आगरा की एक विशेष एमपी-एमएलए अदालत ने बॉलीवुड अभिनेत्री और हिमाचल प्रदेश की मंडी से बीजेपी सांसद कंगना रनौत के खिलाफ बड़ा फैसला सुनाया है। स्पेशल जज लोकेश कुमार की कोर्ट ने बुधवार को सुनवाई के दौरान वकील रमाशंकर शर्मा की ओर से दाखिल रिवीजन याचिका को स्वीकार कर लिया। इससे पहले निचली अदालत ने कंगना के खिलाफ दर्ज केस को खारिज कर दिया था, लेकिन अब उसी अदालत में दोबारा सुनवाई होगी।
कोर्ट ने साफ कहा कि कंगना के खिलाफ मुकदमा चलेगा। यह मामला किसान आंदोलन के दौरान कंगना के कथित अपमानजनक बयानों से जुड़ा है, जिन्होंने कथित रूप से लाखों किसानों की भावनाओं को ठेस पहुंचाई थी। यह पूरा विवाद 2020-21 के किसान आंदोलन से शुरू हुआ था। उस दौरान कंगना रनौत ने सोशल मीडिया और इंटरव्यू में कई तीखे बयान दिए थे। 26 अगस्त 2024 को एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा था कि दिल्ली बॉर्डर पर धरने के दौरान रेप और मर्डर हुए थे, और अगर मजबूत नेतृत्व न होता तो देश में बांग्लादेश जैसे हालात हो जाते।
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किसानों को लेकर है आरोप
शिकायतकर्ता वकील रमाशंकर शर्मा ने इसे किसानों को बलात्कारी, हत्यारा और आतंकवादी कहने के तौर पर लिया। शर्मा खुद किसान परिवार से हैं और उन्होंने बताया कि 30 साल तक खेती की है। उन्होंने 31 अगस्त 2024 को आगरा पुलिस कमिश्नर को शिकायत भी दी थी, लेकिन कोई कार्रवाई न होने पर 11 सितंबर 2024 को कोर्ट में याचिका दाखिल की।
खालिस्तानियों से की थी तुलना
कंगना के पुराने बयान भी इस केस में चर्चा का विषय बने। नवंबर 2020 में उन्होंने खालिस्तानी आतंकवादियों से आंदोलनकारियों की तुलना की थी और लिखा था कि इंदिरा गांधी ने ऐसे लोगों को जूते तले कुचल दिया था। एक अन्य पोस्ट में शाहीन बाग की बिलकिस बानो को किसान धरने की बुजुर्ग महिला बताते हुए कहा था कि वो सौ रुपये में उपलब्ध हैं। ये पोस्ट उस समय वायरल हुई थीं और किसान संगठनों ने कड़ी आपत्ति जताई थी। इसके अलावा 7 नवंबर 2021 को कंगना ने विवादास्पद बयान दिया था कि 1947 की आजादी भीख थी, असली आजादी 2014 में मोदी सरकार आने पर मिली। इन सब बयानों ने उन्हें किसान विरोधी छवि दी थी।
महिला जवान ने मारा था थप्पड़
इसी क्रम में पिछले साल चंडीगढ़ एयरपोर्ट पर सीआईएसएफ की महिला जवान कुलविंदर कौर ने कंगना को थप्पड़ मार दिया था। कुलविंदर ने बाद में कहा कि कंगना ने उनकी मां सहित धरने पर बैठी महिलाओं का अपमान किया था। यह घटना भी कोर्ट में चर्चा में रही, क्योंकि यह कंगना के बयानों के असर को दर्शाती है।
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कोर्ट में नहीं हुई हैं पेश
अब तक कंगना छह बार समन मिलने के बावजूद कोर्ट में पेश नहीं हुई हैं। 10 नवंबर को उनके वकीलों की दलीलें सुनने के बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा था, जिसे बुधवार को सुनाया गया। कोर्ट का यह कदम इसलिए अहम है क्योंकि इससे पहले निचली अदालत ने तकनीकी आधार पर केस खारिज कर दिया था, लेकिन रिवीजन याचिका स्वीकार होने से मुकदमा फिर जीवित हो गया।
