बिहार की राजधानी पटना के ऐतिहासिक गांधी मैदान में नीतीश कुमार ने 10वीं बार बिहार के मुख्यमंत्री की शपथ ली। उनके साथ 26 मंत्रियों ने भी शपथ ली। इन 26 मंत्रियों में सबसे ज्यादा उपेंद्र कुशवाहा के बेटे ने चौंकाया। उपेंद्र कुशवाहा के बेटे दीपक प्रकाश अभी तक राजनीति में इतने सक्रिय नहीं थे। उनके पिता ने अपनी पार्टी राष्ट्रीय लोक मोर्चा की ओर से उन्हें मंत्री बनाया। बिहार कैबिनेट में सिर्फ दीपक ही नहीं बल्कि कई और भी चेहरे ऐसे हैं जो परिवारवादी राजनीति से आए हैं। राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) ने अब इसे राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) का परिवारवाद कहकर वार किया है।

 

दीपक के नाम ने इसलिए चौंकाया क्योंकि उनके नाम की चर्चा कहीं नहीं थी। किसी ने सोचा भी नहीं था कि उपेंद्र कुशवाहा अपनी विधायक पत्नी की जगह अपने बेटे को मंत्री बना देंगे। उनके बेटे ने ना तो विधानसभा का चुनाव लड़ा और ना ही वह विधान परिषद के सदस्य हैं फिर भी उन्हें मंत्री बना दिया गया। उनके नाम पर अब सोशल मीडिया पर खूब चर्चा हो रही है। सोशल मीडिया पर लोग लिख रहे हैं कि एनडीए परिवारवाद से बचने का दावा करता है, गठबंधन के कई मंत्री परिवार की वजह से ही राजनीति में हैं। 

 

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 जीतन राम मांझी के बेटे भी बने मंत्री

जीतन राम मांझी के बेटे संतोष सुमन मांझी ने भी कैबिनेट मंत्री की शपथ ली। जीतन राम मांझी हिंदुस्तान आवाम मोर्चा के अध्यक्ष हैं और एनडीए के साथ मिलकर उन्होंने चुनाव लड़ा था। जीतन राम मांझी खुद पीएम मोदी के कैबिनेट सहयोगी हैं। वह गया लोकसभा सीट से सांसद हैं। संतोष सुमन की सास ज्योति मांझी भी विधायक हैं और उनकी पत्नी दीपा मांझी भी विधानसभा की सदस्य हैं। जीतन राम मांझी परिवार के कई सदस्य राजनीति में सक्रिय हैं और सरकार और पार्टी में बड़े पद उनके परिवार के पास हैं। 

 

 

राजनीतिक परिवारों से ताल्लुक रखते हैं ये मंत्री

बिहार की राजनीति में परिवारवाद बड़ा मुद्दा रहा है। वर्तमान कैबिनेट में भी कई बड़े राजनीतिक परिवारों के वारिसों ने शपथ ली। 26 मंत्रियों में से कुल 10 मंत्री ऐसे हैं जो अपने परिवार से विरासत में मिली राजनीति को आगे बढ़ा रहे हैं। उपेंद्र कुशवाहा और जीतन राम मांझी ने अपने बेटों को मंत्री बनाया तो 8 मंत्री भी राजनीतिक परिवारों से ताल्लुक रखते हैं। बिहार के उपमुख्यमंत्री और बीजेपी के बड़े नेता सम्राट चौधरी के पिता और माता भी राजनीति में सक्रिय थे। सम्राट चौधरी के पिता शकुनी चौधरी बिहार में मंत्री रह चुके हैं और उनकी मां पार्वती देवी भी विधायक थीं।

 

 

 

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बिहार के दूसरे उपमुख्यमंत्री विजय कुमार चौधरी के पिता जगदीश चौधरी कांग्रेस के बड़े नेता थे। वह तीन बार विधायक बने थे।  उनके निधन के बाद उनकी सीट पर ही विजय कुमार को कांग्रेस ने उपचुनाव में टिकट दिया था और वह पहली बार विधानसभा पहुंचे थे। पूर्व केंद्रीय मंत्री दिग्विजय सिंह की बेटी श्रेयसी सिंह को भी बीजेपी के कोटे से मंत्री बनाया गया है। 


इसके अलावा पूर्व केंद्रीय मंत्री कैप्टन जय नारायण निषाद के बेटे अजय निषाद की पत्नी रमा निषाद ने भी मंत्री पद की शपथ ली है। पूर्व विधायक जगदीश प्रसाद चौधरी के बेटे विजय चौधरी भी मंत्री बने।  पूर्व मंत्री महावीर चौधरी के बेटे अशौक चौधरी भी कैबिनेट में मंत्री बने। उनकी बेटी शांभवी चौधरी वर्तमान लोकसभा में सांसद हैं। पूर्व विधायक नवीन किशोर के बेटे नितिन नबीन, पूर्व मंत्री चंद्रिका राम के बेटे और पूर्व विधायक अनिल कुमार के भाई सुनील कुमार को भी कैबिनेट में जगह मिली है। इन सब के अलावा लेसी सिंह के पति भी राजनीति में सक्रिय रहे हैं। उनके पति भूटन सिंह समता पार्टी में बड़े पदों पर रहे हैं। 

 

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सोशल मीडिया पर हो रही आलोचना

बिहार विधानसभा चुनाव में बीजेपी के बड़े नेताओं ने विपक्ष को परिवारवाद के मुद्दे पर घेरा था। चुनाव के बाद अब कैबिनेट में इन नेताओं को जगह दी गई तो विपक्ष को बैठे बिठाए मुद्दा मिल गया। राष्ट्रीय जनता दल ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट कर इसे एनडीए का परिवारवाद बताया। इस पोस्ट में पीएम मोदी और सीएम नीतीश कुमार के परिवारवाद के खिलाफ दिए बयान पर चुटकी लेते हुए लिखा, ' मैं परिवारवाद के घोर विरोधी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी और मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार जी के आशीर्वाद से बिहार की राजनीति से परिवारवाद को समाप्त करके एक नए बिहार का निर्माण करूंगा।