ईसाई धर्म की दुनिया में अक्सर दो नाम सबसे ज्यादा सुनने को मिलते हैं, पादरी और नन। दोनों को लोगों की नजर में धार्मिक सेवा और त्याग का प्रतीक माना जाता है लेकिन क्या आप जानते हैं कि इन दोनों की भूमिकाएं, जीवनशैली और धार्मिक कर्तव्य एक–दूसरे से बिल्कुल अलग हैं? आइए जानते हैं चर्च का संचालन करने वाले पादरी कहां से आते हैं, उनकी मान्यता क्या है और वे किन जिम्मेदारियों को निभाते हैं।
ईसाई धर्म में नन को ‘सिस्टर’ कहा जाता है। यह समाज सेवा, शिक्षा और ईश्वर साधना में अपना पूरा जीवन समर्पित कर देती हैं। वहीं, पादरी को फादर के नाम से भी जाना जाता है। पादरी, ईसाई धर्म का धार्मिक नेता है, जो चर्च चलाते हैं। पादरी धार्मिक नेतृत्व करते हैं, जबकि नन का काम सेवा और आध्यात्मिक अनुशासन का होता है।
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पादरी
कौन होते हैं?
- पादरी ईसाई धर्म के धार्मिक गुरु होते हैं।
- कैथोलिक चर्च में इन्हें फादर कहा जाता है।
- ये मुख्य रूप से चर्च का संचालन करते हैं।
इनका मुख्य काम
- चर्च में प्रार्थना सभा (Mass) कराना
- बाइबिल का प्रवचन देना
- विवाह, बपतिस्मा, अंतिम संस्कार जैसे धार्मिक कार्य कराना
- समाज का मार्गदर्शन देना
- चर्च की गतिविधियों और प्रशासन की देखरेख करना
मान्यता
- ईसाई धर्म में पादरी को ईश्वर का दूत माना जाता है।
- माना जाता है कि वे लोगों को ईश्वर के मार्ग की ओर ले जाते हैं।
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जीवन नियम
कैथोलिक परंपरा में पादरी शादी नहीं करते (ब्रह्मचर्य का जीवन का पालन करते हैं)। मान्यता के अनुसार, पादरी पूरी जिंदगी चर्च की सेवा में समर्पित रहते हैं।
नन
कौन होती हैं?
- नन ईसाई धर्म की वह महिला होती है जो अपना पूरा जीवन ईश्वर और मानव सेवा में समर्पित करती है।
- ये अलग–अलग धार्मिक समुदायों या कान्वेंट में रहती हैं।
- इन्हें सिस्टर कहा जाता है।
इनका मुख्य काम
- गरीबों और अनाथों की सेवा
- अस्पतालों, अनाथालयों और स्कूलों में काम
- सामाजिक सेवा – शिक्षा, स्वास्थ्य, महिला सहायता
- प्रार्थना और ध्यान का जीवन
- चर्च के कार्यों में सहायता
मान्यता
- माना जाता है कि सिस्टर दुनिया के दुखों को कम करने के लिए भेजी गई हैं।
जीवन नियम
- आजीवन ब्रह्मचर्य का पालन
- सादगी, त्याग और सेवा का जीवन
- कान्वेंट के नियमों का पालन
- किसी से शादी, संपत्ति या पारिवारिक जीवन नहीं होता है।
