बद्रीनाथ धाम के कपाट आज 25 नवंबर को दोपहर 2 बजकर 56 मिनट पर श्रद्धालुओं के लिए बंद कर दिए जाएंगे। इसके साथ ही धाम में 6 महीने का शीतकाल शुरु हो गया। इस आयोजन पर मंदिर को करीब 10 क्विंटल फूलों से सजाया गया है। 21 नवंबर से बद्रीनाथ धाम में पंच पूजा शुरू हो गई थी।
मंदिर के कपाट बंद करने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। पंच पूजा के चौथे दिन मां लक्ष्मी मंदिर में विशेष पूजा-अर्चना की गई। यहां परंपरा के अनुसार कढ़ाई प्रसाद का भोग लगाया गया। इसके बाद मां लक्ष्मी को मंदिर के गर्भगृह में विराजमान होने का निमंत्रण दिया गया।
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बद्रीनाथ में पंच पूजा
21 नवंबर से बद्रीनाथ धाम में पंच पूजा की विधि शुरु हो गई थी। इसके तहत गणेश मंदिर, केदारेश्वर व आदि गुरु शंकराचार्य गद्दी स्थल के कपाट भी विधि-विधान से बंद किए गए। जैसे-जैसे कपाट बंद होने का समय नजदीक आता है, वैसे-वैसे मंदिर में वेद ऋचाओं का वाचन पूरा कर दिया जाता है।
सर्दियों में कपाट बंद
गर्मियों के 6 महीनों में माता लक्ष्मी मंदिर परिसर में स्थित अपनी जगह पर विराजमान रहती है, लेकिन सर्दियों के दौरान मां मुख्य मंदिर के गर्भगृह में विराजमान होती हैं। कपाट बंद होने के मौके पर बड़ी संख्या में लोगों के पहुंचने की उम्मीद है। ऐसा अंदाजा है कि 5 हजार से ज्यादा लोग बद्रीनाथ धाम में मौजूद रहेंगे।
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6 महीनों तक कैसे होती है पूजा
जब मंदिर के कपाट बंद हो जाते हैं तो यह मान्यता है कि भगवान बद्रीनाथ की पूजा की जिम्मेदारी देवताओं को सौंप दिया जाता है। बद्री विशाल को जोशीमठ में स्थित नृसिंह मंदिर में स्थापित किया जाता है। अगले छह महीनों तक लोग यहीं भगवान के दर्शन और पूजा कर सकते हैं। कपाट बंद होने से पहले मंदिर के गर्भगृह में 6 महीने तक जलने वाला अखंड दीप जलाया जाता है।
