बिहार के छह जिलों में स्तनपान कराने वाली मां के दूध में यूरेनियम मिला है। इन जिलों में मां के दूध में 5 पीपीबी (प्रति अरब भाग) तक यूरेनियम पाया गया है। खगड़िया जिले में सबसे अधिक और नालंदा में सबसे कम यूरेनियम कंटैमिनेशन रिकॉर्ड किया गया। यह अध्ययन पटना स्थित महावीर कैंसर संस्थान के डॉ. अरुण कुमार, प्रोफेसर अशोक घोष और नई दिल्ली एम्स के बायोकेमिस्ट्री डिपार्टमेंट के डॉ. अशोक शर्मा की अगुवाई में किया गया है।

 

अक्टूबर 2021 से जुलाई 2024 तक 40 मांओं के दूध का नमूना जुटाया गया। इन महिलाओं की उम्र 17 से 35 वर्ष के बीच रही और सभी भोजपुर, समस्तीपुर, बेगूसराय, खगड़िया, कटिहार और नालंदा जिले की रहने वाली हैं। स्टडी में सभी नमूनों में यूरेनियम (U-238) मिला। इसकी मात्रा 0 से 5.25 g/L के मध्य रही।

 

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दिल्ली एम्स के डॉ. अशोक शर्मा ने कहा कि 70 फीसद शिशुओं में कैंसरजन्य स्वास्थ्य जोखिम की संभावना नहीं है। यूरेनियम का स्तर स्वीकार्य मात्रा से कम है। उम्मीद है कि मां और बच्चों की सेहत पर इसका बेहद कम असर होगा। उन्होंने कहा कि यूरेनियम फूड चेन में आने के बाद कैंसर और न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर की वजह बनता है। यह बच्चों की वृद्धि पर पर असर डालता है। यह बेहद गंभीर बात है। डॉ. अशोक शर्मा का कहना है कि अभी तक यह पता नहीं चला है कि यूरेनियम कहां से पहुंचा है। मगर जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया इसका सोर्स खोज रहा है।

 

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यूरेनियम का सबसे अधिक असर बच्चों पर होता है। इसकी वजह से किडनी डैमेज से कैंसर तक का खतरा होता है। चीन, कोरिया, पाकिस्तान, मंगोलिया, कनाडा, स्वीडन, फिनलैंड और यूके की भूजल में यूरेनियम की बढ़ी मात्रा दर्ज की गई है। एनडीटीवी से विशेष बातचीत में राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के सदस्य डॉ. दिनेश ने कहा कि अध्ययन के नतीजे चिंता का विषय नहीं हैं। पाया गया स्तर सुरक्षित सीमा के भीतर हैं।