकती है, जब कोर्ट को लगे कि आरोपी ने कोई गंभीर अपराध नहीं किया है। UAPA में अग्रिम जमानत का प्रावधान भी नहीं है।


इतना ही नहीं, UAPA के तहत NIA आरोपियों को लंबे समय तक हिरासत में रख सकती है। इस कानून के तहत जांच एजेंसियां 180 दिन तक बिना चार्जशीट दाखिल किए आरोपी को हिरासत में रख सकती हैं।


आतंकी कृत्य पर क्या सजा होगी? UAPA की धारा 16 में इसका जिक्र है। इसके तहत, अगर किसी आतंकी घटना में किसी व्यक्ति की मौत हो जाती है तो दोषी पाए जाने पर फांसी या उम्रकैद की सजा हो सकती है। अगर किसी की मौत नहीं होती है तो भी दोषी पाए जाने पर कम से कम 5 साल की सजा होगी, जिसे बढ़ाकर आजीवन कारावास तक किया जा सकता है।


अब सरकार ने लाल किला के पास हुआ धमाके को 'आतंकी घटना' करार दिया है। इससे दो संदेश जाते हैं। पहला- सरकार दिखा रही है कि वह आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति अपना रही है। और दूसरा- आतंकी घटना करार देना दिखाता है कि दोषियों के खिलाफ सख्त से सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी।