बीजेपी के वरिष्ठ नेता और देश के पूर्व उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी ने 8 नवंबर को अपना 98वां जन्मदिन मनाया। इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद मोदी सहित पार्टी के तमाम दिग्गज नेताओं ने आडवाणी को जन्मदिन की बधाई दी। मगर, आडवाणी को जन्मदिन की बधाई देने वालों की कतार में कांग्रेस सांसद शशि थरूर भी शामिल हो गए। शशि थरूर ने जैसे ही आडवाणी को बधाई संदेश दिया वैसे ही वह विवादों में आ गए। सोशल मीडिया पर आडवाणी को बधाई देते हुए थरूर ने उनकी जमकर तारीफ की है।
यह खबर बाहर आते ही कांग्रेस ने शशि थरूर द्वारा आडवाणी की प्रशंसा किए जाने से खुद को अलग कर लिया, जबकि बीजेपी ने इस कदम का स्वागत किया। कांग्रेस ने शशि थरूर को लेकर कहा कि वह व्यक्तिगत हैसियत से अपनी बात कह रहे हैं और उनका केंद्रीय कार्य समिति के सदस्य के रूप में ऐसा करना पार्टी की लोकतांत्रिक और उदार भावना को दर्शाता है।
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नेहरू-इंदिरा का दिया उदाहरण
उन्होंने कहा कि वरिष्ठ बीजेपी नेता द्वारा सालों-साल की गई राष्ट्र सेवा को एक प्रकरण तक सीमित कर देना, चाहे वह कितना बड़ा प्रकरण क्यों न हो, ठीक नहीं है। केरल के तिरुवनंतपुरम के सांसद शशि थरूर ने यह भी कहा कि जब जवाहरलाल नेहरू के करियर की समग्रता का आकलन चीन की विफलता और इंदिरा गांधी के करियर का आकलन सिर्फ आपातकाल से नहीं किया जा सकता, तो उनका मानना है कि 'हमें आडवाणी जी के प्रति भी यही शिष्टाचार दिखाना चाहिए।'
कांग्रेस का सफाई से थरूर से किनारा
कांग्रेस के मीडिया एवं प्रचार विभाग के प्रमुख पवन खेड़ा ने कहा, 'हमेशा की तरह शशि थरूर अपनी बात कह रहे हैं और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस अपने आप को उनके हालिया बयान से अलग रखती है। कांग्रेस सांसद और सीडब्ल्यूसी सदस्य के रूप में उनका ऐसा करना कांग्रेस की विशिष्ट लोकतांत्रिक और उदारवादी भावना को दर्शाता है।'
दरअसल, इसकी शुरुआत शनिवार को शशि थरूर द्वारा आडवाणी को उनके जन्मदिन की बधाई देने से हुई। थरूर ने ‘एक्स’ पर कहा, 'आदरणीय लालकृष्ण आडवाणी को उनके 98वें जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं। जनसेवा के प्रति उनकी अटूट प्रतिबद्धता, उनकी विनम्रता और शालीनता, तथा आधुनिक भारत की दिशा तय करने में उनकी भूमिका अमिट है।
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सोशल मीडिया पर आलोचना
एलके आडवाणी को जन्मदिन की बधाई देने पर शशि थरूर सोशल मीडिया पर आलोचनाओं से घिर गये। उन्होंने आडवाणी को एक सच्चा राजनेता बताया, जिनका सेवामय जीवन अनुकरणीय रहा है। सांसद थरूर के पोस्ट के जवाब में एक वकील ने राम जन्मभूमि आंदोलन में आडवाणी की भूमिका का भी जिक्र करते हुए ‘एक्स’ पर लिखा, 'माफ कीजिए श्रीमान थरूर, इस देश में ‘घृणा के बीज’ (खुशवंत सिंह के शब्दों में) फैलाना जनसेवा नहीं है।'
थरूर ने दिया दिलचस्प जवाब
इस पोस्ट का जवाब देते हुए थरूर ने कहा, 'मैं सहमत हूं संजय उवाचा लेकिन उनकी लंबी सेवा को एक घटना तक सीमित करना, चाहे वह कितनी भी बड़ी क्यों न हो, अनुचित है।' कांग्रेस नेता ने कहा, 'नेहरू जी के करियर की समग्रता का आकलन चीन की विफलता से नहीं किया जा सकता, न ही इंदिरा गांधी के करियर का आकलन सिर्फ आपातकाल से किया जा सकता है। मेरा मानना है कि हमें आडवाणी जी के प्रति भी यही शिष्टाचार दिखाना चाहिए।'
बता दें कि राष्ट्रीय राजनीति में बीजेपी को अकाट्य ताकत के रूप में स्थापित करने की पटकथा लिखने वाले आडवाणी को इस साल भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान, भारत रत्न से सम्मानित किया गया था। उन्होंने 1990 में रथ यात्रा शुरू करके राम जन्मभूमि आंदोलन का नेतृत्व किया और इसे देश में एक आंदोलन बना दिया।
