दिल्ली में लाल किला के बाहर 10 नवंबर को हुए बम धमाके को लेकर अब बड़ा खुलासा हुआ है। जांच में सामने आया है कि डॉ. उमर मोहम्मद ने 6 दिसंबर को बाबरी मस्जिद विध्वंस की बरसी के मौके पर हमला करने की योजना बनाई थी। जांच में यह भी सामने आया है कि 2021 में डॉ. उमर और डॉ. मुजम्मिल गनई ने तुर्की की यात्रा की थी, जहां उन्होंने जैश-ए-मोहम्मद के आतंकियों के साथ मुलाकात की थी।
इतना ही नहीं, लाल किला पर हमले की साजिश जनवरी से रची जा रही थी। डॉ. मुजम्मिल के मोबाइल फोन के डंप डेटा के एनालिसिस से पता चला है कि उसने जनवरी में कई बार लाल किला की रेकी की थी।
इस बीच बुधवार को भूटान से लौटने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने LNJP अस्पताल में भर्ती घायलों से मुलाकात की। शाम को कैबिनेट मीटिंग हुई, जिसमें सरकार ने लाल किला के बाहर हुए ब्लास्ट को 'आतंकी हमला' माना है।
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ब्लास्ट पर 4 बड़े खुलासे
- जनवरी से साजिश: जांच में खुलासा हुआ है कि डॉ. उमर और डॉ. मुजम्मिल जनवरी से लाल किला पर हमला करने की साजिश रच रहे थे। एक पुलिस अफसर ने न्यूज एजेंसी PTI को बताया कि मुजम्मिल के फोन से मिले डंप डेटा के एनालिसिस से पता चला है कि उन्होंने जनवरी के पहले हफ्ते में लाल किला और उसके आसपास के इलाकों की रेकी की थी। टावर लोकेशन डेटा और आसपास के इलाकों से इकट्ठा किए गए CCTV फुटेज से उनकी गतिविधियों का पता चलता है।
- 6 दिसंबर थी हमले की तारीख: 6 दिसंबर को बाबरी विध्वंस की बरसी पर हमला करने का प्लान था। मगर मुजम्मिल की गिरफ्तारी से प्लान बिगड़ गया। पुलिस अधिकारियों ने बताया कि इस बात की भी संभावना है कि उमर ने इंटरनेट से व्हीकल बेस्ड IED बनाने और डेटोनेशन सर्किट के बारे में जानकारी ली थी और उसे असेंबल कर रहा था। उमर ने अपने साथियों को दिसंबर प्लान के बारे में बताया था और 10 नवंबर को अपनी ह्युंडई i20 कार में विस्फोटक रखकर इसकी तैयारी शुरू कर दी थी।
- 2021 में तुर्किये की यात्रा: जांच के दौरान यह भी सामने आया है कि उमर और मुजम्मिल तुर्किये गए थे, जहां उनके हैंडलर के मौजूद होने का भी शक है। अधिकारियों ने बताया कि ये हैंडलर कथित तौर पर उमर और 'डॉक्टर मॉड्यूल' के बाकी लोगों के संपर्क में थे। उमर और मुजम्मिल के पासपोर्ट से पता चला है कि दोनों ने 2021 में कुछ टेलीग्राम ग्रुप से जुड़ने के बाद तुर्किये की यात्रा की थी।
- मुंबई अटैक जैसा था प्लान: जांच में सामने आया है कि एक हैंडलर ने 'डॉक्टर मॉड्यूल' को तुर्किये की यात्रा के बाद पूरे भारत में फैलने और टारगेटेड साइट चुनने को कहा था। अधिकारियों ने बताया कि दो टेलीग्राम ग्रुप के जरिए 'डॉक्टर मॉड्यूल' का पता चला है। इनमें से एक ग्रुप पाकिस्तान में जैश-ए-मोहम्मद का आथंकी उमर बिन खत्ताब चलाता है। जांच अधिकारियों का यह भी मानना है संदिग्ध 2008 में हुए मुंबई अटैक जैसा हमला करना चाहते थे। जांच में पता चला है कि दिवाली के दिन भीड़भाड़ वाले इलाकों में हमला करने का प्लान भी था।
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ब्लास्ट से पहले मस्जिद क्यों गया था उमर?
एक पुलिस अधिकारी ने PTI को बताया कि 10 नवंबर की दोपहर 3 बजकर 19 मिनट पर उमर ने अपनी कार सुनहरी मस्जिद की पार्किंग में खड़ी की थी।
इससे पहले वह रामलीला मैदान के पास आसफ अली रोड पर स्थित एक मस्जिद भी गया था। यहां वह कथित तौर पर लगभग 3 घंटे तक रुका था। दोपहर की नमाज भी यहीं अदा की थी। पुलिस अधिकारी ने कहा, 'लाल किला की ओर जाने से पहले वह लगभग तीन घंटे मस्जिद में रुका था। हम सभी पहलुओं की जांच कर रहे हैं।'
जांच एजेंसियां उमर के मोबाइल फोन के डंप डेटा का एनालिसिस भी कर रही हैं। ब्लास्ट से पहले 3 बजे से शाम 6:30 बजे तक का डेटा एनालिसिस किया जा रहा है, ताकि उसकी गतिविधि और कम्युनिकेशन का पता चल सके।
इस बीच, पुलिस ने फरीदाबाद में उमर के नाम पर रजिस्टर्ड लाल रंग की फोर्ड इकोस्पोर्ट कार को भी जब्त कर लिया है। एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि कार का दिल्ली के न्यू सीलमपुर इलाके में रजिस्टर्ड पता 'फर्जी' पाया गया है। उन्होंने यह भी कहा कि कार खरीदने के लिए जाली दस्तावेजों का इस्तेमाल किया गया होगा।
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ब्लास्ट साइट से 40 सैंपल जुटाए
पुलिस का मानना है कि फरीदाबाद से डॉ. मुजम्मिल गनई और डॉ. शाहीन सईद की गिरफ्तारी के बाद डॉ. उमर घबरा गया होगा। मुजम्मिल के ठिकानों से पुलिस को 2,900 किलो विस्फोटक और हथियार भी मिले थे। इसमें 360 किलो अमोनियम नाइट्रेट भी था।
माना जा रहा है कि मुजम्मिल और शाहीन की गिरफ्तारी के बाद उमर को अपनी गिरफ्तारी का डर भी सता रहा होगा। वह विस्फोटक को ले जा रहा होगा, तभी ब्लास्ट हो गया।
एक सीनियर पुलिस अफसर ने न्यूज एजेंसी PTI से कहा, 'फरीदाबाद में छापेमारी के बाद संदिग्ध घबरा गया था, जिसकी वजह से उसे जल्दी से अपना घर बदलना पड़ा और दुर्घटना की आशंका बढ़ गई। ऐसा लगता है कि यह घटना संदिग्ध आत्मघाती हमले के बजाय अनजाने विस्फोट में बदल गई।' उन्होंने कहा, 'बम समय से पहले ही फट गया था और पूरी तरह बना नहीं था, इसलिए इसका असर सीमित रहा। विस्फोट से कोई छर्रे या कीलें नहीं मिले हैं।'
हालांकि, अब भी पुलिस इसे पूरी तरह से आत्मघाती हमले की बात को खारिज नहीं कर रही है और सभी एंगल से जांच की जा रही है।
इस बीच, फोरेंसिक साइंस की टीम ने ब्लास्ट साइट से 40 से ज्यादा सैंपल जुटाए हैं। शुरुआती एनालिसिस में पता चला है कि एक्सप्लोसिव सैंपल में से एक अमोनियम नाइट्रेट होने की संभावना है।
