बिहार चुनाव नतीजे आने के एक दिन बाद बीजेपी ने पूर्व केंद्रीय मंत्री आरके सिंह को पार्टी से निलंबित कर दिया। इतना ही नहीं उन्हें कारण बताओ नोटिस भी जारी किया गया है। इसमें पूछा गया कि उन्हें पार्टी से क्यों न निकाल दिया जाए? पत्र मिलने कुछ घंटे बाद आरके सिंह ने भी अपना त्यागपत्र पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा को भेज दिया है।
पूर्व केंद्रीय मंत्री आरके सिंह ने एक्स पर लिखा, 'मैंने पार्टी को अपना त्यागपत्र भेज दिया है। मेरे द्वारा प्रदेश कार्यालय को भेजे गए पत्र और राष्ट्रीय अध्यक्ष भाजपा को भेजा गया त्यागपत्र सलंग्न है।'
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पूछा- मेरी कौन सी गतिविधि पार्टी विरोधी
बिहार बीजेपी को भेजे पत्र में आरके सिंह ने लिखा, 'आपने बताया नहीं है कि मेरी कौन सी गतिविधियां पार्टी के विरोध में है। मैंने कहा कि आपराधिक पृष्ठभूमि के व्यक्तियों को टिकट नहीं दिया जाए। क्या यह पार्टी विरोधी हैं? आपराधिक पृष्ठभूमि के लोगों को टिकट देना न तो राष्ट्रहित में है और न तो लोकहित में है, न ही पार्टी के हित में।'
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उन्होंने आगे लिखा, 'जब कुछ मंत्रियो पर भ्रष्टाचार और आपराधिक पृष्ठभूमि के होने का आरोप एक पार्टी ने लगाया तो इससे पार्टी की छवि धूमिल हो रही थी। अतः मैंने कहा कि संबंधित व्यक्ति अपना पक्ष स्पष्ट करे, ताकि पार्टी की छवि धूमिल न हो। यह पार्टी विरोधी कार्य नहीं है। यह प्रतीत होता है कि मेरे द्वारा आपराधिक पृष्टभूमि और भ्रष्टाचार में लिप्त लोगो के खिलाफ बयान देना कुछ लोगों को नागवार गुजरा। मैंने पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से अपना त्यागपत्र राष्ट्रीय अध्यक्ष को भेज दिया है।'
1975 बैच के आईएएस अधिकारी रह चुके आरके सिंह को शनिवार को बिहार बीजेपी ने निलंबित किया था। उन पर पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने का आरोप है। आलाकमान ने एक हफ्ते में उनसे स्पष्टीकरण मांगा था। हालांकि कुछ घंटे बाद ही आरके सिंह ने अपना इस्तीफा बीजेपी अध्यक्ष को भेज दिया है।
आरा से दो बार सांसद बने आरके सिंह
बता दें कि आरके सिंह बिहार की आरा लोकसभा सीट से दो बार चुनाव जीत चुके हैं। मगर 2024 के चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। मोदी सरकार की पहली कैबिनेट में उन्हें बिजली मंत्रालय की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। मंत्री बनने से पहले वह गृह सचिव जैसे अहम पद पर रह चुके हैं।
12 साल बाद बीजेपी को कहा अलविदा
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के बीच आरके सिंह ने कई मीडिया संस्थानों को इंटरव्यू दिया। इसमें उन्होंने बिहार सरकार पर 62 हजार करोड़ रुपये के घोटाले का आरोप लगाया। माना जा रहा है कि उनकी यह कार्यशैली पार्टी को नहीं पसंद आई। आरके सिंह ने 2013 में बीजेपी ज्वाइन की थी और 12 साल बाद 2025 में अलविदा कह दिया।
