केंद्र की मोदी सरकार ने संसद में बताया था कि 2022 से 2024 के बीच राजधानी दिल्ली में रेबीज से कोई मौत नहीं हुई। हालांकि, सरकार के इस दावे के विपरीत सच्चाई कुछ और है।सूचना के अधिकार (RTI) से जानकारी सामने आई है कि इन तीन सालों मेंदि्ली में रेबीज से 18 लोगों की मौत हुई है।
महर्षि वाल्मीकि संक्रामक रोग (MVID) अस्पताल दिल्ली नगर निगम के अंतर्गत आने वाला दिल्ली का एकमात्र संक्रामक रोग सेंटर है। इस सरकारी अस्पताल के रिकॉर्ड के मुताबिक, 2022-24 की अवधि के दौरान दिल्ली में रेबीज से 18 लोगों की मौत हुई।
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रेबीज से 2024 में 10 मौतें
आरटीआई के तहत मिले जवाब के मुताबिक, किंग्सवे कैंप इलाके में मौजूद अस्पताल में रेबीज से 2022 में छह, 2023 में दो और 2024 में 10 मौतें हुईं। यह आंकड़ा केंद्र सरकार के दावे से बिल्कुल उलट हैं। इस साल की शुरुआत में मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी राज्य मंत्री एसपी सिंह बघेल ने लोकसभा में दिए गए लिखित जवाब में कहा था कि 2022 से जनवरी 2025 तक दिल्ली में रेबीज से एक भी मौत नहीं हुई है।
लोकसभा में क्या आंकड़े सामने आए?
हालांकि, लोकसभा में दिए जवाब में इस अवधि में दिल्ली में कुत्तों द्वारा काटने का आंकड़ा बताया गया है। इसमें बताया गया था कि 2022 में 6,691 मामले, 2023 में 17,874 और 2024 में 25,210 मामले सामने आए। इस आंकड़े से साफ पता चल रहा है कि कुत्तों द्वारा काटे जाने के मामलों में लगातार बढ़ोतरी हो रही है।
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रेबीज की रोकथाम 100 फीसदी संभव
रेबीज एक ऐसी बीमारी है जिसकी रोकथाम 100 फीसदी तक संभव है, लेकिन रेबीज के लक्षण दिखाई देने पर यह अक्सर जानलेवा साबित होती है। संसद में, मंत्री ने कहा कि राष्ट्रीय रेबीज नियंत्रण कार्यक्रम के तहत, राज्य कुत्तों के काटने और रेबीज़ से होने वाली मौतों का मासिक डेटा रखते हैं। साथ ही डेटा को सरकारी पोर्टल पर अपलोड करते हैं। उन्होंने कहा कि इस प्रणाली ने देश भर में रेबीज के मामलों और जानवरों के काटने की निगरानी को बेहतर बनाया है।
बता दें कि केंद्र सरकार का स्वास्थ्य और मत्स्य पालन, पशुपालन एवं डेयरी मंत्रालय संयुक्त रूप से कुत्तों से होने वाले रेबीज उन्मूलन के लिए राष्ट्रीय कार्य योजना चला रहे हैं। इस योजना के तहत सरकार बड़े पैमाने पर कुत्तों के टीकाकरण, नसबंदी और सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों में एंटी-रेबीज वैक्सीन और एंटी-रेबीज सीरम/रेबीज इम्युनोग्लोबुलिन की निर्बाध उपलब्धता सुनिश्चित करने पर जोर देता है।
