फिल्मों में हमने कई बार देखा है कि किसी व्यक्ति की याद्दाश्त चली जाती है और सालों बाद उसकी याद्दाश्त वापस लौट आती है। अब यह कहानी सिर्फ फिल्मों की नहीं बल्कि किसी की असल जिंदगी की कहानी बन चुकी है। हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले में 45 साल से लापता एक व्यक्ति अपने परिवार से मिला है। यह कहानी बिल्कुल किसी फिल्मी कहानी की तरह है। 45 साल पहले एक सड़क हादसे में सिर पर चोट लगने के कारण  ऋखी  राम की याददाश्त चली गई थी। कुछ ही महीने पहले  ऋखी  राम एक और सड़क हादसे का शिकार हो गए थे। इस हादसे में उनके सिर पर दोबारा चोट लगी और इससे उसकी याददाश्त लौट आई। 

 

यह घटना सिरमौर जिले के पावंटा के नाड़ी गांव से सामने आई है, जहां 62 साल के  ऋखी  राम अब अपने परिवार के साथ हैं। वह 1980 में अचानक से गायब हो गए थे। वह 16 साल की उम्र में काम की तलाश में हरियाणा के यमुनानगर में गए थे। वहां एक होटल में काम करते हुए एक दिन वह अपने साथी के साथ अंबाला जा रहा था। इस बीच रास्ते में वह सड़क हादसे का शिकार हो गए। इस हादसे में उनके सिर पर गंभीर चोट आई और उनकी याददाश्त चली गई। वह कौन हैं, कहां से आए हैं, इस बारे में उन्हें कुछ याद नहीं था। उनके परिवार के बारे में वहां किसी को पता नहीं था तो उनके परिवार से संपर्क भी नहीं किया जा सका। 

 

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हादसे के बाद मिली नई पहचान

हादसे के बाद जब  ऋखी  राम पूरी तरह से ठीक हो गए लेकिन उनकी याददाश्त नहीं लौटी तो उनके साथी ने उनको एक नया नाम दिया। उनके साथी ने उन्हें रवि चौधरी नाम दिया और इसी के साथ  ऋखी  राम की एक नई जिंदगी की शुरुआत हुई। वह मुंबई शिफ्ट हो गया और वहीं एक कॉलेज में नौकरी करने लगा। 1994 में उसने संतोषी नाम की एक महिला से शादी कर ली और दोनों ने परिवार बना लिया। उनकी दो बेटियां और एक बेटा है।  ऋखी  राम को एक नया जीवन मिल गया था और वह अपने छोटे से परिवार के साथ रह रहे थे। उन्हें अपने बचपन के बारे में कुछ भी याद नहीं था। 

सालों बाद फिर आया नया मोड़

ऋखी राम की जिंदगी एक बार फिर तब नया मोड़ लेती है जब कुछ महीने पहले ही वह एक और रोड़ एक्सीडेंट में घायल हो जाते हैं। उनके सिर पर फिर से चोट आई और इस बार हादसे के कारण उनकी याद्दाश्त वापस आना शुरू हो गई थी। उसे सपनों में अपने बचपन के घर की तस्वीरें दिखाई देने लगी। उसे अपने गांव की हर चीज अपना परिवार और अपने साथी याद आने लगे। शुरुआत में  ऋखी  राम को लगा कि यह सिर्फ सपना है लेकिन बाद में उन्होंने इस बारे में अपनी पत्नी से बात की। उनकी पत्नी ने उनके साथ मिलकर उनके इतिहास के बारे में जानने की कोशिश की। 

कॉलेज छात्र की मदद से घर का पता लगाया

ऋखी  राम पढ़े लिखे नहीं हैं। उन्होंने जह अपने इतिहास के बारे में जानने की कोशिश की तो उन्हें दिक्कत आई। उन्होंने एक कॉलेज छात्र की मदद से ऑनलाइन अपने गांव के बारे में खोजना शुरू किया। इस दौरान उसे अपने बचपन के गांव नड़ी की जानकारी मिली और वहां एक कैफे का नंबर उन्हें मिला। कैफे स्टाफ ने उनके गांव के एक व्यक्ति रुद्रा प्रकाश से संपर्क किया। रुद्रा प्रकाश को पहले तो इस बात पर यकीन नहीं हुआ लेकिन उसे  ऋखी  राम की कहानी भी पता थी। लास्ट में उसने  ऋखी  राम पर विश्वास कर लिया। 

 

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45 साल बाद परिवार से मिले

ऋखी राम को अपने परिवार और अपने भाइयों के नाम याद आ गए थे। इसके बाद 15 नवंबर को वह अपनी पत्नी और बच्चों के साथ अपने गांव नड़ी लौटा। उसके भाई और बहनों ने फूल-मालाओं के साथ उसका स्वागत किया। 19 नवंबर को गांव में ही एक समारोह किया गया। गांव के लोग भी इस समारोह में शामिल हुए। परिवार के सदस्यों ने कहा कि हमने कभी सोचा नहीं था कि हमारा भाई जिंदा होगा। ऋखी राम के भाई दुर्गा राम याद करते हुए कहते हैं कि हमें बस इतना पता चला कि वह यमुनानगर में था। उसके बाद उसका कोई अता-पता नहीं मिला। न फोन था, न कोई संपर्क हमने उम्मीद ही छोड़ दी थी। उनके माता-पिता अपने बेटे का इंतजार करते-करते ही इस दुनिया से चले गए।