संजय सिंह, पटनाः एनडीए की शानदार जीत के बाद नई सरकार का गठन हो गया। बुधवार को गांधी मैदान में आयोजित समारोह में पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई गई। कुल 26 मंत्रियों ने शपथ लिया। बीजेपी कोटे से 14, जेडीयू से 8, एलजेपी (आर) से 2, हम और रालोमो से एक एक मंत्री बनाए गए। जेडीयू ने अधिकांश पुराने चेहरों पर ही भरोसा जताया है, लेकिन बीजेपी ने नए चेहरे को ज्यादा महत्व दिया, लेकिन नीतीश मिश्रा और नीरज बबलू को मंत्रिमंडल में जगह नही मिलने के कारण उनके समर्थक सवाल उठाने लगे हैं।
पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्रा के पुत्र नीतीश मिश्रा बीजेपी में ब्राह्मण का बड़ा चेहरा माने जाते हैं। पिछली सरकार में इन्हें उद्योग मंत्री बनाया गया था। मंत्री के पद पर रहते हुए इन्होंने बिहार के औद्योगिक विकास के लिए कई महत्वपूर्ण कार्य भी किए थे। इस बार इनकी चुनावी जीत 55 हजार वोटों से हुई है। इनके समर्थकों को उम्मीद थी कि पार्टी के शीर्ष नेतृत्व द्वारा इन्हें कोई बड़ी जिम्मेदारी दी जाएगी। दुर्भाग्य ऐसा रहा कि इन्हें मंत्री भी नहीं बनाया गया। इनके समर्थक इस फैसले से नाराज हैं। सोशल मीडिया पर उनके मंत्री नही बनाए जाने का मामला ट्रेंड कर रहा है। उनके समर्थकों का कहना है कि नीतीश मिश्रा की छवि बेदाग रही है।
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उपेंद्र कुशवाहा फायदे में
एनडीए के पार्टनर रहे उपेंद्र कुशवाहा के पुत्र दीपक प्रकाश को भी मंत्रिमंडल में जगह दी गई है। इनके पुत्र न तो विधानसभा के सदस्य हैं न ही विधान परिषद के। पहले चर्चा यह थी कि कुशवाहा की पत्नी स्नेहलता मंत्री बन सकती हैं, लेकिन रातों-रात मामला पलट गया। चर्चा है कि सीट शेयरिंग के दौरान कुशवाहा नाराज हो गए थे। बीजेपी के शीर्ष नेता उन्हें मनाकर गृह मंत्री अमित शाह के पास ले गए। उन्हें जब यह आश्वासन दिया गया कि विधान परिषद की एक सीट उन्हें दी जाएगी। उन्होंने एक सीट से दो शिकार कर लिया। उनकी पत्नी विधायक हो गई और बेटा मंत्री। अब यह माना जा रहा है कि जल्द ही उनका पुत्र विधान परिषद का सदस्य बन जाएगा। इधर कुशवाहा समाज के बड़े चेहरे भगवान सिंह कुशवाहा मंत्री बनने से वंचित रह गए।
रमा निषाद की किस्मत खुली
मुजफ्फरपुर के पूर्व सांसद अजय निषाद की पत्नी रमा निषाद को भी मंत्रिपरिषद में जगह दी गई है। टिकट वितरण के अंतिम क्षण में रमा निषाद बीजेपी में शामिल हुई थीं। लोकसभा चुनाव के दौरान बीजेपी ने अजय निषाद का टिकट काट दिया था। परिणामस्वरूप अजय कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ गए थे। महागठबंधन ने निषादों का वोट पाने के लिए मुकेश सहनी को डिप्टी सीएम का फेस घोषित कर दिया था। ऐसी स्थिति में बीजेपी ने रमा निषाद को मंत्रिमंडल में जगह देकर मुकेश सहनी को कमजोर करने का प्रयास किया है। जेडीयू ने भी मदन सहनी को अपने कोटे से मंत्रिमंडल में जगह दी है।
मुंगेर प्रमंडल में खुशी की लहर
नए मंत्रिमंडल गठन के बाद मुंगेर प्रमंडल में खुशी की लहर है। डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी मुंगेर जिले के तारापुर विधानसभा क्षेत्र से विधायक हैं। इनके पिता शकुनी चौधरी और माता पार्वती देवी भी विधायक रह चुकी हैं। मुंगेर प्रमंडल के अधीन ही लखीसराय जिला आता है। लखीसराय के विधायक विजय कुमार सिन्हा को भी डिप्टी सीएम बनाया गया है। विजय सिन्हा भी बीजेपी के अनुभवी नेता रहे हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह से इनका बेहतर संबंध रहा है। इनके पुत्र के रिंग सेरेमनी में प्रधानमंत्री भी मौजूद थे। पूर्व में ऐसी चर्चा रही कि बीजेपी कोटे से इस बार एक ही डिप्टी सीएम होगा, लेकिन विजय सिन्हा को भी डिप्टी सीएम बनाया गया। इधर जमुई की विधायक श्रेयसी सिंह को भी मंत्रिमंडल में जगह मिल गई। श्रेयसी सिंह जमुई से दूसरी बार विधायक बनी हैं। इनके पिता दिग्विजय सिंह केंद्रीय मंत्री और बांका के सांसद भी रहे हैं। इनकी मां पुतुल देवी भी सांसद रही हैं। जमुई भी मुंगेर प्रमंडल का हिस्सा है। पहले जमुई से चकाई के विधायक सुमित सिंह मंत्री होते थे। वे चुनाव हार गए।
इस बार चर्चा थी कि सुमित की जगह झाझा के विधायक दामोदर रावत मंत्री बन सकते हैं। वे पूर्व में भी मंत्री रह चुके हैं, लेकिन उनकी जगह गोल्डन गर्ल श्रेयसी सिंह को मंत्री बनने का मौका मिला। श्रेयसी युवा होने के साथ साथ राष्ट्रीय स्तर के शूटिंग खिलाड़ी भी रही हैं।
भागलपुर और बांका के लोगों को निराशा
अंग प्रदेश भागलपुर के लोगों को नए मंत्रिमंडल के गठन से निराशा हाथ लगी है। दोनो जिले में एनडीए का प्रदर्शन शानदार रहा। अमरपुर के विधायक जयंत राज कुशवाहा को पिछली सरकार में मंत्री बनने का मौका मिला था। इस बार उनका भी नाम शपथ ग्रहण करने वाले मंत्रियों की सूची में नही था। बांका के विधायक रामनारायण मंडल बीजेपी कोटे से पूर्व में राजस्व मंत्री रह चुके हैं। वे वैश्य समुदाय से आते हैं। लोगों को उम्मीद थी कि बीजेपी से रामनारायण मंडल मंत्री हो सकते हैं, लेकिन उनका भी नाम मंत्रियों की सूची में नही रहने से बांका के लोग निराश हैं। भागलपुर की सातो सीट पर एनडीए की शानदार जीत हुई है।
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भागलपुर के पूर्व सांसद बुलो मंडल गोपालपुर से चुनाव जीते हैं। वे गंगोता जाति के हैं। वे पहले भी विधायक रह चुके हैं। भागलपुर के लोगों को उम्मीद थी कि गंगोता जाति के होने के कारण बुलो मंडल को मंत्रिमंडल में जगह मिल सकती है। मुंगेर से लेकर झारखंड के साहबगंज तक गंगोता जाति की बड़ी आबादी है। इधर बिहपुर के विधायक इंजीनियर शैलेन्द्र तीसरी बार विधानसभा का चुनाव जीते हैं। लोगों को उम्मीद थी कि भूमिहार समाज की ओर से उन्हें मंत्रिमंडल में जगह मिलेगी, लेकिन उन्हें भी जगह नही मिली। भागलपुर और बांका के लोग ठगा सा महसूस कर रहे हैं।
