देश के राष्ट्रगीत 'वंदे मातरम' के 150 साल होने पर लगातार चर्चा और बहस हो रही है। इस पर जारी विवादों के बीच उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि प्रदेश के सभी स्कूलों में 'वंदे मातरम' गाना अनिवार्य होगा। सोमवार को गोरखपुर में एक कार्यक्रम के दौरान सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि जो लोग 'वंदे मातरम' गाने का विरोध करते हैं, वे भारत की एकता और अखंडता का अपमान कर रहे हैं। उन्होंने लोगों से अपील की है कि वे सुनिश्चित करें कि देश में कोई नया जिन्ना न उभरे।

 

CM योगी आदित्यनाथ ने गोरखपुर में ‘एकता यात्रा’ और सामूहिक ‘वंदे मातरम्’ गायन में भाग लेने के दौरान कहा, ‘हम उम्मीद करते हैं कि आज भी भारत में रहने वाला हर व्यक्ति राष्ट्र के प्रति वफादार रहेगा और इसकी एकता के लिए काम करेगा। हमारा कर्तव्य है कि हम उन सभी तत्वों की पहचान करें और उनका विरोध करें जो समाज को विभाजित करते हैं, चाहे वह जाति, क्षेत्र या भाषा के नाम पर क्यों न हो। ये विभाजन नए जिन्ना बनाने की साजिश का हिस्सा हैं।’ उन्होंने लोगों से यह सुनिश्चित करने का आग्रह किया कि भारत में फिर कभी कोई नया जिन्ना न उभरे और अगर कोई देश की अखंडता को चुनौती देने की हिम्मत करता है तो हमें ऐसी विभाजनकारी मंशा को सिर उठाने से पहले ही उसे दबा देना चाहिए।

स्कूलों में अनिवार्य होगा वंदे मातरम

योगी आदित्यनाथ ने कहा, 'भारत के प्रत्येक नागरिक को इस उद्देश्य के लिए एकजुट होना चाहिए।' मोहम्मद अली जिन्ना 1913 से 14 अगस्त 1947 को पाकिस्तान के निर्माण तक ऑल इंडिया मुस्लिम लीग के नेता रहे। इसके बाद वह एक साल बाद 1948 में अपनी मृत्यु तक पाकिस्तान के पहले गवर्नर-जनरल बने। मोहम्मद अली जौहर ऑल इंडिया मुस्लिम लीग के सह-संस्थापक थे। सीएम योगी आदित्यनाथ ने कांग्रेस पर राष्ट्रीय गीत ‘वंदे मातरम’ का अनादर करने का आरोप लगाते हुए राज्य के सभी विद्यालयों में इसका गायन अनिवार्य किए जाने का ऐलान किया है।

 

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उन्होंने कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष मौलाना मोहम्मद अली जौहर पर वंदे मातरम का विरोध करने का आरोप लगाया और कहा कि इस पार्टी ने अगर वंदे मातरम के माध्यम से भारत की राष्ट्रीयता का सम्मान किया होता तो देश का विभाजन नहीं होता। मुख्यमंत्री ने ‘एकता यात्रा’ कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा, ‘वंदे मातरम राष्ट्रीय गीत के प्रति सम्मान का भाव होना चाहिए। उत्तर प्रदेश के हर विद्यालय और हर शिक्षण संस्थान में हम इसका गायन अनिवार्य करेंगे।’ उन्होंने कहा कि इससे उत्तर प्रदेश के हर नागरिक के मन में भारत माता के प्रति, अपनी मातृभूमि के प्रति श्रद्धा और सम्मान का भाव जागृत हो सकेगा।

कांग्रेस पर साधा निशाना

 

योगी आदित्यनाथ ने किसी का नाम लिए बगैर कहा, ‘कुछ लोगों के लिए आज भी भारत की एकता और अखंडता से बढ़कर उनका मत और मजहब हो जाता है। उनकी व्यक्तिगत निष्ठा महत्वपूर्ण हो जाती है। वंदे मातरम के विरोध का कोई औचित्य नहीं है। वंदे मातरम के खिलाफ विषवमन हो रहा है। कांग्रेस के अधिवेशन में 1896-97 में स्वयं गुरुदेव रवींद्र नाथ टैगोर ने पूरे वंदे मातरम का गायन किया था और 1896 से लेकर 1922 तक कांग्रेस के हर अधिवेशन में वंदे मातरम का गायन होता था लेकिन 1923 में जब मोहम्मद अली जौहर कांग्रेस के अध्यक्ष बने तो वंदे मातरम का गायन शुरू होते ही वह उठकर चले गए। उन्होंने वंदे मातरम गाने से इनकार कर दिया। वंदे मातरम का इस प्रकार का विरोध भारत के विभाजन का दुर्भाग्यपूर्ण कारण बना था।'

 

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आदित्यनाथ ने कहा कि कांग्रेस ने अगर उस समय मोहम्मद अली जौहर को अध्यक्ष पद से बेदखल करके वंदे मातरम के माध्यम से भारत की राष्ट्रीयता का सम्मान किया होता तो भारत का विभाजन नहीं होता। उन्होंने दावा किया, ‘बाद में कांग्रेस ने वंदे मातरम में संशोधन करने के लिए एक कमेटी बनाई। 1937 में रिपोर्ट आई और कांग्रेस ने कहा कि इसमें कुछ ऐसे शब्द हैं जो भारत माता को दुर्गा के रूप में, लक्ष्मी के रूप में, सरस्वती के रूप में प्रस्तुत करते हैं, इनको संशोधित कर दिया जाए।’ CM योगी ने कहा कि राष्ट्रीय गीत धरती माता की उपासना का गीत है और हम सब के संस्कार हैं कि धरती हमारी माता है और हम सब इसके पुत्र हैं और पुत्र होने के नाते अगर मां के सम्मान में कहीं कोई आंच आती है तो हमारा दायित्व बनता है कि हम उसके खिलाफ खड़े हों।

कहां से शुरू हुआ विवाद?

 

दरअसल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछली 7 नवंबर को दिल्ली में राष्ट्रीय गीत की 150वीं वर्षगांठ के एक साल तक चलने वाले स्मरणोत्सव की शुरुआत करते हुए कहा था कि वर्ष 1937 में इस गीत के प्रमुख छंदों को हटाने से 'विभाजन के बीज' पड़े और ऐसी 'विभाजनकारी मानसिकता' देश के लिए एक चुनौती बनी हुई है। उनकी इस टिप्पणी को कांग्रेस पर हमले के रूप में देखा गया। सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने कांग्रेस पर जवाहरलाल नेहरू के नेतृत्व में उस वर्ष इस गीत के संक्षिप्त संस्करण को अपनाकर 'सांप्रदायिक एजेंडे' को आगे बढ़ाने का भी आरोप लगाया था। कांग्रेस ने इस पर पलटवार करते हुए आरोप लगाया कि पीएम मोदी ने 1937 की कांग्रेस कार्यसमिति और रवींद्रनाथ टैगोर का 'अपमान' किया है, जिन्होंने वंदे मातरम गीत के केवल पहले दो छंदों को अपनाने का सुझाव दिया था।

 

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कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा कि प्रधानमंत्री की टिप्पणी 'चौंकाने वाली है लेकिन आश्चर्यजनक नहीं' है। उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता आंदोलन में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की कोई भूमिका नहीं थी।उन्होंने टैगोर पर विभाजनकारी होने का कथित आरोप लगाए जाने को 'शर्मनाक' बताते हुए माफी की मांग की थी। साल 1875 में बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय द्वारा रचित 'वंदे मातरम' को 24 जनवरी 1950 को संविधान सभा द्वारा आधिकारिक रूप से भारत के राष्ट्रीय गीत के रूप में अपनाया गया था।

 

सोमवार को सीएम योगी आदित्यनाथ के कार्यक्रम के दौरान 'वंदे मातरम' का सामूहिक गायन भी किया गया। आदित्यनाथ ने गोरखपुर से 'एकता यात्रा' की शुरुआत की और राष्ट्रीय नायकों और एकता के प्रतीकों के प्रति नए सिरे से सम्मान का आह्वान किया। उन्होंने इस अवसर पर सरदार वल्लभभाई पटेल को भी श्रद्धांजलि अर्पित की और अनुशासन, राष्ट्रीय एकता और ज़िम्मेदारी के उनके भाव को याद किया। उन्होंने 'वंदे मातरम' के रचयिता बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय को भी श्रद्धांजलि दी। सीएम आदित्यनाथ ने कहा कि यह गर्व की बात है कि देश 'लौह पुरुष' सरदार वल्लभभाई पटेल की 150वीं जयंती राज्यों में विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से बड़े उत्साह के साथ मना रहा है। उन्होंने कहा, 'सरदार पटेल ने कहा था कि आजादी का मतलब सिर्फ़ स्वतंत्र होना नहीं है, बल्कि ज़िम्मेदारी से देश की सेवा करना भी है।' 

 

मुख्यमंत्री ने कहा कि 'एकता यात्रा' उत्तर प्रदेश के सभी 403 विधानसभा क्षेत्रों में आयोजित की जाएगी और प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र में 10 किलोमीटर की दूरी तय करेगी। उन्होंने कहा, 'रन फॉर यूनिटी कार्यक्रमों के साथ, यह यात्रा नागरिकों में जन जागरूकता, आत्मनिर्भरता और राष्ट्रवाद को बढ़ावा देगी।' उन्होंने आगे कहा कि यह यात्रा राष्ट्रीय गीत 'वंदे मातरम' के 150वें वर्ष के अवसर पर आयोजित की जा रही है।