राजधानी दिल्ली में रविवार 9 नवंबर को इंडिया गेट पर हुए प्रदर्शन में कई लोगों को हिरासत किया गया। खराब एयर क्वालिटी की वजह से यह विरोध किया जा रहा था। यह प्रदर्शन शाम करीब 5 बजे शुरू हुआ जिसमें नेताओं के साथ-साथ कई एनिमल एक्टिविस्ट भी शामिल हुए जो आवारा कुत्तों पर सुप्रीम कोर्ट (SC) के फैसले का विरोध करने वहां पहुंचे थे

 

दिल्ली पुलिस का कहना है कि यह लोग बिना इजाजत के उस जगह पहुंचे थे जबकि लोगों का कहना है कि पुलिस ने उन्हें धमकी दी थी कि वह इन लोगों पर  FIR दर्ज करेंगे। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि उन्हें किसी अनजान जगह पर ले जाया गया।

 

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हिरासती पर DCP ने कहा

DCP (नई दिल्ली) देवेश कुमार महला ने कहा, 'दोनों विरोध प्रदर्शनों से लगभग 60-80 लोगों को हिरासत में लिया गया। हमने सिर्फ उन्हीं लोगों को हिरासत में लिया जो मानसिंह रोड को ब्लॉक कर रहे थे और लोगों और गाड़ियों को निकलने नहीं दे रहे थे।' उन्होंने साथ में यह भी बताया कि मानसिंह रोड पर विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व दिल्ली आम आदमी पार्टी (AAP) के अध्यक्ष सौरभ भारद्वाज कर रहे थे।

DCP महला ने आगे कहा, ' बाकी जो लोग इंडिया गेट के अंदर थे, उन्हें वहां से जाने के लिए कहा गया और हटा दिया गया।'

 

एडिशनल DCP आनंद कुमार मिश्रा ने शनिवार को सुरक्षा और ट्रैफिक कारणों का हवाला देते हुए इंडिया गेट के सामने विरोध प्रदर्शन की इजाजत देने से इनकार कर दिया था और प्रदर्शनकारियों को जंतर-मंतर जाने के लिए कहा था

पर्यावरण एक्टिविस्ट का आरोप

X पर एक पोस्ट में, पर्यावरण एक्टिविस्ट विमलेंदु झा ने आरोप लगाया कि पुलिस बच्चों को भी हिरासत में ले रही थी। उन्होंने एक वीडियो शेयर किया जिसमें मौके पर हाथापाई होते दिख रहा है। उन्होंने कहा, 'बच्चों को भी हिरासत में लिया जा रहा है, जो सिर्फ सांस लेने का अपना अधिकार मांग रहे थे।' हालांकि, DCP ने इन आरोपों से इनकार किया और कहा कि किसी भी बच्चे को हिरासत में नहीं लिया गया है।

 

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प्रदर्शनकारियों ने कहा

लोगों का आरोप है कि सरकार बढ़ते पॉल्यूशन को रोकने के लिए कोई भी काम नहीं कर रही है। उनका कहना है कि इस स्थिति से राजधानी में हेल्थ इमरजेंसी पैदा हो गई है। लोग एयर इमरजेंसी और बच्चों के लिए साफ हवा की मांग वाले पोस्टर के साथ प्रदर्शन करने आए थे।  

 

इसमें एक प्रदर्शनकारी ने कहा कि अमीर लोग अपने घर में एयर प्यूरीफायर लगवा सकते हैं लेकिन सड़क पर चलने वाले आम आदमी इससे कैसे निपटे इसके लिए सरकार को हमारी मदद करनी चाहिए।

 

एक और ने कहा कि स्थिति इतनी खराब है कि अलग-अलग कोशिश करने से इस संकट को कम करने में मदद नहीं मिलेगी। सरकार केवल पराली जलाने और डेटा में हेरफेर जैसे मुद्दों को उठाकर छिप रही है। अगर वे इसे लेकर सच में कुछ करना चाहते हैं तो आस-पास के सभी राज्यों की सरकारों को एक मीटिंग बुलाए और इस संकट से निपटने के लिए एक कामयाब स्ट्रेटजी बनाए।

SC के आदेश के खिलाफ प्रदर्शन

कुछ लोग आवारा कुत्तों को उनके नेचुरल हैबिटेट से हटाने को लेकर भी सुरक्षा संबंधी चिंताए जताते दिखे। एक ने कहा, 'पिछले एक महीने में हमने जानवरों, खासकर बेसहारा स्ट्रीट डॉग्स के प्रति अधिकारियों का रवैया देखा है। सुप्रीम कोर्ट का फैसला एक और झटका है।' हर्षिता SC के आवारा कुत्तों पर दिए गए फैसले के खिलाफ विरोध करने आई थीं। उन्होंने कहा, 'उन्हें स्कूलों, कॉलेजों, अस्पतालों वगैरह से हटाकर कहां रखेंगे? क्या सरकार के पास उन्हें कहीं सुरक्षित रखने के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर है?'

 

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विपक्ष का आरोप

इस विरोध प्रदर्शन ने पिछली और मौजूदा दिल्ली सरकार के बीच बहस फिर से शुरू कर दीपर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने सिस्टम की नाकामी के लिए AAP के नेतृत्व वाली पिछली दिल्ली सरकार को जिम्मेदार ठहराया। विरोध प्रदर्शन पर टिप्पणी करते हुए मंत्री ने कहा कि नागरिकों को अपनी राय व्यक्त करने का अधिकार हैAAP नेता सौरभ भारद्वाज, जो प्रोटेस्ट में मौजूद थे, ने कहा कि पिछले दस सालों से एयर पॉल्यूशन एक लगातार समस्या रही है, लेकिन डेटा में हेरफेर ने चिंता बढ़ा दी है और दिल्ली के लोगों में भरोसे की कमी पैदा कर दी है।

 

सौरभ ने कहा, 'अब सरकार को लेकर लोगों में भरोसे की कमी है। DPCC, CPCB, CAQM और IMD जैसे बड़े संस्थान डेटा में हेरफेर कर रहे हैं और आंकड़ों को गलत दिखा रहे हैं। जब सरकार खुद डेटा से छेड़छाड़ करती है, तो इससे भरोसे की कमी पैदा होती है और इसलिए आज इंटेलेक्चुअल कम्युनिटी सड़कों पर उतर आई है।'

 

राहुल गांधी ने कहा, 'साफ हवा का अधिकार एक बेसिक ह्यूमन राइट है। शांतिपूर्ण विरोध का अधिकार हमारे संविधान ने दिया है। जो नागरिक शांति से साफ हवा की मांग कर रहे हैं, उनके साथ अपराधियों जैसा व्यवहार क्यों किया जा रहा है?' उन्होंने X पर एक पोस्ट में कहा, 'हमें साफ हवा मांगने वाले नागरिकों पर हमला करने के बजाय अभी एयर पॉल्यूशन पर ठोस कार्रवाई करने की जरूरत है।'