अल-फलाह ग्रुप के चेयरमैन जवाद अहमद सिद्दीकी को प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने गिरफ्तार कर लिया है। यह गिरफ्तारी अल-फलाह यूनिवर्सिटी के दिल्ली-एनसीआर के ठिकानों पर की गई छापेमारी के बाद हुई है। मंगलवार को ED की टीम ने दिल्ली-एनसीआर में दर्जनभर ठिकानों पर छापेमारी की थी। यह छापेमारी लाल किला के बाहर 10 नवंबर को हुए ब्लास्ट के सिलसिले में की गई थी।
अहमद सिद्दीकी को ED ने प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग (PMLA) के तहत गिरफ्तार किया गया है और उसे जल्द ही अदालत में पेश किया जाएगा।
लाल किला के बाहर हुए ब्लास्ट के मामले में दिल्ली पुलिस ने दो FIR दर्ज की थी। इसी आधार पर ED ने भी जांच शुरू की है। मंगलवार को ED ने अल-फलाह यूनिवर्सिटी से जुड़े 19 ठिकानों पर छापा मारा था। यह छापेमारी सुबह 5:15 बजे से शुरू हो गई थी। छापेमारी के दौरान ED ने 48 लाख रुपये भी जब्त कर लिए हैं। देर शाम अल-फलाह ग्रुप के चेयरमैन जवाद अहमद सिद्दीकी को गिरफ्तार कर लिया गया।
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क्या है पूरा मामला?
10 नवंबर को लाल किला मेट्रो स्टेशन के गेट नंबर-1 के पास एक कार में ब्लास्ट हो गया था। इस धमाके में 15 लोगों की मौत हो गई है।
यह धमाका ह्युंडई i20 कार में हुआ था, जिसे डॉ. उमर मोहम्मद चला रहा था। डॉ. उमर मोहम्मद अल-फलाह यूनिवर्सिटी से जुड़ा था। इससे पहले पुलिस ने अल-फलाह यूनिवर्सिटी से जुड़े डॉ. मुजम्मिल गनई और डॉ. शाहीन सईद को भी गिरफ्तार किया था। उमर इन दोनों से भी जुड़ा हुआ था।
डॉ. मुजम्मिल गनई के ठिकानों से पुलिस ने 2,900 किलो विस्फोटक बरामद किया था, जिसमें कथित तौर पर 360 किलो अमोनियम नाइट्रेट था।
इस धमाके की जांच NIA कर रही है। अब तक NIA ने दो लोगों को गिरफ्तार किया है जो डॉ. उमर के करीबी बताए जा रहे हैं। सोमवार को जसीर बिलाल वानी उर्फ दानिश को गिरफ्तार किया था।
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अहमद सिद्दीकी की गिरफ्तारी क्यों?
इस पूरे मामले में फरीदाबाद की अल-फलाह यूनिवर्सिटी केंद्र में आ गई है। ED की जांच में सामने आया है कि अल-फलाह यूनिवर्सिटी और कॉलेज का मालिकाना हक अल-फलाह ट्रस्ट के पास है। इसके वित्तीय लेन-देन पर भी अल-फलाह ट्रस्ट का ही नियंत्रण है, जो आखिरकार इसके चेयरमैन जवाद अहमद सिद्दीकी के पास है।
1990 के दशक से अल-फलाह ग्रुप ने बहुत तेजी से ग्रोथ की है और यह अब एक बड़ा एजुकेशन एंपायर बन गया है। हालांकि, इसके पीछे कोई मजबूत वित्तीय आधार नहीं दिखता। अल-फलाह चैरिटेबल ट्रस्ट का गठन 8 सितंबर 1995 को एक पब्लिक चैरिटेबल ट्रस्ट के माध्यम से हुई थी। इसमें सिद्दीकी को शुरुआती ट्रस्ट और मैनेजिंग ट्रस्टी नियुक्त किया गया था।
ED का आरोप है कि ट्रस्ट से करोड़ों रुपये परिवार के नियंत्रण वाली कंपनियों और संस्थाओं में डायवर्ट किए गए। उदाहरण के लिए कंस्ट्रक्शन और केटरिंग के टेंडर सिद्दीकी ने अपनी पत्नी और बच्चों की कंपनियों को दिए।
ED के एक अधिकारी ने न्यूज एजेंसी PTI से कहा, 'सिद्दीकी का ट्रस्ट और उसकी गतिविधियां पर प्रभावी नियंत्रण साबित करने वाले कई ठोस सबूत मिले हैं। ट्रस्टीज से नकदी बरामदगी, परिवार की कंपनियों में फंड डायवर्जन, फंड्स की लेयरिंग से साफ है कि अपराध से कमाने और छिपाने का एक पूरा पैटर्न था।'
जांच में इस ग्रुप की कई शेल कंपनियां के बारे में भी पता चला है। सामने आया है कि 9 शेल कंपनियां हैं, जो सभी एक ही पते पर रजिस्टर्ड हैं। यह भी सामने आया है कि अलग-अलग कंपनियों और खातों में एक ही मोबाइल नंबर और ईमेल है।
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यूनिवर्सिटी पर ये भी हैं आरोप
अल-फलाह यूनिवर्सिटी के खिलाफ दिल्ली पुलिस ने भी FIR दर्ज की है। FIR में आरोप है कि यूनिवर्सिटी ने NAAC मान्यता का झूठा और भ्रामक दावा करते माता-पिता और बच्चों को ठगने की कोशिश की।
एक दूसरी FIR में यह आरोप लगाया है कि अल-फलाह यूनिवर्सिटी ने UGC ऐक्ट की धारा 12(B) के तहत मान्यता का झूठा दावा किया, ताकि माता-पिता, छात्रों और लोगों को धोखा देकर अनुचित लाभ कमाया जा सके।
