अंग्रेजी कैलेंडर का नया साल 2025 को शुरू होने में अब कुछ ही दिन बचें हुए हैं। बता दें कि आने वाले नए साल में कई महत्वपूर्ण व्रत और त्योहार मनाएं जाएंगे। इन्हीं  में से एक व्रत है प्रदोष व्रत, जो भगवान शिव की उपासना के लिए समर्पित हैं। प्रदोष व्रत हर महीने में दो बार, कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर रखा जाता है। इस व्रत में भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस व्रत का पालन करने से व्यक्ति की सभी मनोकामना पूर्ण हो जाती है। आइए जानते हैं साल 2025 में कब-कब रखा जाएगा प्रदोष व्रत।

प्रदोष व्रत 2025 तिथि

  • 11 जनवरी 2025, शनिवार - शनि प्रदोष (पौष शुक्ल पक्ष)
  • 27 जनवरी 2025, सोमवार - सोम प्रदोष (माघ कृष्ण पक्ष)
  • 09 फरवरी 2025, रविवार - रवि प्रदोष (माघ शुक्ल पक्ष)
  • 25 फरवरी 2025, मंगलवार - भौम प्रदोष (फाल्गुन कृष्ण पक्ष)
  • 11 मार्च 2025, मंगलवार - भौम प्रदोष (फाल्गुन शुक्ल पक्ष)
  • 27 मार्च 2025, गुरुवार - गुरु प्रदोष (चैत्र कृष्ण पक्ष)
  • 10 अप्रैल 2025, गुरुवार - गुरु प्रदोष (चैत्र शुक्ल पक्ष)
  • 25 अप्रैल 2025, शुक्रवार - शुक्र प्रदोष (वैशाख कृष्ण पक्ष)
  • 09 मई 2025, शुक्रवार - शुक्र प्रदोष (वैशाख शुक्ल पक्ष)
  • 24 मई 2025, शनिवार - शनि प्रदोष (ज्येष्ठ कृष्ण पक्ष)
  • 08 जून 2025, रविवार - रवि प्रदोष (ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष)
  • 23 जून 2025, सोमवार - सोम प्रदोष (आषाढ़ कृष्ण पक्ष)
  • 08 जुलाई 2025, मंगलवार - भौम प्रदोष (आषाढ़ शुक्ल पक्ष)
  • 22 जुलाई 2025, मंगलवार - भौम प्रदोष (सावन कृष्ण पक्ष)
  • 06 अगस्त 2025, बुधवार - बुध प्रदोष (सावन शुक्ल पक्ष)
  • 20 अगस्त 2025, बुधवार - बुध प्रदोष (भाद्रपद कृष्ण पक्ष)
  • 05 सितंबर 2025, शुक्रवार - शुक्र प्रदोष (भाद्रपद शुक्ल पक्ष)
  • 19 सितंबर 2025, शुक्रवार - शुक्र प्रदोष (अश्विन कृष्ण पक्ष)
  • 04 अक्टूबर 2025, शनिवार - शनि प्रदोष (अश्विन शुक्ल पक्ष)
  • 18 अक्टूबर 2025, शनिवार - शनि प्रदोष (कार्तिक कृष्ण पक्ष)
  • 03 नवंबर 2025, सोमवार - सोम प्रदोष (कार्तिक शुक्ल पक्ष)
  • 17 नवंबर 2025, सोमवार - सोम प्रदोष (मार्गशीर्ष कृष्ण पक्ष)
  • 02 दिसंबर 2025, मंगलवार - भौम प्रदोष (मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष)
  • 17 दिसंबर 2025, मंगलवार - भौम प्रदोष (पौष कृष्ण पक्ष)

प्रदोष व्रत का महत्व

प्रदोष व्रत का महत्व दिन के अनुसार अलग-अलग होता है। कहा जाता है कि इस व्रत को पूर्ण श्रद्धाभाव और नियमों के साथ रखता है, उन्हें भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है। इस दिन विशेष रूप से भगवान शिव का अभिषेक, मंत्र जाप और आरती की जाती है। शास्त्रों में भी प्रदोष व्रत के महत्व को विस्तार से बताया गया है। मान्यता है कि प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव और उनके समस्त परिवार की उपासना करने से व्यक्ति के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं और जीवन में सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।

 

Disclaimer- यहां दी गई सभी जानकारी सामाजिक और धार्मिक आस्थाओं पर आधारित हैं। Khabargaon इसकी पुष्टि नहीं करता।