संजय सिंह, पटना। बिहार चुनाव के नतीजे आते ही लालू परिवार में घमासान शुरू हो गया है। अब तक तीन लोगों ने परिवार से दूरी बना ली है या निकाले जा चुके हैं। रोहिणी आचार्य नए किरदार के तौर पर सामने आई हैं। परिवार के बड़े पुत्र तेजप्रताप भी इस लड़ाई में कूद गए हैं। रोहिणी ने संजय यादव और रमीज पर परिवार से निकलवाने का आरोप लगाया है। इस घटना के बाद से लालू परिवार चर्चा में है। विपक्षी दलों के कई नेताओं ने ताजा घटनाक्रम पर अपनी प्रतिक्रिया दी है। 

ऐश्वर्या से आचार्य तक, लालू परिवार से कौन-कौन हुआ अलग?

यह तीसरा मौका है, जब लालू परिवार की खूब किरकिरी हो रही है। सबसे पहले इस परिवार ने तेजप्रताप की पत्नी ऐश्वर्या को घर से बाहर निकाला था। बाद में तेजप्रताप और ऐश्वर्या के बीच तलाक का मुकदमा हुआ। दूसरी घटना तेजप्रताप के साथ हुई। कुछ फोटो वायरल होने के बाद लालू प्रसाद ने अपने बड़े बेटे तेजप्रताप को पार्टी और परिवार से निकाल दिया। अब अपनी किडनी देकर पिता लालू प्रसाद की जान बचाने वालीं रोहिणी आचार्य ने सियासत और परिवार दोनों को अलविदा कह दिया है। रोहिणी के इस कदम से लोग हैरत में हैं। सोशल मीडिया पर रोहिणी को व्यापक जन समर्थन मिल रहा है।

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इनसाइड स्टोरी: परिवार छोड़ने की नौबत कैसे आई?

लालू यादव की बेटी रोहिणी आचार्य ने लोकसभा चुनाव के दौरान छपरा से अपना भाग्य आजमाया था। उनके खिलाफ पूर्व केंद्रीय मंत्री राजीव प्रताप रुढ़ी चुनाव मैदान में थे। रोहिणी चुनाव हार गई थी। पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान तेजप्रताप ने कुछ अपने समर्थकों को टिकट दिलवाया था। उनके समर्थकों ने तबके राजद के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह का विरोध किया था। 

 

तेजप्रताप जब तक राजद में रहे, तब तक पार्टी में उनका हस्तक्षेप बरकरार रहा। तेजप्रताप भी अपने छोटे भाई के चहेते संजय यादव और रमीज नेमक का सदा विरोध करते रहे। अपनी छोटी सी भूल के कारण उन्हें पार्टी और परिवार से बाहर होना पड़ा। लालू की एक अन्य बेटी मीसा भारती राजद की सांसद हैं। वे अपने भाई के कामों में ज्यादा दखल नहीं देती हैं। 

 

तेजप्रताप के परिवार और पार्टी से आउट होने के बाद रोहिणी आचार्य का हस्तक्षेप बढ़ गया था। विधानसभा चुनाव से पहले बस की फ्रंट सीट पर संजय यादव को बैठने पर रोहिणी ने सवाल उठाया था। बताया जाता है कि रोहिणी भी अपने भाई तेजप्रताप की तरह संजय यादव और रमीज नेमक का विरोध करने लगी। इस विरोध से तेजस्वी और रोहिणी के बीच दूरी बढ़ने लगी। 

 

खबर यह है कि रोहिणी स्वयं और अपने एक दो समर्थकों को चुनाव लड़ाना चाहती थीं, लेकिन तेजस्वी यादव टिकट देने पर राजी नहीं हुए। चुनाव के शुरुआती दिनों में लालू यादव ने कुछ नेताओं को टिकट बांटे थे। तेजस्वी ने उन टिकटों को वापस करवाया और अपने हाथों से बांटा। चुनाव नतीजे आने के बाद रोहिणी ने संजय और रमीज नेमक पर सवाल दागे। इसी बात पर कहासुनी काफी बढ़ गई। बकौल रोहिणी आचार्य उन्हें अपमानित किया गया। उन्होंने अपने एक्स अकाउंट और मीडिया से बातचीत में पूरे घटनाक्रम का जिक्र किया। 

 

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रोहिणी के पास कितनी संपत्ति?

लोकसभा चुनाव 2024 के समय रोहिणी आचार्य सारण सीट से चुनाव लड़ी थीं। उस दौरान चुनाव आयोग को दिए हलफनामे में रोहिणी आचार्य ने बताया था कि उनके और उनके पति समरेश सिंह के पास लगभग 36 करोड़ रुपये है। एक करोड़ रुपये का लोन है। करीब आधा किलो सोना है, साढ़े 5 किलो चांदी और 5 लाख रुपये के कीमती रत्न भी हैं। उनके पास पटना के दानापुर, मुंबई के अंधेरी और परेल सहित कई जगह आवासीय संपत्ति है। वहीं बोरिंग रोड के एक मॉल में कमर्शियल प्रॉपर्टी है। इसके साथ ही बिहटा और बिक्रम में 2-2 प्लॉट हैं। करवल और दाऊदनगर में खेती की जमीन है।

कौन है संजय और रमीज?

संजय यादव फिलहाल राजद कोटे से राज्यसभा सदस्य हैं। वे मूलरूप से हरियाणा के महेंद्रगढ़ जिले के रहने वाले हैं। संजय के बारे में कहा जाता है कि वे तेजस्वी यादव के लिए रणनीति तैयार करते हैं और सलाह भी देते हैं। तेजस्वी के साथ संजय ने दिल्ली में एक क्रिकेट एकेडमी भी ज्वाइन की थी। वह पहले गुरुग्राम में एक कंपनी में मैनेजर थे। चारा घोटाला मामले में जब लालू प्रसाद को जेल जाना पड़ा तब तेजस्वी ने संजय को पटना बुलाया था। 

 

तेजस्वी को युवा नेता स्थापित करने में संजय की भूमिका अहम रही। रमीज नेमक उत्तर प्रदेश के रहने वाले हैं। इनकी शादी बलरामपुर के पूर्व सांसद रिजवान जहीर की बेटी जेवा रिजवान से हुई है। रमीज भी क्रिकेटर रह चुके हैं। वह तेजस्वी यादव के कामकाज को देखते हैं। हत्या के एक मामले में जेल भी जा चुके हैं। 

तेजप्रताप बोले- अब चलेगा सुदर्शन चक्र

रोहिणी आचार्य के अपमान पर उनके भाई तेज प्रताप का गुस्सा फूट पड़ा है। उन्होंने कहा कि हमारी बहन का जो अपमान करेगा, उस पर कृष्ण का सुदर्शन चक्र चलेगा। तेज प्रताप यादव ने आगे कहा कि रोहिणी दीदी जो बात कह रही हैं, वह अपनी जगह बिल्कुल सही कह रही हैं। एक मां होने के नाते, एक महिला होने के नाते, एक बहन होने के नाते उन्होंने जो सराहनीय काम किया है, वह शायद ही कोई बेटी या कोई बहन या कोई मां कर सकती है। यह एक इतिहास रहेगा और इतिहास के पन्नों में मेरी बहन का नाम सुनहरे अक्षरों में रहेगा।