बिहार में प्रचंड जीत के बाद बीजेपी ने अपने बागी नेताओं पर एक्शन लेना शुरू कर दिया है। शनिवार को बीजेपी ने पूर्व केंद्रीय मंत्री आरके सिंह और दो अन्य नेताओं को निलंबित कर दिया गया है। इन सभी पर पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने का आरोप है। आरके सिंह के अलावा विधान परिषद सदस्य अशोक अग्रवाल और कटिहार की मेयर उषा अग्रवाल को भी पार्टी ने नोटिस भेजा है। आरके सिंह को एक हफ्ते में अपना जवाब पार्टी को भेजना है। अगर पार्टी संतुष्ट हुई तो ठीक, वरना उन्हें बाहर का रास्ता भी दिखाया जा सकता है।
आरके सिंह को जारी नोटिस में लिखा है, 'आपकी गतिविधियां पार्टी के विरोध में हैं। ये अनुशासन के दायरा में आता है। पार्टी ने इसे गंभीरता से लिया है। इससे पार्टी को नुकसान हुआ है। अतः निर्देशानुसार आपको पार्टी से निलंबित करते हुए कारण-पृच्छा किया जा रहा है कि आपको पार्टी से क्यों नहीं निष्कासित किया जाए? अतः पत्र प्राप्ति के एक सप्ताह के अंदर आप अपनी स्थिति स्पष्ट करें।'
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आरके सिंह बिहार की आरा लोकसभा सीट से दो बार सांसद रह चुके हैं। मोदी सरकार की पहली कैबिनेट में उन्हें बिजली मंत्रालय की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। हालांकि 2024 के चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान आरके सिंह ने नीतीश सरकार पर 62 हजार करोड़ रुपये के घोटाले का आरोप लगाया था। माना जा रहा है कि मीडिया पर उनके इसी बयान के बाद से पार्टी आलाकमान नाराज है। आरके सिंह 1975 बैच के आईएएस अधिकारी रहे हैं। उन्होंने गृह सचिव जैसे अहम पदों पर काम किया है। साल 2013 में बीजेपी ज्वाइन करने के बाद सियासत में कदम रखा था।
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बिहार विधानसभा चुनाव में बीजेपी सबसे अधिक 89 सीटों पर जीती है। पार्टी ने कुल 101 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे थे। प्रचंड लहर के बाद भी उसके 12 प्रत्याशी चुनाव जीतने में विफल रहे। अगर वोट शेयर की बात करें तो बीजेपी को करीब 20.08 फीसद वोट मिला है। प्रचंड जीत के बाद पार्टी नेताओं के हौसले बुलंद हैं। आरके सिंह के खिलाफ एक्शन लेकर स्पष्ट संदेश दिया जा रहा है कि बगावत करने वालों के प्रति कोई नरमी नहीं बरती जाएगी।
