भाई–बहन के पवित्र रिश्ते को समर्पित पिड़िया व्रत की तैयारियां बिहार, उत्तर प्रदेश और झारखंड के घर–घर में शुरू हो गई हैं। साल 2025 में पिड़िया व्रत 20 नवंबर को रखा जाएगा, जबकि 21 नवंबर को पिड़िया विसर्जन के साथ यह पारंपरिक पर्व संपन्न होगा। मान्यता है कि इस दिन बहनें अपने भाइयों की लंबी उम्र, सुख–समृद्धि और सुरक्षा के लिए पूरे विधि-विधान से भगवान शिव और देवी पार्वती की पूजा करती हैं।
लोककथाओं में वर्णित है कि एक बहन के सच्चे व्रत और भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने आशीर्वाद दिया कि जो भी इस तिथि पर पिड़िया व्रत करेगा, उसके परिवार से हर संकट दूर रहेगा और घर में शांति बनी रहेगी। इसी आस्था की वजह से इसे कई जगह रुद्र पिड़िया व्रत और ‘छोटी राखी’ के नाम से भी जाना जाता है।
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पिड़िया व्रत 2025 कब है?
साल 2025 में पिड़िया व्रत 20 नवंबर को रखा जाएगा। यह व्रत 21 नवंबर को पिड़िया विसर्जन के साथ पूरा होगा।
20 नवंबर 2025 – उपवास/उपाश और शाम को रसियाव (मीठा चावल) खाना
21 नवंबर 2025 – पिड़िया विसर्जन और व्रत का समापन
पिड़िया व्रत क्या होता है?
पिड़िया व्रत बिहार, यूपी और झारखंड में मनाया जाने वाला एक खास धार्मिक व्रत है। इसमें बहनें अपने भाइयों की लंबी उम्र, खुशी और सुरक्षा के लिए उपवास रखती हैं।
कुछ जगह यह व्रत रुद्र पिड़िया व्रत नाम से भी जाना जाता है।
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पिड़िया व्रत की मान्यता और इतिहास
लोककथा के अनुसार, एक बार एक बहन ने अपने भाई की सलामती और लंबी उम्र के लिए अगहन महीने की शुक्ल एकम को कठोर व्रत रखा। उसकी सच्ची भक्ति देखकर भगवान शिव प्रसन्न हुए और उन्होंने आशीर्वाद दिया, 'जो भी इस दिन यह व्रत करेगा, उसके परिवार को कोई बड़ा संकट नहीं छुएगा और घर में हमेशा शांति रहेगी।' तभी से यह व्रत भाई–बहन के प्रेम का प्रतीक बन गया।
यह व्रत क्यों किया जाता है?
पिड़िया व्रत के मुख्य उद्देश्य:
- भाई की लंबी आयु और सुरक्षा
- परिवार की भलाई और तरक्की
- नकारात्मक शक्तियों से रक्षा
- भगवान शिव की कृपा पाना
- पितरों की शांति
- कुछ जगह इसे 'छोटी राखी' भी कहा जाता है।
पिड़िया व्रत 2025 की पूजा विधि
20 नवंबर (व्रत का दिन)
- सुबह स्नान करके साफ कपड़े पहनें।
- भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करें।
- बेलपत्र, धतूरा, दीपक और फल-फूल चढ़ाएं।
- पूरा दिन उपवास रखें।
- शाम को रसियाव (मीठा चावल) खाएं।
- 21 नवंबर (व्रत समापन)
- आटे या चावल की छोटी-छोटी पिड़िया बनाएं।
- इन्हें नदी, तालाब या कुएं में विसर्जित करें।
- इसके बाद व्रत पूरा माना जाता है।
पिड़िया व्रत से मिलने वाले लाभ
- परिवार में शांति और समृद्धि
- भाई की उम्र और सुरक्षा में बढ़त
- मन की शांति और आत्मविश्वास
- शिवजी की विशेष कृपा
- घर में सकारात्मक ऊर्जा का वास
